ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं माया कैलेंडर
मत्ती 24 : 42 – 44
42 इसलिये जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आएगा।
43 परन्तु यह जान लो कि यदि घर का स्वामी जानता होता कि चोर किस पहर आएगा, तो जागता रहता; और अपने घर में सेंध लगने न देता।
44 इसलिये तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।
मत्ती 24 : 14
14 और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा॥
मत्ती 24 : 36
36 उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत, और न पुत्र, परन्तु केवल पिता।
इफिसियों 6 : 11 – 12
11 परमेश्वर के सारे हथियार बान्ध लो; कि तुम शैतान की युक्तियों के साम्हने खड़े रह सको।
12 क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध, लोहू और मांस से नहीं, परन्तु प्रधानों से और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से, और उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं।
प्रकाशित वाक्य 1 : 3
3 धन्य है वह जो इस भविष्यद्वाणी के वचन को पढ़ता है, और वे जो सुनते हैं और इस में लिखी हुई बातों को मानते हैं, क्योंकि समय निकट आया है॥
यूहन्ना 3 : 16
16 क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।
यशायाह 17 : 1 – 14
1 दमिश्क के विषय भारी भविष्यवाणी। देखो, दमिश्क नगर न रहेगा, वह खंडहर ही खंडहर हो जाएगा।
2 अरोएर के नगर निर्जन हो जाएंगे, वे पशुओं के झुण्ड़ोंकी चराई बनेंगे; पशु उन में बैठेंगे और उनका कोई भगाने वाला न होगा।
3 एप्रैम के गढ़ वाले नगर, और दमिश्क का राज्य और बचे हुए अरामी, तीनों भविष्य में न रहेंगे; और जो दशा इस्राएलियों के वैभव की हुई वही उनकी होगी; सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है॥
4 और उस समय याकूब का वैभव घट जाएगा, और उसकी मोटी देह दुबली हो जाएगी।
5 और ऐसा होगा जैसा लवने वाला अनाज काट कर बालों को अपनी अंकवार में समेटे वा रपाईम नाम तराई में कोई सिला बीनता हो।
6 तौभी जैसे जलपाई वृक्ष के झाड़ते समय कुछ फल रह जाते हैं, अर्थात फुनगी पर दो-तीन फल, और फलवन्त डालियों में कहीं कहीं चार-पांच फल रह जाते हैं, वैसे ही उन में सिला बिनाई होगी, इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है॥
7 उस समय मनुष्य अपने कर्ता की ओर दृष्टि करेगा, और उसकी आंखें इस्राएल के पवित्र की ओर लगी रहेंगी;
8 वह अपनी बनाई हुई वेदियों की ओर दृष्टि न करेगा, और न अपनी बनाई हुई अशेरा नाम मूरतों वा सूर्य की प्रतिमाओं की ओर देखेगा।
9 उस समय उनके गढ़ वाले नगर घने वन, और उनके निर्जन स्थान पहाड़ों की चोटियों के समान होंगे जो इस्राएलियों के डर के मारे छोड़ दिए गए थे, और वे उजाड़ पड़े रहेंगे॥
10 क्योंकि तू अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर को भूल गया और अपनी दृढ़ चट्टान का स्मरण नहीं रखा; इस कारण चाहे तू मनभावने पौधे लगाए और विदेशी कलम जमाए,
11 चाहे रोपने के दिन तू उनके चारों और बाड़ा बान्धे, और बिहान ही को उन में फूल खिलने लगें, तौभी सन्ताप और असाध्य दु:ख के दिन उसका फल नाश हो जायेगा॥
12 हाय, हाय! देश देश के बहुत से लोगों का कैसा नाद हो रहा है, वे समुद्र की लहरों की नाईं गरजते हैं। राज्य राज्य के लोगों का कैसा गर्जन हो रहा है, वे प्रचण्ड धारा के समान नाद करते हैं!
13 राज्य राज्य के लोग बाढ़ के बहुत से जल की नाईं नाद करते हैं, परन्तु वह उन को घुड़केगा, और वे दूर भाग जाएंगे, और ऐसे उड़ाए जाएंगे जैसे पहाड़ों पर की भूसी वायु से, और धूलि बवण्डर से घुमाकर उड़ाई जाती है।
14 सांझ को, देखो, घबराहट है! और भोर से पहिले, वे लोप हो गए हैं! हमारे नाश करने वालों का भाग और हमारे लूटने वाले की यही दशा होगी॥
प्रकाशित वाक्य 3 : 10
10 तू ने मेरे धीरज के वचन को थामा है, इसलिये मैं भी तुझे परीक्षा के उस समय बचा रखूंगा, जो पृथ्वी पर रहने वालों के परखने के लिये सारे संसार पर आने वाला है।
प्रकाशित वाक्य 8 : 1 – 13
1 और जब उस ने सातवीं मुहर खोली, तो स्वर्ग में आधे घंटे तक सन्नाटा छा गया।
2 और मैं ने उन सातों स्वर्गदूतों को जो परमेश्वर के साम्हने खड़े रहते हैं, देखा, और उन्हें सात तुरिहयां दी गईं॥
3 फिर एक और स्वर्गदूत सोने का धूपदान लिये हुए आया, और वेदी के निकट खड़ा हुआ; और उस को बहुत धूप दिया गया, कि सब पवित्र लोगों की प्रार्थनाओं के साथ उस सोनहली वेदी पर जो सिंहासन के साम्हने है चढ़ाए।
4 और उस धूप का धुआं पवित्र लोगों की प्रार्थनाओं सहित स्वर्गदूत के हाथ से परमेश्वर के साम्हने पहुंच गया।
5 और स्वर्गदूत ने धूपदान ले कर उस में वेदी की आग भरी, और पृथ्वी पर डाल दी, और गर्जन और शब्द और बिजलियां और भूईंडोल होने लगा॥
6 और वे सातों स्वर्गदूत जिन के पास सात तुरिहयां थी, फूंकने को तैयार हुए॥
7 पहिले स्वर्गदूत ने तुरही फूंकी, और लोहू से मिले हुए ओले और आग उत्पन्न हुई, और पृथ्वी पर डाली गई; और पृथ्वी की एक तिहाई जल गई, और पेडों की एक तिहाई जल गई, और सब हरी घास भी जल गई॥
8 और दूसरे स्वर्गदूत ने तुरही फूंकी, तो मानो आग सा जलता हुआ एक बड़ा पहाड़ समुद्र में डाला गया; और समुद्र का एक तिहाई लोहू हो गया।
9 और समुद्र की एक तिहाई सृजी हुई वस्तुएं जो सजीव थीं मर गई, और एक तिहाई जहाज नाश हो गया॥
10 और तीसरे स्वर्गदूत ने तुरही फूंकी, और एक बड़ा तारा जो मशाल की नाईं जलता था, स्वर्ग से टूटा, और नदियों की एक तिहाई पर, और पानी के सोतों पर आ पड़ा
11 और उस तोर का नाम नागदौना कहलाता है, और एक तिहाई पानी नागदौना सा कड़वा हो गया, और बहुतेरे मनुष्य उस पानी के कड़वे हो जाने से मर गए॥
12 और चौथे स्वर्गदूत ने तुरही फूंकी, और सूर्य की एक तिहाई, और चान्द की एक तिहाई और तारों की एक तिहाई पर आपत्ति आई, यहां तक कि उन का एक तिहाई अंग अन्धेरा हो गया और दिन की एक तिहाई में उजाला न रहा, और वैसे ही रात में भी॥
13 और जब मैं ने फिर देखा, तो आकाश के बीच में एक उकाब को उड़ते और ऊंचे शब्द से यह कहते सुना, कि उन तीन स्वर्गदूतों की तुरही के शब्दों के कारण जिन का फूंकना अभी बाकी है, पृथ्वी के रहने वालों पर हाय! हाय! हाय!
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