ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं भविष्य की योजनाएँ
यिर्मयाह 29 : 11
11 क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि जो कल्पनाएं मैं तुम्हारे विषय करता हूँ उन्हें मैं जानता हूँ, वे हानी की नहीं, वरन कुशल ही की हैं, और अन्त में तुम्हारी आशा पूरी करूंगा।
याकूब 4 : 13 – 16
13 तुम जो यह कहते हो, कि आज या कल हम किसी और नगर में जाकर वहां एक वर्ष बिताएंगे, और व्यापार करके लाभ उठाएंगे।
14 और यह नहीं जानते कि कल क्या होगा: सुन तो लो, तुम्हारा जीवन है ही क्या? तुम तो मानो भाप समान हो, जो थोड़ी देर दिखाई देती है, फिर लोप हो जाती है।
15 इस के विपरीत तुम्हें यह कहना चाहिए, कि यदि प्रभु चाहे तो हम जीवित रहेंगे, और यह या वह काम भी करेंगे।
16 पर अब तुम अपनी ड़ींग पर घमण्ड करते हो; ऐसा सब घमण्ड बुरा होता है।
लूका 12 : 32
32 हे छोटे झुण्ड, मत डर; क्योंकि तुम्हारे पिता को यह भाया है, कि तुम्हें राज्य दे।
2 तीमुथियुस 3 : 1 – 17
1 पर यह जान रख, कि अन्तिम दिनों में कठिन समय आएंगे।
2 क्योंकि मनुष्य अपस्वार्थी, लोभी, डींगमार, अभिमानी, निन्दक, माता-पिता की आज्ञा टालने वाले, कृतघ्न, अपवित्र।
3 दयारिहत, क्षमारिहत, दोष लगाने वाले, असंयमी, कठोर, भले के बैरी।
4 विश्वासघाती, ढीठ, घमण्डी, और परमेश्वर के नहीं वरन सुखविलास ही के चाहने वाले होंगे।
5 वे भक्ति का भेष तो धरेंगे, पर उस की शक्ति को न मानेंगे; ऐसों से परे रहना।
6 इन्हीं में से वे लोग हैं, जो घरों में दबे पांव घुस आते हैं और छिछौरी स्त्रियों को वश में कर लेते हैं, जो पापों से दबी और हर प्रकार की अभिलाषाओं के वश में हैं।
7 और सदा सीखती तो रहती हैं पर सत्य की पहिचान तक कभी नहीं पहुंचतीं।
8 और जैसे यन्नेस और यम्ब्रेस ने मूसा का विरोध किया था वैसे ही ये भी सत्य का विरोध करते हैं: ये तो ऐसे मनुष्य हैं, जिन की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है और वे विश्वास के विषय में निकम्मे हैं।
9 पर वे इस से आगे नहीं बढ़ सकते, क्योंकि जैसे उन की अज्ञानता सब मनुष्यों पर प्रगट हो गई थी, वैसे ही इन की भी हो जाएगी।
10 पर तू ने उपदेश, चाल चलन, मनसा, विश्वास, सहनशीलता, प्रेम, धीरज, और सताए जाने, और दुख उठाने में मेरा साथ दिया।
11 और ऐसे दुखों में भी जो अन्ताकिया और इकुनियुम और लुस्त्रा में मुझ पर पड़े थे और और दुखों में भी, जो मैं ने उठाए हैं; परन्तु प्रभु ने मुझे उन सब से छुड़ा लिया।
12 पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे।
13 और दुष्ट, और बहकाने वाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे।
14 पर तू इन बातों पर जो तू ने सीखीं हैं और प्रतीति की थी, यह जानकर दृढ़ बना रह; कि तू ने उन्हें किन लोगों से सीखा था
15 और बालकपन से पवित्र शास्त्र तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्त करने के लिये बुद्धिमान बना सकता है।
16 हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है।
17 ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाए॥
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 9
9 क्योंकि परमेश्वर ने हमें क्रोध के लिये नहीं, परन्तु इसलिये ठहराया कि हम अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा उद्धार प्राप्त करें।
यशायाह 55 : 8 – 9
8 क्योंकि यहोवा कहता है, मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है।
9 क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है॥
मत्ती 24 : 1 – 51
1 जब यीशु मन्दिर से निकलकर जा रहा था, तो उसके चेले उस को मन्दिर की रचना दिखाने के लिये उस के पास आए।
2 उस ने उन से कहा, क्या तुम यह सब नहीं देखते? मैं तुम से सच कहता हूं, यहां पत्थर पर पत्थर भी न छूटेगा, जो ढाया न जाएगा।
3 और जब वह जैतून पहाड़ पर बैठा था, तो चेलों ने अलग उसके पास आकर कहा, हम से कह कि ये बातें कब होंगी और तेरे आने का, और जगत के अन्त का क्या चिन्ह होगा?
4 यीशु ने उन को उत्तर दिया, सावधान रहो! कोई तुम्हें न भरमाने पाए।
5 क्योंकि बहुत से ऐसे होंगे जो मेरे नाम से आकर कहेंगे, कि मैं मसीह हूं: और बहुतों को भरमाएंगे।
6 तुम लड़ाइयों और लड़ाइयों की चर्चा सुनोगे; देखो घबरा न जाना क्योंकि इन का होना अवश्य है, परन्तु उस समय अन्त न होगा।
7 क्योंकि जाति पर जाति, और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा, और जगह जगह अकाल पड़ेंगे, और भुईंडोल होंगे।
8 ये सब बातें पीड़ाओं का आरम्भ होंगी।
9 तब वे क्लेश दिलाने के लिये तुम्हें पकड़वाएंगे, और तुम्हें मार डालेंगे और मेरे नाम के कारण सब जातियों के लोग तुम से बैर रखेंगे।
10 तब बहुतेरे ठोकर खाएंगे, और एक दूसरे से बैर रखेंगे।
11 और बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बहुतों को भरमाएंगे।
12 और अधर्म के बढ़ने से बहुतों का प्रेम ठण्डा हो जाएगा।
13 परन्तु जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा।
14 और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा॥
15 सो जब तुम उस उजाड़ने वाली घृणित वस्तु को जिस की चर्चा दानिय्येल भविष्यद्वक्ता के द्वारा हुई थी, पवित्र स्थान में खड़ी हुई देखो, (जो पढ़े, वह समझे )।
16 तब जो यहूदिया में हों वे पहाड़ों पर भाग जाएं।
17 जो को ठे पर हों, वह अपने घर में से सामान लेने को न उतरे।
18 और जो खेत में हों, वह अपना कपड़ा लेने को पीछे न लौटे।
19 उन दिनों में जो गर्भवती और दूध पिलाती होंगी, उन के लिये हाय, हाय।
20 और प्रार्थना किया करो; कि तुम्हें जाड़े में या सब्त के दिन भागना न पड़े।
21 क्योंकि उस समय ऐसा भारी क्लेश होगा, जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा।
22 और यदि वे दिन घटाए न जाते, तो कोई प्राणी न बचता; परन्तु चुने हुओं के कारण वे दिन घटाए जाएंगे।
23 उस समय यदि कोई तुम से कहे, कि देखो, मसीह यहां हैं! या वहां है तो प्रतीति न करना।
24 क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिन्ह और अद्भुत काम दिखाएंगे, कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें।
25 देखो, मैं ने पहिले से तुम से यह सब कुछ कह दिया है।
26 इसलिये यदि वे तुम से कहें, देखो, वह जंगल में है, तो बाहर न निकल जाना; देखो, वह को ठिरयों में हैं, तो प्रतीति न करना।
27 क्योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्चिम तक चमकती जाती है, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा।
28 जहां लोथ हो, वहीं गिद्ध इकट्ठे होंगे॥
29 उन दिनों के क्लेश के बाद तुरन्त सूर्य अन्धियारा हो जाएगा, और चान्द का प्रकाश जाता रहेगा, और तारे आकाश से गिर पड़ेंगे और आकाश की शक्तियां हिलाई जाएंगी।
30 तब मनुष्य के पुत्र का चिन्ह आकाश में दिखाई देगा, और तब पृथ्वी के सब कुलों के लोग छाती पीटेंगे; और मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ और ऐश्वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे।
31 और वह तुरही के बड़े शब्द के साथ, अपने दूतों को भेजेगा, और वे आकाश के इस छोर से उस छोर तक, चारों दिशा से उसके चुने हुओं को इकट्ठे करेंगे।
32 अंजीर के पेड़ से यह दृष्टान्त सीखो: जब उस की डाली को मल हो जाती और पत्ते निकलने लगते हैं, तो तुम जान लेते हो, कि ग्रीष्म काल निकट है।
33 इसी रीति से जब तुम इन सब बातों को देखो, तो जान लो, कि वह निकट है, वरन द्वार ही पर है।
34 मैं तुम से सच कहता हूं, कि जब तक ये सब बातें पूरी न हो लें, तब तक यह पीढ़ी जाती न रहेगी।
35 आकाश और पृथ्वी टल जाएंगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी।
36 उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत, और न पुत्र, परन्तु केवल पिता।
37 जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।
38 क्योंकि जैसे जल-प्रलय से पहिले के दिनों में, जिस दिन तक कि नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते-पीते थे, और उन में ब्याह शादी होती थी।
39 और जब तक जल-प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उन को कुछ भी मालूम न पड़ा; वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।
40 उस समय दो जन खेत में होंगे, एक ले लिया जाएगा और दूसरा छोड़ दिया जाएगा।
41 दो स्त्रियां चक्की पीसती रहेंगी, एक ले ली जाएगी, और दूसरी छोड़ दी जाएगी।
42 इसलिये जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आएगा।
43 परन्तु यह जान लो कि यदि घर का स्वामी जानता होता कि चोर किस पहर आएगा, तो जागता रहता; और अपने घर में सेंध लगने न देता।
44 इसलिये तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।
45 सो वह विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास कौन है, जिसे स्वामी ने अपने नौकर चाकरों पर सरदार ठहराया, कि समय पर उन्हें भोजन दे?
46 धन्य है, वह दास, जिसे उसका स्वामी आकर ऐसा की करते पाए।
47 मैं तुम से सच कहता हूं; वह उसे अपनी सारी संपत्ति पर सरदार ठहराएगा।
48 परन्तु यदि वह दुष्ट दास सोचने लगे, कि मेरे स्वामी के आने में देर है।
49 और अपने साथी दासों को पीटने लगे, और पियक्कड़ों के साथ खाए पीए।
50 तो उस दास का स्वामी ऐसे दिन आएगा, जब वह उस की बाट न जोहता हो।
51 और ऐसी घड़ी कि वह न जानता हो, और उसे भारी ताड़ना देकर, उसका भाग कपटियों के साथ ठहराएगा: वहां रोना और दांत पीसना होगा॥
1 यूहन्ना 3 : 22
22 और जो कुछ हम मांगते हैं, वह हमें उस से मिलता है; क्योंकि हम उस की आज्ञाओं को मानते हैं; और जो उसे भाता है वही करते हैं।
प्रकाशित वाक्य 20 : 6
6 धन्य और पवित्र वह है, जो इस पहिले पुनरुत्थान का भागी है, ऐसों पर दूसरी मृत्यु का कुछ भी अधिकार नहीं, पर वे परमेश्वर और मसीह के याजक होंगे, और उसके साथ हजार वर्ष तक राज्य करेंगे॥
यूहन्ना 15 : 1 – 27
1 सच्ची दाखलता मैं हूं; और मेरा पिता किसान है।
2 जो डाली मुझ में है, और नहीं फलती, उसे वह काट डालता है, और जो फलती है, उसे वह छांटता है ताकि और फले।
3 तुम तो उस वचन के कारण जो मैं ने तुम से कहा है, शुद्ध हो।
4 तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में: जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे, तो अपने आप से नहीं फल सकती, वैसे ही तुम भी यदि मुझ में बने न रहो तो नहीं फल सकते।
5 मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते।
6 यदि कोई मुझ में बना न रहे, तो वह डाली की नाईं फेंक दिया जाता, और सूख जाता है; और लोग उन्हें बटोरकर आग में झोंक देते हैं, और वे जल जाती हैं।
7 यदि तुम मुझ में बने रहो, और मेरी बातें तुम में बनी रहें तो जो चाहो मांगो और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा।
8 मेरे पिता की महिमा इसी से होती है, कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे।
9 जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही मैं ने तुम से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो।
10 यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं।
11 मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।
12 मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो।
13 इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे।
14 जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो।
15 अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं।
16 तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जाकर फल लाओ; और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे।
17 इन बातें की आज्ञा मैं तुम्हें इसलिये देता हूं, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो।
18 यदि संसार तुम से बैर रखता है, तो तुम जानते हो, कि उस ने तुम से पहिले मुझ से भी बैर रखा।
19 यदि तुम संसार के होते, तो संसार अपनों से प्रीति रखता, परन्तु इस कारण कि तुम संसार के नहीं, वरन मैं ने तुम्हें संसार में से चुन लिया है इसी लिये संसार तुम से बैर रखता है।
20 जो बात मैं ने तुम से कही थी, कि दास अपने स्वामी से बड़ा नहीं होता, उस को याद रखो: यदि उन्होंने मुझे सताया, तो तुम्हें भी सताएंगे; यदि उन्होंने मेरी बात मानी, तो तुम्हारी भी मानेंगे।
21 परन्तु यह सब कुछ वे मेरे नाम के कारण तुम्हारे साथ करेंगे क्योंकि वे मेरे भेजने वाले को नहीं जानते।
22 यदि मैं न आता और उन से बातें न करता, तो वे पापी न ठहरते परन्तु अब उन्हें उन के पाप के लिये कोई बहाना नहीं।
23 जो मुझ से बैर रखता है, वह मेरे पिता से भी बैर रखता है।
24 यदि मैं उन में वे काम न करता, जो और किसी ने नहीं किए तो वे पापी नहीं ठहरते, परन्तु अब तो उन्होंने मुझे और मेरे पिता दोनों को देखा, और दोनों से बैर किया।
25 और यह इसलिये हुआ, कि वह वचन पूरा हो, जो उन की व्यवस्था में लिखा है, कि उन्होंने मुझ से व्यर्थ बैर किया।
26 परन्तु जब वह सहायक आएगा, जिसे मैं तुम्हारे पास पिता की ओर से भेजूंगा, अर्थात सत्य का आत्मा जो पिता की ओर से निकलता है, तो वह मेरी गवाही देगा।
27 और तुम भी गवाह हो क्योंकि तुम आरम्भ से मेरे साथ रहे हो॥
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