ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं ब्याज वसूलना
लैव्यवस्था 25 : 35 – 37
35 फिर यदि तेरा कोई भाईबन्धु कंगाल हो जाए, और उसकी दशा तेरे साम्हने तरस योग्य हो जाए, तो तू उसको संभालना; वह परदेशी वा यात्री की नाईं तेरे संग रहे।
36 उससे ब्याज वा बढ़ती न लेना; अपने परमेश्वर का भय मानना; जिस से तेरा भाईबन्धु तेरे संग जीवन निर्वाह कर सके।
37 उसको ब्याज पर रूपया न देना, और न उसको भोजनवस्तु लाभ के लालच से देना।
लूका 6 : 34 – 35
34 और यदि तुम उसे उधार दो, जिन से फिर पाने की आशा रखते हो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी पापियों को उधार देते हैं, कि उतना ही फिर पाएं।
35 वरन अपने शत्रुओं से प्रेम रखो, और भलाई करो: और फिर पाने की आस न रखकर उधार दो; और तुम्हारे लिये बड़ा फल होगा; और तुम परमप्रधान के सन्तान ठहरोगे, क्योंकि वह उन पर जो धन्यवाद नहीं करते और बुरों पर भी कृपालु है।
नीतिवचन 28 : 8
8 जो अपना धन ब्याज आदि बढ़ती से बढ़ाता है, वह उसके लिये बटोरता है जो कंगालों पर अनुग्रह करता है।
निर्गमन 22 : 25
25 यदि तू मेरी प्रजा में से किसी दीन को जो तेरे पास रहता हो रूपए का ऋण दे, तो उससे महाजन की नाईं ब्याज न लेना।
व्यवस्थाविवरण 23 : 19 – 20
19 अपने किसी भाई को ब्याज पर ऋण न देना, चाहे रूपया हो, चाहे भोजन-वस्तु हो, चाहे कोई वस्तु हो जो ब्याज पर दी जाति है, उसे ब्याज न देना।
20 तू परदेशी को ब्याज पर ऋण तो दे, परन्तु अपने किसी भाई से ऐसा न करना, ताकि जिस देश का अधिकारी होने को तू जा रहा है, वहां जिस जिस काम में अपना हाथ लगाए, उन सभों को तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे आशीष दे॥
मत्ती 25 : 27
27 तो तुझे चाहिए था, कि मेरा रुपया सर्राफों को दे देता, तब मैं आकर अपना धन ब्याज समेत ले लेता।
भजन संहिता 15 : 5
5 जो अपना रूपया ब्याज पर नहीं देता, और निर्दोष की हानि करने के लिये घूस नहीं लेता है। जो कोई ऐसी चाल चलता है वह कभी न डगमगाएगा॥
यहेजकेल 22 : 12
12 तुझ में हत्या करने के लिये उन्होंने घूस ली है, तू ने ब्याज और सूद लिया और अपने पड़ोसियों को पीस पीसकर अन्याय से लाभ उठाया; और मुझ को तू ने भुला दिया है, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
रोमियो 13 : 8
8 आपस के प्रेम से छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदार न हो; क्योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है, उसी ने व्यवस्था पूरी की है।
नीतिवचन 28 : 3
3 जो निर्धन पुरूष कंगालों पर अन्धेर करता है, वह ऐसी भारी वर्षा के समान है। जो कुछ भोजन वस्तु नहीं छोड़ती।
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