पवित्र आत्मा प्राप्त करना

ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं पवित्र आत्मा प्राप्त करना

प्रेरितों के काम 2 : 38
38 पतरस ने उन से कहा, मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे।

प्रेरितों के काम 19 : 6
6 और जब पौलुस ने उन पर हाथ रखे, तो उन पर पवित्र आत्मा उतरा, और वे भिन्न भिन्न भाषा बोलने और भविष्यद्ववाणी करने लगे।

लूका 11 : 13
13 सो जब तुम बुरे होकर अपने लड़के-बालों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो स्वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को पवित्र आत्मा क्यों न देगा॥

यूहन्ना 3 : 5
5 यीशु ने उत्तर दिया, कि मैं तुझ से सच सच कहता हूं; जब तक कोई मनुष्य जल और आत्मा से न जन्मे तो वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता।

इफिसियों 1 : 13
13 और उसी में तुम पर भी जब तुम ने सत्य का वचन सुना, जो तुम्हारे उद्धार का सुसमाचार है, और जिस पर तुम ने विश्वास किया, प्रतिज्ञा किए हुए पवित्र आत्मा की छाप लगी।

प्रेरितों के काम 1 : 8
8 परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे।

यूहन्ना 7 : 37 – 39
37 फिर पर्व के अंतिम दिन, जो मुख्य दिन है, यीशु खड़ा हुआ और पुकार कर कहा, यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आकर पीए।
38 जो मुझ पर विश्वास करेगा, जैसा पवित्र शास्त्र में आया है उसके ह्रृदय में से जीवन के जल की नदियां बह निकलेंगी।
39 उस ने यह वचन उस आत्मा के विषय में कहा, जिसे उस पर विश्वास करने वाले पाने पर थे; क्योंकि आत्मा अब तक न उतरा था; क्योंकि यीशु अब तक अपनी महिमा को न पहुंचा था।

प्रेरितों के काम 2 : 4
4 और वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और जिस प्रकार आत्मा ने उन्हें बोलने की सामर्थ दी, वे अन्य अन्य भाषा बोलने लगे॥

रोमियो 8 : 26
26 इसी रीति से आत्मा भी हमारी दुर्बलता में सहायता करता है, क्योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए; परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है।

प्रेरितों के काम 1 : 4
4 ओर उन से मिलकर उन्हें आज्ञा दी, कि यरूशलेम को न छोड़ो, परन्तु पिता की उस प्रतिज्ञा के पूरे होने की बाट जोहते रहो, जिस की चर्चा तुम मुझ से सुन चुके हो।

प्रेरितों के काम 1 : 5
5 क्योंकि यूहन्ना ने तो पानी में बपतिस्मा दिया है परन्तु थोड़े दिनों के बाद तुम पवित्रात्मा से बपतिस्मा पाओगे।

योएल 2 : 28 – 29
28 उन बातों के बाद मैं सब प्राणियों पर अपना आत्मा उण्डेलूंगा; तुम्हारे बेटे-बेटियां भविष्यद्वाणी करेंगी, और तुम्हारे पुरनिये स्वप्न देखेंगे, और तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे।
29 तुम्हारे दास और दासियों पर भी मैं उन दिनों में अपना आत्मा उण्डेलूंगा॥

प्रेरितों के काम 2 : 1 – 4
1 जब पिन्तेकुस का दिन आया, तो वे सब एक जगह इकट्ठे थे।
2 और एकाएक आकाश से बड़ी आंधी की सी सनसनाहट का शब्द हुआ, और उस से सारा घर जहां वे बैठे थे, गूंज गया।
3 और उन्हें आग की सी जीभें फटती हुई दिखाई दीं; और उन में से हर एक पर आ ठहरीं।
4 और वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और जिस प्रकार आत्मा ने उन्हें बोलने की सामर्थ दी, वे अन्य अन्य भाषा बोलने लगे॥

प्रेरितों के काम 19 : 1 – 6
1 और जब अपुल्लोस कुरिन्थुस में था, तो पौलुस ऊपर से सारे देश से होकर इफिसुस में आया, और कई चेलों को देख कर।
2 उन से कहा; क्या तुम ने विश्वास करते समय पवित्र आत्मा पाया? उन्होंने उस से कहा, हम ने तो पवित्र आत्मा की चर्चा भी नहीं सुनी।
3 उस ने उन से कहा; तो फिर तुम ने किस का बपतिस्मा लिया? उन्होंने कहा; यूहन्ना का बपतिस्मा।
4 पौलुस ने कहा; यूहन्ना ने यह कहकर मन फिराव का बपतिस्मा दिया, कि जो मेरे बाद आनेवाला है, उस पर अर्थात यीशु पर विश्वास करना।
5 यह सुनकर उन्होंने प्रभु यीशु के नाम का बपतिस्मा लिया।
6 और जब पौलुस ने उन पर हाथ रखे, तो उन पर पवित्र आत्मा उतरा, और वे भिन्न भिन्न भाषा बोलने और भविष्यद्ववाणी करने लगे।

लूका 3 : 16
16 तो यूहन्ना ने उन सब से उत्तर में कहा: कि मैं तो तुम्हें पानी से बपतिस्मा देता हूं, परन्तु वह आनेवाला है, जो मुझ से शक्तिमान है; मैं तो इस योग्य भी नहीं, कि उसके जूतों का बन्ध खोल सकूं, वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा।

1 कुरिन्थियों 14 : 1 – 40
1 प्रेम का अनुकरण करो, और आत्मिक वरदानों की भी धुन में रहो विशेष करके यह, कि भविष्यद्वाणी करो।
2 क्योंकि जो अन्य ‘भाषा में बातें करता है; वह मनुष्यों से नहीं, परन्तु परमेश्वर से बातें करता है; इसलिये कि उस की कोई नहीं समझता; क्योंकि वह भेद की बातें आत्मा में होकर बोलता है।
3 परन्तु जो भविष्यद्वाणी करता है, वह मनुष्यों से उन्नति, और उपदेश, और शान्ति की बातें कहता है।
4 जो अन्य भाषा में बातें करता है, वह अपनी ही उन्नति करता है; परन्तु जो भविष्यद्वाणी करता है, वह कलीसिया की उन्नति करता है।
5 मैं चाहता हूं, कि तुम सब अन्य भाषाओं में बातें करो, परन्तु अधिकतर यह चाहता हूं कि भविष्यद्वाणी करो: क्योंकि यदि अन्यान्य भाषा बोलने वाला कलीसिया की उन्नति के लिये अनुवाद न करे तो भविष्यद्ववाणी करने वाला उस से बढ़कर है।
6 इसलिये हे भाइयों, यदि मैं तुम्हारे पास आकर अन्य अन्य भाषा में बातें करूं, और प्रकाश, या ज्ञान, या भविष्यद्वाणी, या उपदेश की बातें तुम से न कहूं, तो मुझ से तुम्हें क्या लाभ होगा?
7 इसी प्रकार यदि निर्जीव वस्तुएं भी, जिन से ध्वनि निकलती है जैसे बांसुरी, या बीन, यदि उन के स्वरों में भेद न हो तो जो फूंका या बजाया जाता है, वह क्योंकर पहिचाना जाएगा?
8 और यदि तुरही का शब्द साफ न हो तो कौन लड़ाई के लिये तैयारी करेगा?
9 ऐसे ही तुम भी यदि जीभ से साफ साफ बातें न कहो, तो जो कुछ कहा जाता है वह क्योंकर समझा जाएगा? तुम तो हवा से बातें करने वाले ठहरोगे।
10 जगत में कितने ही प्रकार की भाषाएं क्यों न हों, परन्तु उन में से कोई भी बिना अर्थ की न होगी।
11 इसलिये यदि मैं किसी भाषा का अर्थ न समझूं, तो बोलने वाले की दृष्टि में परदेशी ठहरूंगा; और बोलने वाला मेरे दृष्टि में परदेशी ठहरेगा।
12 इसलिये तुम भी जब आत्मिक वरदानों की धुन में हो, तो ऐसा प्रयत्न करो, कि तुम्हारे वरदानों की उन्नति से कलीसिया की उन्नति हो।
13 इस कारण जो अन्य भाषा बोले, तो वह प्रार्थना करे, कि उसका अनुवाद भी कर सके।
14 इसलिये यदि मैं अन्य भाषा में प्रार्थना करूं, तो मेरी आत्मा प्रार्थना करती है, परन्तु मेरी बुद्धि काम नहीं देती।
15 सो क्या करना चाहिए मैं आत्मा से भी प्रार्थना करूंगा, और बुद्धि से भी प्रार्थना करूंगा; मैं आत्मा से गाऊंगा, और बुद्धि से भी गाऊंगा।
16 नहीं तो यदि तू आत्मा ही से धन्यवाद करेगा, तो फिर अज्ञानी तेरे धन्यवाद पर आमीन क्योंकर कहेगा? इसलिये कि वह तो नहीं जानता, कि तू क्या कहता है?
17 तू तो भली भांति से धन्यवाद करता है, परन्तु दूसरे की उन्नति नहीं होती।
18 मैं अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं, कि मैं तुम सब से अधिक अन्य अन्य भाषा में बोलता हूं।
19 परन्तु कलीसिया में अन्य भाषा में दस हजार बातें कहने से यह मुझे और भी अच्छा जान पड़ता है, कि औरों के सिखाने के लिये बुद्धि से पांच ही बातें कहूं॥
20 हे भाइयो, तुम समझ में बालक न बनो: तौभी बुराई में तो बालक रहो, परन्तु समझ में सियाने बनो।
21 व्यवस्था में लिखा है, कि प्रभु कहता है; मैं अन्य भाषा बोलने वालों के द्वारा, और पराए मुख के द्वारा इन लोगों से बात करूंगा तौभी वे मेरी न सुनेंगे।
22 इसलिये अन्य अन्य भाषाएं विश्वासियों के लिये नहीं, परन्तु अविश्वासियों के लिये चिन्ह हैं, और भविष्यद्वाणी अविश्वासीयों के लिये नहीं परन्तु विश्वासियों के लिये चिन्ह हैं।
23 सो यदि कलीसिया एक जगह इकट्ठी हो, और सब के सब अन्य अन्य भाषा बोलें, और अनपढ़े या अविश्वासी लोग भीतर आ जाएं तो क्या वे तुम्हें पागल न कहेंगे?
24 परन्तु यदि सब भविष्यद्वाणी करने लगें, और कोई अविश्वासी या अनपढ़ा मनुष्य भीतर आ जाए, तो सब उसे दोषी ठहरा देंगे और परखलेंगे।
25 और उसके मन के भेद प्रगट हो जाएंगे, और तब वह मुंह के बल गिरकर परमेश्वर को दण्डवत करेगा, और मान लेगा, कि सचमुच परमेश्वर तुम्हारे बीच में है।
26 इसलिये हे भाइयो क्या करना चाहिए? जब तुम इकट्ठे होते हो, तो हर एक के हृदय में भजन, या उपदेश, या अन्यभाषा, या प्रकाश, या अन्यभाषा का अर्थ बताना रहता है: सब कुछ आत्मिक उन्नति के लिये होना चाहिए।
27 यदि अन्य भाषा में बातें करनीं हों, तो दो दो, या बहुत हो तो तीन तीन जन बारी बारी बोलें, और एक व्यक्ति अनुवाद करे।
28 परन्तु यदि अनुवाद करने वाला न हो, तो अन्य भाषा बालने वाला कलीसिया में शान्त रहे, और अपने मन से, और परमेश्वर से बातें करे।
29 भविष्यद्वक्ताओं में से दो या तीन बोलें, और शेष लोग उन के वचन को परखें।
30 परन्तु यदि दूसरे पर जो बैठा है, कुछ ईश्वरीय प्रकाश हो, तो पहिला चुप हो जाए।
31 क्योंकि तुम सब एक एक करके भविष्यद्वाणी कर सकते हो ताकि सब सीखें, और सब शान्ति पाएं।
32 और भविष्यद्वक्ताओं की आत्मा भविष्यद्वक्ताओं के वश में है।
33 क्योंकि परमेश्वर गड़बड़ी का नहीं, परन्तु शान्ति का कर्त्ता है; जैसा पवित्र लोगों की सब कलीसियाओं में है॥
34 स्त्रियां कलीसिया की सभा में चुप रहें, क्योंकि उन्हें बातें करने की आज्ञा नहीं, परन्तु आधीन रहने की आज्ञा है: जैसा व्यवस्था में लिखा भी है।
35 और यदि वे कुछ सीखना चाहें, तो घर में अपने अपने पति से पूछें, क्योंकि स्त्री का कलीसिया में बातें करना लज्ज़ा की बात है।
36 क्या परमेश्वर का वचन तुम में से निकला? या केवल तुम ही तक पहुंचा है?
37 यदि कोई मनुष्य अपने आप को भविष्यद्वक्ता या आत्मिक जन समझे, तो यह जान ले, कि जो बातें मैं तुम्हें लिखता हूं, वे प्रभु की आज्ञाएं हैं।
38 परन्तु यदि कोई न जाने, तो न जाने॥
39 सो हे भाइयों, भविष्यद्वाणी करने की धुन में रहो और अन्य भाषा बोलने से मना न करो।
40 पर सारी बातें सभ्यता और क्रमानुसार की जाएं।

यूहन्ना 1 : 1
1 आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था।

2 कुरिन्थियों 5 : 17
17 सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं।

यूहन्ना 4 : 10 – 14
10 यीशु ने उत्तर दिया, यदि तू परमेश्वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझ से कहता है; मुझे पानी पिला तो तू उस से मांगती, और वह तुझे जीवन का जल देता।
11 स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, तेरे पास जल भरने को तो कुछ है भी नहीं, और कूआं गहिरा है: तो फिर वह जीवन का जल तेरे पास कहां से आया?
12 क्या तू हमारे पिता याकूब से बड़ा है, जिस ने हमें यह कूआं दिया; और आप ही अपने सन्तान, और अपने ढोरों समेत उस में से पीया?
13 यीशु ने उस को उत्तर दिया, कि जो कोई यह जल पीएगा वह फिर प्यासा होगा।
14 परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूंगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा: वरन जो जल मैं उसे दूंगा, वह उस में एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा।

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