ड्यूटी (1)

ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं ड्यूटी (1)

व्यवस्थाविवरण 6 : 5
5 तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना।

व्यवस्थाविवरण 10 : 13
13 और यहोवा की जो जो आज्ञा और विधि मैं आज तुझे सुनाता हूं उन को ग्रहण करे, जिस से तेरा भला हो?

व्यवस्थाविवरण 11 : 1
1 इसलिये तू अपने परमेश्वर यहोवा से अत्यन्त प्रेम रखना, और जो कुछ उसने तुझे सौंपा है उसका, अर्थात उसी विधियों, नियमों, और आज्ञाओं का नित्य पालन करना।

व्यवस्थाविवरण 30 : 20
20 इसलिये अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम करो, और उसकी बात मानों, और उस से लिपटे रहो; क्योंकि तेरा जीवन और दीर्घ जीवन यही है, और ऐसा करने से जिस देश को यहोवा ने इब्राहीम, इसहाक, और याकूब, तेरे पूर्वजों को देने की शपथ खाई थी उस देश में तू बसा रहेगा॥

यहोशू 22 : 5
5 केवल इस बात की पूरी चौकसी करना कि जो जो आज्ञा और व्यवस्था यहोवा के दास मूसा ने तुम को दी है उसको मानकर अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम रखो, उसके सारे मार्गों पर चलो, उसकी आज्ञाएं मानों, उसकी भक्ति मे लौलीन रहो, और अपने सारे मन और सारे प्राण से उसकी सेवा करो।

यहोशू 23 : 11
11 इसलिये अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम रखने की पूरी चौकसी करना।

भजन संहिता 31 : 23
23 हे यहोवा के सब भक्तों उससे प्रेम रखो! यहोवा सच्चे लोगों की तो रक्षा करता है, परन्तु जो अहंकार करता है, उसको वह भली भांति बदला देता है।

नीतिवचन 23 : 26
26 हे मेरे पुत्र, अपना मन मेरी ओर लगा, और तेरी दृष्टि मेरे चाल चलन पर लगी रहे।

मत्ती 4 : 10
10 तब यीशु ने उस से कहा; हे शैतान दूर हो जा, क्योंकि लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर।

मत्ती 12 : 50
50 क्योंकि जो कोई मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चले, वही मेरा भाई और बहिन और माता है॥

मत्ती 22 : 21
21 उन्होंने उस से कहा, कैसर का; तब उस ने, उन से कहा; जो कैसर का है, वह कैसर को; और जो परमेश्वर का है, वह परमेश्वर को दो।

मत्ती 22 : 40
40 ये ही दो आज्ञाएं सारी व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं का आधार है॥

लूका 17 : 10
10 इसी रीति से तुम भी, जब उन सब कामों को कर चुको जिस की आज्ञा तुम्हें दी गई थी, तो कहा, हम निकम्मे दास हैं; कि जो हमें करना चाहिए था वही किया है॥

लूका 21 : 4
4 क्योंकि उन सब ने अपनी अपनी बढ़ती में से दान में कुछ डाला है, परन्तु इस ने अपनी घटी में से अपनी सारी जीविका डाल दी है॥

यूहन्ना 4 : 34
34 यीशु ने उन से कहा, मेरा भोजन यह है, कि अपने भेजने वाले की इच्छा के अनुसार चलूं और उसका काम पूरा करूं।

यूहन्ना 6 : 38
38 क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं, वरन अपने भेजने वाले की इच्छा पूरी करने के लिये स्वर्ग से उतरा हूं।

यूहन्ना 14 : 15
15 यदि तुम मुझ से प्रेम रखते हो, तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे।

यूहन्ना 14 : 21
21 जिस के पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्हें मानता है, वही मुझ से प्रेम रखता है, और जो मुझ से प्रेम रखता है, उस से मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उस से प्रेम रखूंगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूंगा।

यूहन्ना 15 : 14
14 जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो।

प्रेरितों के काम 4 : 20
20 क्योंकि यह तो हम से हो नहीं सकता, कि जो हम ने देखा और सुना है, वह न कहें।

प्रेरितों के काम 5 : 29
29 तब पतरस और, और प्रेरितों ने उत्तर दिया, कि मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना ही कर्तव्य कर्म है।

लैव्यवस्था 19 : 1 – 360

1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
2 इस्त्राएलियों की सारी मण्डली से कह, कि तुम पवित्र बने रहो; क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा पवित्र हूं।
3 तुम अपनी अपनी माता और अपने अपने पिता का भय मानना, और मेरे विश्राम दिनों को मानना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।
4 तुम मूरतों की ओर न फिरना, और देवताओं की प्रतिमाएं ढालकर न बना लेना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।
5 जब तुम यहोवा के लिये मेलबलि करो, तब ऐसा बलिदान करना जिससे मैं तुम से प्रसन्न हो जाऊं।
6 उसका मांस बलिदान के दिन और दूसरे दिन खाया जाए, परन्तु तीसरे दिन तक जो रह जाए वह आग में जला दिया जाए।
7 और यदि उस में से कुछ भी तीसरे दिन खाया जाए, तो यह घृणित ठहरेगा, और ग्रहण न किया जाएगा।
8 और उसका खानेवाला यहोवा के पवित्र पदार्थ को अपवित्र ठहराता है, इसलिये उसको अपने अधर्म का भार स्वयं उठाना पड़ेगा; और वह प्राणी अपने लोगों में से नाश किया जाएगा॥
9 फिर जब तुम अपने देश के खेत काटो तब अपने खेत के कोने कोने तक पूरा न काटना, और काटे हुए खेत की गिरी पड़ी बालों को न चुनना।
10 और अपनी दाख की बारी का दाना दाना न तोड़ लेना, और अपनी दाख की बारी के झड़े हुए अंगूरों को न बटोरना; उन्हें दीन और परदेशी लोगों के लिये छोड़ देना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।
11 तुम चोरी न करना, और एक दूसरे से न तो कपट करना, और न झूठ बोलना।
12 तुम मेरे नाम की झूठी शपथ खाके अपने परमेश्वर का नाम अपवित्र न ठहराना; मैं यहोवा हूं।
13 एक दूसरे पर अन्धेर न करना, और न एक दूसरे को लूट लेना। और मजदूर की मजदूरी तेरे पास सारी रात बिहान तक न रहने पाए।
14 बहिरे को शाप न देना, और न अन्धे के आगे ठोकर रखना; और अपने परमेश्वर का भय मानना; मैं यहोवा हूं।
15 न्याय में कुटिलता न करना; और न तो कंगाल का पक्ष करना और न बड़े मनुष्यों का मुंह देखा विचार करना; उस दूसरे का न्याय धर्म से करना।
16 लूतरा बनके अपने लोगों में न फिरा करना, और एक दूसरे के लोहू बहाने की युक्तियां न बान्धना; मैं यहोवा हूं।
17 अपने मन में एक दूसरे के प्रति बैर न रखना; अपने पड़ोसी को अवश्य डांटना नहीं, तो उसके पाप का भार तुझ को उठाना पड़ेगा।
18 पलटा न लेना, और न अपने जाति भाइयों से बैर रखना, परन्तु एक दूसरे से अपने समान प्रेम रखना; मैं यहोवा हूं।
19 तुम मेरी विधियों को निरन्तर मानना। अपने पशुओं को भिन्न जाति के पशुओं से मेल न खाने देना; अपने खेत में दो प्रकार के बीज इकट्ठे न बोना; और सनी और ऊन की मिलावट से बना हुआ वस्त्र न पहिनना।
20 फिर कोई स्त्री दासी हो, और उसकी मंगनी किसी पुरूष से हुई हो, परन्तु वह न तो दाम से और न सेंतमेंत स्वाधीन की गई हो; उससे यदि कोई कुकर्म करे, तो उन दोनों को दण्ड तो मिले, पर उस स्त्री के स्वाधीन न होने के कारण वे दोनों मार न डाले जाएं।
21 पर वह पुरूष मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के पास एक मेढ़ा दोषबलि के लिये ले आए।
22 और याजक उसके किये हुए पाप के कारण दोषबलि के मेढ़े के द्वारा उसके लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करे; तब उसका किया हुआ पाप क्षमा किया जाएगा।
23 फिर जब तुम कनान देश में पंहुचकर किसी प्रकार के फल के वृक्ष लगाओ, तो उनके फल तीन वर्ष तक तुम्हारे लिये मानों खतनारहित ठहरें रहें; इसलिये उन में से कुछ न खाया जाए।
24 और चौथे वर्ष में उनके सब फल यहोवा की स्तुति करने के लिये पवित्र ठहरें।
25 तब पांचवें वर्ष में तुम उनके फल खाना, इसलिये कि उन से तुम को बहुत फल मिलें; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।
26 तुम लोहू लगा हुआ कुछ मांस न खाना। और न टोना करना, और न शुभ वा अशुभ मुहूर्तों को मानना।
27 अपने सिर में घेरा रखकर न मुंड़ाना, और न अपने गाल के बालों को मुंड़ाना।
28 मुर्दों के कारण अपने शरीर को बिलकुल न चीरना, और न उस में छाप लगाना; मैं यहोवा हूं।
29 अपनी बेटियों को वेश्या बनाकर अपवित्र न करना, ऐसा न हो कि देश वेश्यागमन के कारण महापाप से भर जाए।
30 मेरे विश्रामदिन को माना करना, और मेरे पवित्रस्थान का भय निरन्तर मानना; मैं यहोवा हूं।
31 ओझाओं और भूत साधने वालों की ओर न फिरना, और ऐसों को खोज करके उनके कारण अशुद्ध न हो जाना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।
32 पक्के बाल वाले के साम्हने उठ खड़े होना, और बूढ़े का आदरमान करना, और अपने परमेश्वर का भय निरन्तर मानना; मैं यहोवा हूं।
33 और यदि कोई परदेशी तुम्हारे देश में तुम्हारे संग रहे, तो उसको दु:ख न देना।
34 जो परदेशी तुम्हारे संग रहे वह तुम्हारे लिये देशी के समान हो, और उससे अपने ही समान प्रेम रखना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।
35 तुम न्याय में, और परिमाण में, और तौल में, और नाप में कुटिलता न करना।
36 सच्चा तराजू, धर्म के बटखरे, सच्चा एपा, और धर्म का हीन तुम्हारे पास रहें; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं जो तुम को मिस्र देश से निकाल ले आया।
37 इसलिये तुम मेरी सब विधियों और सब नियमों को मानते हुए निरन्तर पालन करो; मैं यहोवा हूं॥

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