कायाकल्प

ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं कायाकल्प

भजन संहिता 103 : 1 – 22
1 हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह; और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे!
2 हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना।
3 वही तो तेरे सब अधर्म को क्षमा करता, और तेरे सब रोगों को चंगा करता है,
4 वही तो तेरे प्राण को नाश होने से बचा लेता है, और तेरे सिर पर करूणा और दया का मुकुट बान्धता है,
5 वही तो तेरी लालसा को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है, जिस से तेरी जवानी उकाब की नाईं नई हो जाती है॥
6 यहोवा सब पिसे हुओं के लिये धर्म और न्याय के काम करता है।
7 उसने मूसा को अपनी गति, और इस्राएलियों पर अपने काम प्रगट किए।
8 यहोवा दयालु और अनुग्रहकरी, विलम्ब से कोप करने वाला और अति करूणामय है।
9 वह सर्वदा वादविवाद करता न रहेगा, न उसका क्रोध सदा के लिये भड़का रहेगा।
10 उसने हमारे पापों के अनुसार हम से व्यवहार नहीं किया, और न हमारे अधर्म के कामों के अनुसार हम को बदला दिया है।
11 जैसे आकाश पृथ्वी के ऊपर ऊंचा है, वैसे ही उसकी करूणा उसके डरवैयों के ऊपर प्रबल है।
12 उदयाचल अस्ताचल से जितनी दूर है, उसने हमारे अपराधों को हम से उतनी ही दूर कर दिया है।
13 जैसे पिता अपने बालकों पर दया करता है, वैसे ही यहोवा अपने डरवैयों पर दया करता है।
14 क्योंकि वह हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही है॥
15 मनुष्य की आयु घास के समान होती है, वह मैदान के फूल की नाईं फूलता है,
16 जो पवन लगते ही ठहर नहीं सकता, और न वह अपने स्थान में फिर मिलता है।
17 परन्तु यहोवा की करूणा उसके डरवैयों पर युग युग, और उसका धर्म उनके नाती- पोतों पर भी प्रगट होता रहता है,
18 अर्थात उन पर जो उसकी वाचा का पालन करते और उसके उपदेशों को स्मरण करके उन पर चलते हैं॥
19 यहोवा ने तो अपना सिंहासन स्वर्ग में स्थिर किया है, और उसका राज्य पूरी सृष्टि पर है।
20 हे यहोवा के दूतों, तुम जो बड़े वीर हो, और उसके वचन के मानने से उसको पूरा करते हो उसको धन्य कहो!
21 हे यहोवा की सारी सेनाओं, हे उसके टहलुओं, तुम जो उसकी इच्छा पूरी करते हो, उसको धन्य कहो!
22 हे यहोवा की सारी सृष्टि, उसके राज्य के सब स्थानों में उसको धन्य कहो। हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह!

1 तीमुथियुस 4 : 7 – 8
7 पर अशुद्ध और बूढिय़ों की सी कहानियों से अलग रह; और भक्ति के लिये अपना साधन कर।
8 क्योंकि देह की साधना से कम लाभ होता है, पर भक्ति सब बातों के लिये लाभदायक है, क्योंकि इस समय के और आने वाले जीवन की भी प्रतिज्ञा इसी के लिये है।

उत्पत्ति 2 : 1 – 25
1 यों आकाश और पृथ्वी और उनकी सारी सेना का बनाना समाप्त हो गया।
2 और परमेश्वर ने अपना काम जिसे वह करता था सातवें दिन समाप्त किया। और उसने अपने किए हुए सारे काम से सातवें दिन विश्राम किया।
3 और परमेश्वर ने सातवें दिन को आशीष दी और पवित्र ठहराया; क्योंकि उस में उसने अपनी सृष्टि की रचना के सारे काम से विश्राम लिया।
4 आकाश और पृथ्वी की उत्पत्ति का वृत्तान्त यह है कि जब वे उत्पन्न हुए अर्थात जिस दिन यहोवा परमेश्वर ने पृथ्वी और आकाश को बनाया:
5 तब मैदान का कोई पौधा भूमि पर न था, और न मैदान का कोई छोटा पेड़ उगा था, क्योंकि यहोवा परमेश्वर ने पृथ्वी पर जल नहीं बरसाया था, और भूमि पर खेती करने के लिये मनुष्य भी नहीं था;
6 तौभी कोहरा पृथ्वी से उठता था जिस से सारी भूमि सिंच जाती थी
7 और यहोवा परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा और उसके नथनों में जीवन का श्वास फूंक दिया; और आदम जीवता प्राणी बन गया।
8 और यहोवा परमेश्वर ने पूर्व की ओर अदन देश में एक वाटिका लगाई; और वहां आदम को जिसे उसने रचा था, रख दिया।
9 और यहोवा परमेश्वर ने भूमि से सब भांति के वृक्ष, जो देखने में मनोहर और जिनके फल खाने में अच्छे हैं उगाए, और वाटिका के बीच में जीवन के वृक्ष को और भले या बुरे के ज्ञान के वृक्ष को भी लगाया।
10 और उस वाटिका को सींचने के लिये एक महानदी अदन से निकली और वहां से आगे बहकर चार धारा में हो गई।
11 पहिली धारा का नाम पीशोन है, यह वही है जो हवीला नाम के सारे देश को जहां सोना मिलता है घेरे हुए है।
12 उस देश का सोना चोखा होता है, वहां मोती और सुलैमानी पत्थर भी मिलते हैं।
13 और दूसरी नदी का नाम गीहोन है, यह वही है जो कूश के सारे देश को घेरे हुए है।
14 और तीसरी नदी का नाम हिद्देकेल है, यह वही है जो अश्शूर के पूर्व की ओर बहती है। और चौथी नदी का नाम फरात है।
15 तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को ले कर अदन की वाटिका में रख दिया, कि वह उस में काम करे और उसकी रक्षा करे,
16 तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को यह आज्ञा दी, कि तू वाटिका के सब वृक्षों का फल बिना खटके खा सकता है:
17 पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल तू कभी न खाना: क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाए उसी दिन अवश्य मर जाएगा॥
18 फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं; मैं उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊंगा जो उससे मेल खाए।
19 और यहोवा परमेश्वर भूमि में से सब जाति के बनैले पशुओं, और आकाश के सब भाँति के पक्षियों को रचकर आदम के पास ले आया कि देखें, कि वह उनका क्या क्या नाम रखता है; और जिस जिस जीवित प्राणी का जो जो नाम आदम ने रखा वही उसका नाम हो गया।
20 सो आदम ने सब जाति के घरेलू पशुओं, और आकाश के पक्षियों, और सब जाति के बनैले पशुओं के नाम रखे; परन्तु आदम के लिये कोई ऐसा सहायक न मिला जो उससे मेल खा सके।
21 तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को भारी नीन्द में डाल दिया, और जब वह सो गया तब उसने उसकी एक पसली निकाल कर उसकी सन्ती मांस भर दिया।
22 और यहोवा परमेश्वर ने उस पसली को जो उसने आदम में से निकाली थी, स्त्री बना दिया; और उसको आदम के पास ले आया।
23 और आदम ने कहा अब यह मेरी हड्डियों में की हड्डी और मेरे मांस में का मांस है: सो इसका नाम नारी होगा, क्योंकि यह नर में से निकाली गई है।
24 इस कारण पुरूष अपने माता पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा और वे एक तन बने रहेंगे।
25 और आदम और उसकी पत्नी दोनो नंगे थे, पर लजाते न थे॥

लैव्यवस्था 23 : 1 – 44
1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
2 इस्त्राएलियों से कह, कि यहोवा के पर्ब्ब जिनका तुम को पवित्र सभा एकत्रित करने के लिये नियत समय पर प्रचार करना होगा, मेरे वे पर्ब्ब ये हैं।
3 छ: दिन कामकाज किया जाए, पर सातवां दिन परमविश्राम का और पवित्र सभा का दिन है; उस में किसी प्रकार का कामकाज न किया जाए; वह तुम्हारे सब घरों में यहोवा का विश्राम दिन ठहरे॥
4 फिर यहोवा के पर्ब्ब जिन में से एक एक के ठहराये हुए समय में तुम्हें पवित्र सभा करने के लिये प्रचार करना होगा वे ये हैं।
5 पहिले महीने के चौदहवें दिन को गोधूलि के समय यहोवा का फसह हुआ करे।
6 और उसी महीने के पंद्रहवें दिन को यहोवा के लिये अखमीरी रोटी का पर्ब्ब हुआ करे; उस में तुम सात दिन तक अखमीरी रोटी खाया करना।
7 उन में से पहिले दिन तुम्हारी पवित्र सभा हो; और उस दिन परिश्रम का कोई काम न करना।
8 और सातों दिन तुम यहोवा को हव्य चढ़ाया करना; और सातवें दिन पवित्र सभा हो; उस दिन परिश्रम का कोई काम न करना॥
9 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
10 इस्त्राएलियों से कह, कि जब तुम उस देश में प्रवेश करो जिसे यहोवा तुम्हें देता है और उस में के खेत काटो, तब अपने अपने पक्के खेत की पहिली उपज का पूला याजक के पास ले आया करना;
11 और वह उस पूले को यहोवा के साम्हने हिलाए, कि वह तुम्हारे निमित्त ग्रहण किया जाए; वह उसे विश्रामदिन के दूसरे दिन हिलाए।
12 और जिस दिन तुम पूले को हिलवाओ उसी दिन एक वर्ष का निर्दोष भेड़ का बच्चा यहोवा के लिये होमबलि चढ़ाना।
13 और उसके साथ का अन्नबलि एपा के दो दसवें अंश तेल से सने हुए मैदे का हो वह सुखदायक सुगन्ध के लिये यहोवा का हव्य हो; और उसके साथ का अर्घ हीन भर की चौथाई दाखमधु हो।
14 और जब तक तुम इस चढ़ावे को अपने परमेश्वर के पास न ले जाओ, उस दिन तक नये खेत में से न तो रोटी खाना और न भुना हुआ अन्न और न हरी बालें; यह तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में तुम्हारे सारे घरानों में सदा की विधि ठहरे॥
15 फिर उस विश्रामदिन के दूसरे दिन से, अर्थात जिस दिन तुम हिलाई जाने वाली भेंट के पूले को लाओगे, उस दिन से पूरे सात विश्रामदिन गिन लेना;
16 सातवें विश्रामदिन के दूसरे दिन तक पचास दिन गिनना, और पचासवें दिन यहोवा के लिये नया अन्नबलि चढ़ाना।
17 तुम अपने घरों में से एपा के दो दसवें अंश मैदे की दो रोटियां हिलाने की भेंट के लिये ले आना; वे खमीर के साथ पकाई जाएं, और यहोवा के लिये पहिली उपज ठहरें।
18 और उस रोटी के संग एक एक वर्ष के सात निर्दोष भेड़ के बच्चे, और एक बछड़ा, और दो मेढ़े चढ़ाना; वे अपने अपने साथ के अन्नबलि और अर्घ समेत यहोवा के लिये होमबलि के समान चढ़ाए जाएं, अर्थात वे यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्ध देने वाला हव्य ठहरें।
19 फिर पापबलि के लिये एक बकरा, और मेलबलि के लिये एक एक वर्ष के दो भेड़ के बच्चे चढ़ाना।
20 तब याजक उन को पहिली उपज की रोटी समेत यहोवा के साम्हने हिलाने की भेंट के लिये हिलाए, और इन रोटियों के संग वे दो भेड़ के बच्चे भी हिलाए जाएं; वे यहोवा के लिये पवित्र, और याजक का भाग ठहरें।
21 और तुम उस दिन यह प्रचार करना, कि आज हमारी एक पवित्र सभा होगी; और परिश्रम का कोई काम न करना; यह तुम्हारे सारे घरानों में तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में सदा की विधि ठहरे॥
22 जब तुम अपने देश में के खेत काटो, तब अपने खेत के कोनों को पूरी रीति से न काटना, और खेत में गिरी हुई बालों को न इकट्ठा करना; उसे दीनहीन और परदेशी के लिये छोड़ देना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं॥
23 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
24 इस्त्राएलियों से कह, कि सातवें महीने के पहिले दिन को तुम्हारे लिये परमविश्राम हो; उस में स्मरण दिलाने के लिये नरसिंगे फूंके जाएं, और एक पवित्र सभा इकट्ठी हो।
25 उस दिन तुम परिश्रम का कोई काम न करना, और यहोवा के लिये एक हव्य चढ़ाना॥
26 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
27 उसी सातवें महीने का दसवां दिन प्रायश्चित्त का दिन माना जाए; वह तुम्हारी पवित्र सभा का दिन होगा, और उस में तुम अपने अपने जीव को दु:ख देना और यहोवा का हव्य चढ़ाना।
28 उस दिन तुम किसी प्रकार का कामकाज न करना; क्योंकि वह प्रायश्चित्त का दिन नियुक्त किया गया है जिस में तुम्हारे परमेश्वर यहोवा के साम्हने तुम्हारे लिये प्रायश्चित्त किया जाएगा।
29 इसलिये जो प्राणी उस दिन दु:ख न सहे वह अपने लोगों में से नाश किया जाएगा।
30 और जो प्राणी उस दिन किसी प्रकार का कामकाज करे उस प्राणी को मैं उसके लोगों के बीच में से नाश कर डालूंगा।
31 तुम किसी प्रकार का कामकाज न करना; यह तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में तुम्हारे घराने में सदा की विधी ठहरे।
32 वह दिन तुम्हारे लिये परमविश्राम का हो, उस में तुम अपने अपने जीव को दु:ख देना; और उस महीने के नवें दिन की सांझ से ले कर दूसरी सांझ तक अपना विश्रामदिन माना करना॥
33 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
34 इस्त्राएलियों से कह, कि उसी सातवें महीने के पन्द्रहवें दिन से सात दिन तक यहोवा के लिये झोंपडिय़ों का पर्ब्ब रहा करे।
35 पहिले दिन पवित्र सभा हो; उस में परिश्रम का कोई काम न करना।
36 सातोंदिन यहोवा के लिये हव्य चढ़ाया करना, फिर आठवें दिन तुम्हारी पवित्र सभा हो, और यहोवा के लिये हव्य चढ़ाना; वह महासभा का दिन है, और उस में परिश्रम का कोई काम न करना॥
37 यहोवा के नियत पर्ब्ब ये ही हैं, इन में तुम यहोवा को हव्य चढ़ाना, अर्थात होमबलि, अन्नबलि, मेलबलि, और अर्घ, प्रत्येक अपने अपने नियत समय पर चढ़ाया जाए और पवित्र सभा का प्रचार करना।
38 इन सभों से अधिक यहोवा के विश्रामदिनों को मानना, और अपनी भेंटों, और सब मन्नतों, और स्वेच्छाबलियों को जो यहोवा को अर्पण करोगे चढ़ाया करना॥
39 फिर सातवें महीने के पन्द्रहवें दिन को, जब तुम देश की उपज को इकट्ठा कर चुको, तब सात दिन तक यहोवा का पर्ब्ब मानना; पहिले दिन परमविश्राम हो, और आठवें दिन परमविश्राम हो।
40 और पहिले दिन तुम अच्छे अच्छे वृक्षों की उपज, और खजूर के पत्ते, और घने वृक्षों की डालियां, और नालों में के मजनू को ले कर अपने परमेश्वर यहोवा के साम्हने सात दिन तक आनन्द करना।
41 और प्रतिवर्ष सात दिन तक यहोवा के लिये पर्ब्ब माना करना; यह तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में सदा की विधि ठहरे, कि सातवें महीने में यह पर्ब्ब माना जाए।
42 सात दिन तक तुम झोंपडिय़ों में रहा करना, अर्थात जितने जन्म के इस्त्राएली हैं वे सब के सब झोंपडिय़ों में रहें,
43 इसलिये कि तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी के लोग जान रखें, कि जब यहोवा हम इस्त्राएलियों को मिस्र देश से निकाल कर ला रहा था तब उसने उन को झोंपडिय़ों में टिकाया था; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।
44 और मूसा ने इस्त्राएलियों को यहोवा के पर्ब्ब के नियत समय कह सुनाए॥

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