इसके बारे में बाइबल क्या कहता है कयामत – बाइबल की सभी आयतें कयामत

ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं कयामत

मत्ती 24 : 36
36 उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत, और न पुत्र, परन्तु केवल पिता।

प्रकाशित वाक्य 7 : 1 – 17
1 इसके बाद मैं ने पृथ्वी के चारों कोनों पर चार स्वर्गदूत खड़े देखे, वे पृथ्वी की चारों हवाओं को थामे हुए थे ताकि पृथ्वी, या समुद्र, या किसी पेड़ पर, हवा न चले।
2 फिर मैं ने एक और स्वर्गदूत को जीवते परमेश्वर की मुहर लिए हुए पूरब से ऊपर की ओर आते देखा; उस ने उन चारों स्वर्गदूतों से जिन्हें पृथ्वी और समुद्र की हानि करने का अधिकार दिया गया था, ऊंचे शब्द से पुकार कर कहा।
3 जब तक हम अपने परमेश्वर के दासों के माथे पर मुहर न लगा दें, तब तक पृथ्वी और समुद्र और पेड़ों को हानि न पहुंचाना।
4 और जिन पर मुहर दी गई, मैं ने उन की गिनती सुनी, कि इस्त्राएल की सन्तानों के सब गोत्रों में से एक लाख चौवालीस हजार पर मुहर दी गई।
5 यहूदा के गोत्र में से बारह हजार पर मुहर दी गई; रूबेन के गोत्र में से बारह हजार पर; गाद के गोत्र में से बारह हजार पर।
6 आशेर के गोत्र में से बारह हजार पर; नपताली के गोत्र में से बारह हजार पर; मनश्श्हि के गोत्र में से बारह हजार पर।
7 शमौन के गोत्र में से बारह हजार पर; लेवी के गोत्र में से बारह हजार पर; लेवी के गोत्र में से बारह हजार पर; इस्साकार के गोत्र में से बारह हजार पर।
8 जबूलून के गोत्र में से बारह हजार पर; यूसुफ के गोत्र में से बारह हजार पर और बिन्यामीन के गोत्र में से बारह हजार पर मुहर दी गई।
9 इस के बाद मैं ने दृष्टि की, और देखो, हर एक जाति, और कुल, और लोग और भाषा में से एक ऐसी बड़ी भीड़, जिसे कोई गिन नहीं सकता था श्वेत वस्त्र पहिने, और अपने हाथों में खजूर की डालियां लिये हुए सिंहासन के साम्हने और मेम्ने के साम्हने खड़ी है।
10 और बड़े शब्द से पुकार कर कहती है, कि उद्धार के लिये हमारे परमेश्वर का जो सिंहासन पर बैठा है, और मेम्ने का जय-जय-कार हो।
11 और सारे स्वर्गदूत, उस सिंहासन और प्राचीनों और चारों प्राणियों के चारों ओर खड़े हैं, फिर वे सिंहासन के साम्हने मुंह के बल गिर पड़े; और परमेश्वर को दण्डवत् कर के कहा, आमीन।
12 हमारे परमेश्वर की स्तुति, ओर महिमा, और ज्ञान, और धन्यवाद, और आदर, और सामर्थ, और शक्ति युगानुयुग बनी रहें। आमीन।
13 इस पर प्राचीनों में से एक ने मुझ से कहा; ये श्वेत वस्त्र पहिने हुए कौन हैं? और कहां से आए हैं?
14 मैं ने उस से कहा; हे स्वामी, तू ही जानता है: उस ने मुझ से कहा; ये वे हैं, जो उस बड़े क्लेश में से निकल कर आए हैं; इन्होंने अपने अपने वस्त्र मेम्ने के लोहू में धो कर श्वेत किए हैं।
15 इसी कारण वे परमेश्वर के सिंहासन के साम्हने हैं, और उसके मन्दिर में दिन रात उस की सेवा करते हैं; और जो सिंहासन पर बैठा है, वह उन के ऊपर अपना तम्बू तानेगा।
16 वे फिर भूखे और प्यासे न होंगे: ओर न उन पर धूप, न कोई तपन पड़ेगी।
17 क्योंकि मेम्ना जो सिंहासन के बीच में है, उन की रखवाली करेगा; और उन्हें जीवन रूपी जल के सोतों के पास ले जाया करेगा, और परमेश्वर उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा॥

यूहन्ना 3 : 1 – 33
1 फरीसियों में से नीकुदेमुस नाम एक मनुष्य था, जो यहूदियों का सरदार था।
2 उस ने रात को यीशु के पास आकर उस से कहा, हे रब्बी, हम जानते हैं, कि तू परमेश्वर की आरे से गुरू हो कर आया है; क्योंकि कोई इन चिन्हों को जो तू दिखाता है, यदि परमेश्वर उसके साथ न हो, तो नहीं दिखा सकता।
3 यीशु ने उस को उत्तर दिया; कि मैं तुझ से सच सच कहता हूं, यदि कोई नये सिरे से न जन्मे तो परमेश्वर का राज्य देख नहीं सकता।
4 नीकुदेमुस ने उस से कहा, मनुष्य जब बूढ़ा हो गया, तो क्योंकर जन्म ले सकता है? क्या वह अपनी माता के गर्भ में दुसरी बार प्रवेश करके जन्म ले सकता है?
5 यीशु ने उत्तर दिया, कि मैं तुझ से सच सच कहता हूं; जब तक कोई मनुष्य जल और आत्मा से न जन्मे तो वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता।
6 क्योंकि जो शरीर से जन्मा है, वह शरीर है; और जो आत्मा से जन्मा है, वह आत्मा है।
7 अचम्भा न कर, कि मैं ने तुझ से कहा; कि तुम्हें नये सिरे से जन्म लेना अवश्य है।
8 हवा जिधर चाहती है उधर चलती है, और तू उसका शब्द सुनता है, परन्तु नहीं जानता, कि वह कहां से आती और किधर को जाती है? जो कोई आत्मा से जन्मा है वह ऐसा ही है।
9 नीकुदेमुस ने उस को उत्तर दिया; कि ये बातें क्योंकर हो सकती हैं?
10 यह सुनकर यीशु ने उस से कहा; तू इस्त्राएलियों का गुरू हो कर भी क्या इन बातों को नहीं समझता?
11 मैं तुझ से सच सच कहता हूं कि हम जो जानते हैं, वह कहते हैं, और जिसे हम ने देखा है उस की गवाही देते हैं, और तुम हमारी गवाही ग्रहण नहीं करते।
12 जब मैं ने तुम से पृथ्वी की बातें कहीं, और तुम प्रतीति नहीं करते, तो यदि मैं तुम से स्वर्ग की बातें कहूं, तो फिर क्योंकर प्रतीति करोगे?
13 और कोई स्वर्ग पर नहीं चढ़ा, केवल वही जो स्वर्ग से उतरा, अर्थात मनुष्य का पुत्र जो स्वर्ग में है।
14 और जिस रीति से मूसा ने जंगल में सांप को ऊंचे पर चढ़ाया, उसी रीति से अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र भी ऊंचे पर चढ़ाया जाए।
15 ताकि जो कोई विश्वास करे उस में अनन्त जीवन पाए॥
16 क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।
17 परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिये नहीं भेजा, कि जगत पर दंड की आज्ञा दे परन्तु इसलिये कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए।
18 जो उस पर विश्वास करता है, उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती, परन्तु जो उस पर विश्वास नहीं करता, वह दोषी ठहर चुका; इसलिये कि उस ने परमेश्वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्वास नहीं किया।
19 और दंड की आज्ञा का कारण यह है कि ज्योति जगत में आई है, और मनुष्यों ने अन्धकार को ज्योति से अधिक प्रिय जाना क्योंकि उन के काम बुरे थे।
20 क्योंकि जो कोई बुराई करता है, वह ज्योति से बैर रखता है, और ज्योति के निकट नहीं आता, ऐसा न हो कि उसके कामों पर दोष लगाया जाए।
21 परन्तु जो सच्चाई पर चलता है वह ज्योति के निकट आता है, ताकि उसके काम प्रगट हों, कि वह परमेश्वर की ओर से किए गए हैं।
22 इस के बाद यीशु और उसके चेले यहूदिया देश में आए; और वह वहां उन के साथ रहकर बपतिस्मा देने लगा।
23 और यूहन्ना भी शालेम् के निकट ऐनोन में बपतिस्मा देता था। क्योंकि वहां बहुत जल था और लोग आकर बपतिस्मा लेते थे।
24 क्योंकि यूहन्ना उस समय तक जेलखाने में नहीं डाला गया था।
25 वहां यूहन्ना के चेलों का किसी यहूदी के साथ शुद्धि के विषय में वाद-विवाद हुआ।
26 और उन्होंने यूहन्ना के पास आकर उस से कहा, हे रब्बी, जो व्यक्ति यरदन के पार तेरे साथ था, और जिस की तू ने गवाही दी है देख, वह बपतिस्मा देता है, और सब उसके पास आते हैं।
27 यूहन्ना ने उत्तर दिया, जब तक मनुष्य को स्वर्ग से न दिया जाए तब तक वह कुछ नहीं पा सकता।
28 तुम तो आप ही मेरे गवाह हो, कि मैं ने कहा, मैं मसीह नहीं, परन्तु उसके आगे भेजा गया हूं।
29 जिस की दुलहिन है, वही दूल्हा है: परन्तु दूल्हे का मित्र जो खड़ा हुआ उस की सुनता है, दूल्हे के शब्द से बहुत हर्षित होता है; अब मेरा यह हर्ष पूरा हुआ है।
30 अवश्य है कि वह बढ़े और मैं घटूं॥
31 जो ऊपर से आता है, वह सर्वोत्तम है, जो पृथ्वी से आता है वह पृथ्वी का है; और पृथ्वी की ही बातें कहता है: जो स्वर्ग से आता है, वह सब के ऊपर है।
32 जो कुछ उस ने देखा, और सुना है, उसी की गवाही देता है; और कोई उस की गवाही ग्रहण नहीं करता।
33 जिस ने उस की गवाही ग्रहण कर ली उस ने इस बात पर छाप दे दी कि परमेश्वर सच्चा है।

प्रकाशित वाक्य 17 : 8 – 10
8 जो पशु तू ने देखा है, यह पहिले तो था, पर अब नहीं है, और अथाह कुंड से निकल कर विनाश में पड़ेगा, और पृथ्वी के रहने वाले जिन के नाम जगत की उत्पत्ति के समय से जीवन की पुस्तक में लिखे नहीं गए, इस पशु की यह दशा देखकर, कि पहिले था, और अब नहीं; और फिर आ जाएगा, अचंभा करेंगे।
9 उस बुद्धि के लिये जिस में ज्ञान है यही अवसर है, वे सातों सिर सात पहाड़ हैं, जिन पर वह स्त्री बैठी है।
10 और वे सात राजा भी हैं, पांच तो हो चुके हैं, और एक अभी है; और एक अब तक आया नहीं, और जब आएगा, तो कुछ समय तक उसका रहना भी अवश्य है।

प्रकाशित वाक्य 12 : 1 – 17
1 फिर स्वर्ग पर एक बड़ा चिन्ह दिखाई दिया, अर्थात एक स्त्री जो सूर्य्य ओढ़े हुए थी, और चान्द उसके पांवों तले था, और उसके सिर पर बारह तारों का मुकुट था।
2 और वह गर्भवती हुई, और चिल्लाती थी; क्योंकि प्रसव की पीड़ा उसे लगी थी; और वह बच्चा जनने की पीड़ा में थी।
3 और एक और चिन्ह स्वर्ग पर दिखाई दिया, और देखो; एक बड़ा लाल अजगर था जिस के सात सिर और दस सींग थे, और उसके सिरों पर सात राजमुकुट थे।
4 और उस की पूंछ ने आकाश के तारों की एक तिहाई को खींच कर पृथ्वी पर डाल दिया, और वह अजगर उस स्त्री से साम्हने जो जच्चा थी, खड़ा हुआ, कि जब वह बच्चा जने तो उसके बच्चे को निगल जाए।
5 और वह बेटा जनी जो लोहे का दण्ड लिए हुए, सब जातियों पर राज्य करने पर था, और उसका बच्चा एकाएक परमेश्वर के पास, और उसके सिंहासन के पास उठा कर पहुंचा दिया गया।
6 और वह स्त्री उस जंगल को भाग गई, जहां परमेश्वर की ओर से उसके लिये एक जगह तैयार की गई थी, कि वहां वह एक हजार दो सौ साठ दिन तक पाली जाए॥
7 फिर स्वर्ग पर लड़ाई हुई, मीकाईल और उसके स्वर्गदूत अजगर से लड़ने को निकले, और अजगर ओर उसके दूत उस से लड़े।
8 परन्तु प्रबल न हुए, और स्वर्ग में उन के लिये फिर जगह न रही।
9 और वह बड़ा अजगर अर्थात वही पुराना सांप, जो इब्लीस और शैतान कहलाता है, और सारे संसार का भरमाने वाला है, पृथ्वी पर गिरा दिया गया; और उसके दूत उसके साथ गिरा दिए गए।
10 फिर मैं ने स्वर्ग पर से यह बड़ा शब्द आते हुए सुना, कि अब हमारे परमेश्वर का उद्धार, और सामर्थ, और राज्य, और उसके मसीह का अधिकार प्रगट हुआ है; क्योंकि हमारे भाइयों पर दोष लगाने वाला, जो रात दिन हमारे परमेश्वर के साम्हने उन पर दोष लगाया करता था, गिरा दिया गया।
11 और वे मेम्ने के लोहू के कारण, और अपनी गवाही के वचन के कारण, उस पर जयवन्त हुए, और उन्होंने अपने प्राणों को प्रिय न जाना, यहां तक कि मृत्यु भी सह ली।
12 इस कारण, हे स्वर्गों, और उन में के रहने वालों मगन हो; हे पृथ्वी, और समुद्र, तुम पर हाय! क्योंकि शैतान बड़े क्रोध के साथ तुम्हारे पास उतर आया है; क्योंकि जानता है, कि उसका थोड़ा ही समय और बाकी है॥
13 और जब अजगर ने देखा, कि मैं पृथ्वी पर गिरा दिया गया हूं, तो उस स्त्री को जो बेटा जनी थी, सताया।
14 और उस स्त्री को बड़े उकाब के दो पंख दिए गए, कि सांप के साम्हने से उड़ कर जंगल में उस जगह पहुंच जाए, जहां वह एक समय, और समयों, और आधे समय तक पाली जाए।
15 और सांप ने उस स्त्री के पीछे अपने मुंह से नदी की नाईं पानी बहाया, कि उसे इस नदी से बहा दे।
16 परन्तु पृथ्वी ने उस स्त्री की सहायता की, और अपना मुंह खोल कर उस नदी को जो अजगर ने अपने मुंह से बहाई थी, पी लिया।
17 और अजगर स्त्री पर क्रोधित हुआ, और उसकी शेष सन्तान से जो परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते, और यीशु की गवाही देने पर स्थिर हैं, लड़ने को गया। और वह समुद्र के बालू पर जा खड़ा हुआ॥

फिलिप्पियों 2 : 14 – 17
14 सब काम बिना कुड़कुड़ाए और बिना विवाद के किया करो।
15 ताकि तुम निर्दोष और भोले होकर टेढ़े और हठीले लोगों के बीच परमेश्वर के निष्कलंक सन्तान बने रहो, (जिन के बीच में तुम जीवन का वचन लिए हुए जगत में जलते दीपकों की नाईं दिखाई देते हो)।
16 कि मसीह के दिन मुझे घमण्ड करने का कारण हो, कि न मेरा दौड़ना और न मेरा परिश्रम करना व्यर्थ हुआ।
17 और यदि मुझे तुम्हारे विश्वास के बलिदान और सेवा के साथ अपना लोहू भी बहाना पड़े तौभी मैं आनन्दित हूं, और तुम सब के साथ आनन्द करता हूं।

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