विद्रोही बच्चे

ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं विद्रोही बच्चे

नीतिवचन 29 : 15
15 छड़ी और डांट से बुद्धि प्राप्त होती है, परन्तु जो लड़का यों ही छोड़ा जाता है वह अपनी माता की लज्जा का कारण होता है।

व्यवस्थाविवरण 21 : 18 – 21
18 यदि किसी के हठीला और दंगैत बेटा हो, जो अपने माता-पिता की बात न माने, किन्तु ताड़ना देने पर भी उनकी न सुने,
19 तो उसके माता-पिता उसे पकड़कर अपने नगर से बाहर फाटक के निकट नगर के सियानों के पास ले जाएं,
20 और वे नगर के सियानों से कहें, कि हमारा यह बेटा हठीला और दंगैत है, यह हमारी नहीं सुनता; यह उड़ाऊ और पियक्कड़ है।
21 तब उस नगर के सब पुरूष उसको पत्थरवाह करके मार डाले, यों तू अपने मध्य में से ऐसी बुराई को दूर करना, तब सारे इस्राएली सुनकर भय खाएंगे।

निर्गमन 20 : 12
12 तू अपने पिता और अपनी माता का आदर करना, जिस से जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उस में तू बहुत दिन तक रहने पाए॥

कुलुस्सियों 3 : 20
20 हे बालको, सब बातों में अपने अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करो, क्योंकि प्रभु इस से प्रसन्न होता है।

लैव्यवस्था 20 : 9
9 कोई क्यों न हो जो अपने पिता वा माता को शाप दे वह निश्चय मार डाला जाए; उसने अपने पिता वा माता को शाप दिया है, इस कारण उसका खून उसी के सिर पर पड़ेगा।

नीतिवचन 13 : 24
24 जो बेटे पर छड़ी नहीं चलाता वह उसका बैरी है, परन्तु जो उस से प्रेम रखता, वह यत्न से उस को शिक्षा देता है।

नीतिवचन 29 : 17
17 अपने बेटे की ताड़ना कर, तब उस से तुझे चैन मिलेगा; और तेरा मन सुखी हो जाएगा।

नीतिवचन 22 : 15
15 लड़के के मन में मूढ़ता की गाँठ बन्धी रहती है, परन्तु छड़ी की ताड़ना के द्वारा वह उस से दूर की जाती है।

कुलुस्सियों 3 : 21
21 हे बच्चे वालो, अपने बालकों को तंग न करो, न हो कि उन का साहस टूट जाए।

नीतिवचन 22 : 6
6 लड़के को शिक्षा उसी मार्ग की दे जिस में उस को चलना चाहिये, और वह बुढ़ापे में भी उस से न हटेगा।

इफिसियों 6 : 4
4 और हे बच्चे वालों अपने बच्चों को रिस न दिलाओ परन्तु प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए, उन का पालन-पोषण करो॥

लूका 15 : 11 – 24
11 फिर उस ने कहा, किसी मनुष्य के दो पुत्र थे।
12 उन में से छुटके ने पिता से कहा कि हे पिता संपत्ति में से जो भाग मेरा हो, वह मुझे दे दीजिए। उस ने उन को अपनी संपत्ति बांट दी।
13 और बहुत दिन न बीते थे कि छुटका पुत्र सब कुछ इकट्ठा करके एक दूर देश को चला गया और वहां कुकर्म में अपनी संपत्ति उड़ा दी।
14 जब वह सब कुछ खर्च कर चुका, तो उस देश में बड़ा अकाल पड़ा, और वह कंगाल हो गया।
15 और वह उस देश के निवासियों में से एक के यहां जा पड़ा : उस ने उसे अपने खेतों में सूअर चराने के लिये भेजा।
16 और वह चाहता था, कि उन फलियों से जिन्हें सूअर खाते थे अपना पेट भरे; और उसे कोई कुछ नहीं देता था।
17 जब वह अपने आपे में आया, तब कहने लगा, कि मेरे पिता के कितने ही मजदूरों को भोजन से अधिक रोटी मिलती है, और मैं यहां भूखा मर रहा हूं।
18 मैं अब उठकर अपने पिता के पास जाऊंगा और उस से कहूंगा कि पिता जी मैं ने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है।
19 अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊं, मुझे अपने एक मजदूर की नाईं रख ले।
20 तब वह उठकर, अपने पिता के पास चला: वह अभी दूर ही था, कि उसके पिता ने उसे देखकर तरस खाया, और दौड़कर उसे गले लगाया, और बहुत चूमा।
21 पुत्र ने उस से कहा; पिता जी, मैं ने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है; और अब इस योग्य नहीं रहा, कि तेरा पुत्र कहलाऊं।
22 परन्तु पिता ने अपने दासों से कहा; फट अच्छे से अच्छा वस्त्र निकालकर उसे पहिनाओ, और उसके हाथ में अंगूठी, और पांवों में जूतियां पहिनाओ।
23 और पला हुआ बछड़ा लाकर मारो ताकि हम खांए और आनन्द मनावें।
24 क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी गया है : खो गया था, अब मिल गया है: और वे आनन्द करने लगे।

नीतिवचन 30 : 17
17 जिस आंख से कोई अपने पिता पर अनादर की दृष्टि करे, और अपमान के साथ अपनी माता की आज्ञा न माने, उस आंख को तराई के कौवे खोद खोद कर निकालेंगे, और उकाब के बच्चे खा डालेंगे॥

मत्ती 18 : 8
8 यदि तेरा हाथ या तेरा पांव तुझे ठोकर खिलाए, तो काटकर फेंक दे; टुण्डा या लंगड़ा होकर जीवन में प्रवेश करना तेरे लिये इस से भला है, कि दो हाथ या दो पांव रहते हुए तू अनन्त आग में डाला जाए।

1 कुरिन्थियों 6 : 19 – 20
19 क्या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्रात्मा का मन्दिर है; जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो?
20 क्योंकि दाम देकर मोल लिये गए हो, इसलिये अपनी देह के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो॥

लूका 15 : 11 – 32
11 फिर उस ने कहा, किसी मनुष्य के दो पुत्र थे।
12 उन में से छुटके ने पिता से कहा कि हे पिता संपत्ति में से जो भाग मेरा हो, वह मुझे दे दीजिए। उस ने उन को अपनी संपत्ति बांट दी।
13 और बहुत दिन न बीते थे कि छुटका पुत्र सब कुछ इकट्ठा करके एक दूर देश को चला गया और वहां कुकर्म में अपनी संपत्ति उड़ा दी।
14 जब वह सब कुछ खर्च कर चुका, तो उस देश में बड़ा अकाल पड़ा, और वह कंगाल हो गया।
15 और वह उस देश के निवासियों में से एक के यहां जा पड़ा : उस ने उसे अपने खेतों में सूअर चराने के लिये भेजा।
16 और वह चाहता था, कि उन फलियों से जिन्हें सूअर खाते थे अपना पेट भरे; और उसे कोई कुछ नहीं देता था।
17 जब वह अपने आपे में आया, तब कहने लगा, कि मेरे पिता के कितने ही मजदूरों को भोजन से अधिक रोटी मिलती है, और मैं यहां भूखा मर रहा हूं।
18 मैं अब उठकर अपने पिता के पास जाऊंगा और उस से कहूंगा कि पिता जी मैं ने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है।
19 अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊं, मुझे अपने एक मजदूर की नाईं रख ले।
20 तब वह उठकर, अपने पिता के पास चला: वह अभी दूर ही था, कि उसके पिता ने उसे देखकर तरस खाया, और दौड़कर उसे गले लगाया, और बहुत चूमा।
21 पुत्र ने उस से कहा; पिता जी, मैं ने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है; और अब इस योग्य नहीं रहा, कि तेरा पुत्र कहलाऊं।
22 परन्तु पिता ने अपने दासों से कहा; फट अच्छे से अच्छा वस्त्र निकालकर उसे पहिनाओ, और उसके हाथ में अंगूठी, और पांवों में जूतियां पहिनाओ।
23 और पला हुआ बछड़ा लाकर मारो ताकि हम खांए और आनन्द मनावें।
24 क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी गया है : खो गया था, अब मिल गया है: और वे आनन्द करने लगे।
25 परन्तु उसका जेठा पुत्र खेत में था : और जब वह आते हुए घर के निकट पहुंचा, तो उस ने गाने बजाने और नाचने का शब्द सुना।
26 और उस ने एक दास को बुलाकर पूछा; यह क्या हो रहा है?
27 उस ने उस से कहा, तेरा भाई आया है; और तेरे पिता ने पला हुआ बछड़ा कटवाया है, इसलिये कि उसे भला चंगा पाया है।
28 यह सुनकर वह क्रोध से भर गया, और भीतर जाना न चाहा : परन्तु उसका पिता बाहर आकर उसे मनाने लगा।
29 उस ने पिता को उत्तर दिया, कि देख; मैं इतने वर्ष से तरी सेवा कर रहा हूं, और कभी भी तेरी आज्ञा नहीं टाली, तौभी तू ने मुझे कभी एक बकरी का बच्चा भी न दिया, कि मैं अपने मित्रों के साथ आनन्द करता।
30 परन्तु जब तेरा यह पुत्र, जिस ने तेरी संपत्ति वेश्याओं में उड़ा दी है, आया, तो उसके लिये तू ने पला हुआ बछड़ा कटवाया।
31 उस ने उस से कहा; पुत्र, तू सर्वदा मेरे साथ है; और जो कुछ मेरा है वह सब तेरा ही है।
32 परन्तु अब आनन्द करना और मगन होना चाहिए क्योंकि यह तेरा भाई मर गया था फिर जी गया है; खो गया था, अब मिल गया है॥

2 पतरस 3 : 9
9 प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, जैसी देर कितने लोग समझते हैं; पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; वरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले।

1 यूहन्ना 4 : 1
1 हे प्रियों, हर एक आत्मा की प्रतीति न करो: वरन आत्माओं को परखो, कि वे परमेश्वर की ओर से हैं कि नहीं; क्योंकि बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता जगत में निकल खड़े हुए हैं।

मत्ती 18 : 9
9 और यदि तेरी आंख तुझे ठोकर खिलाए, तो उसे निकालकर फेंक दे।

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