भय और चिंता

ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं भय और चिंता

यशायाह 41 : 10
10 मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूं, इधर उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूं; मैं तुझे दृढ़ करूंगा और तेरी सहायता करूंगा, अपने धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुझे सम्हाले रहूंगा॥

फिलिप्पियों 4 : 6 – 7
6 किसी भी बात की चिन्ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं।
7 तब परमेश्वर की शान्ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी॥

भजन संहिता 56 : 3
3 जिस समय मुझे डर लगेगा, मैं तुझ पर भरोसा रखूंगा।

2 तीमुथियुस 1 : 7
7 क्योंकि परमेश्वर ने हमें भय की नहीं पर सामर्थ, और प्रेम, और संयम की आत्मा दी है।

मत्ती 6 : 25 – 34
25 इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्ता न करना कि हम क्या खाएंगे? और क्या पीएंगे? और न अपने शरीर के लिये कि क्या पहिनेंगे? क्या प्राण भोजन से, और शरीर वस्त्र से बढ़कर नहीं?
26 आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; तौभी तुम्हारा स्वर्गीय पिता उन को खिलाता है; क्या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते।
27 तुम में कौन है, जो चिन्ता करके अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है
28 और वस्त्र के लिये क्यों चिन्ता करते हो? जंगली सोसनों पर ध्यान करो, कि वै कैसे बढ़ते हैं, वे न तो परिश्रम करते हैं, न कातते हैं।
29 तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे विभव में उन में से किसी के समान वस्त्र पहिने हुए न था।
30 इसलिये जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम को वह क्योंकर न पहिनाएगा?
31 इसलिये तुम चिन्ता करके यह न कहना, कि हम क्या खाएंगे, या क्या पीएंगे, या क्या पहिनेंगे?
32 क्योंकि अन्यजाति इन सब वस्तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्तुएं चाहिए।
33 इसलिये पहिले तुम उसे राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी।
34 सो कल के लिये चिन्ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है॥

व्यवस्थाविवरण 31 : 6
6 तू हियाव बान्ध और दृढ़ हो, उन से न डर और न भयभीत हो; क्योंकि तेरे संग चलने वाला तेरा परमेश्वर यहोवा है; वह तुझ को धोखा न देगा और न छोड़ेगा।

1 पतरस 5 : 6 – 7
6 इसलिये परमेश्वर के बलवन्त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए।
7 और अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उस को तुम्हारा ध्यान है।

भजन संहिता 34 : 4
4 मैं यहोवा के पास गया, तब उसने मेरी सुन ली, और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया।

1 पतरस 5 : 7
7 और अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उस को तुम्हारा ध्यान है।

1 यूहन्ना 4 : 18
18 प्रेम में भय नहीं होता, वरन सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है, क्योंकि भय से कष्ट होता है, और जो भय करता है, वह प्रेम में सिद्ध नहीं हुआ।

यहोशू 1 : 9
9 क्या मैं ने तुझे आज्ञा नहीं दी? हियाव बान्धकर दृढ़ हो जा; भय न खा, और तेरा मन कच्चा न हो; क्योंकि जहां जहां तू जाएगा वहां वहां तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे संग रहेगा॥

यशायाह 35 : 4
4 घबराने वालों से कहो, हियाव बान्धो, मत डरो! देखो, तुम्हारा परमेश्वर पलटा लेने और प्रतिफल देने को आ रहा है। हां, परमेश्वर आकर तुम्हारा उद्धार करेगा॥

यूहन्ना 14 : 27
27 मैं तुम्हें शान्ति दिए जाता हूं, अपनी शान्ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे।

मत्ती 6 : 34
34 सो कल के लिये चिन्ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है॥

नीतिवचन 12 : 25
25 उदास मन दब जाता है, परन्तु भली बात से वह आनन्दित होता है।

भजन संहिता 23 : 4
4 चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में होकर चलूं, तौभी हानि से न डरूंगा, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है॥

लूका 12 : 22 – 26
22 फिर उस ने अपने चेलों से कहा; इसलिये मैं तुम से कहता हूं, अपने प्राण की चिन्ता न करो, कि हम क्या खाएंगे; न अपने शरीर की कि क्या पहिनेंगे।
23 क्योंकि भोजन से प्राण, और वस्त्र से शरीर बढ़कर है।
24 कौवों पर ध्यान दो; वे न बोते हैं, न काटते; न उन के भण्डार और न खत्ता होता है; तौभी परमेश्वर उन्हें पालता है; तुम्हारा मूल्य पक्षियों से कहीं अधिक है।
25 तुम में से ऐसा कौन है, जो चिन्ता करने से अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?
26 इसलिये यदि तुम सब से छोटा काम भी नहीं कर सकते, तो और बातों के लिये क्यों चिन्ता करते हो?

भजन संहिता 27 : 1
1 यहोवा परमेश्वर मेरी ज्योति और मेरा उद्धार है; मैं किस से डरूं? यहोवा मेरे जीवन का दृढ़ गढ़ ठहरा है, मैं किस का भय खाऊं?

रोमियो 8 : 31 – 39
31 सो हम इन बातों के विषय में क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
32 जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा?
33 परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उन को धर्मी ठहराने वाला है।
34 फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।
35 कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
36 जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाईं गिने गए हैं।
37 परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं।
38 क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई,
39 न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी॥

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