तीसरा मंदिर

ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं तीसरा मंदिर

दानिय्येल 9 : 27
27 और वह प्रधान एक सप्ताह के लिये बहुतों के संग दृढ़ वाचा बान्धेगा, परन्तु आधे सप्ताह के बीतने पर वह मेलबलि और अन्नबलि को बन्द करेगा; और कंगूरे पर उजाड़ने वाली घृणित वस्तुएं दिखाई देंगी और निश्चय से ठनी हुई बात के समाप्त होने तक परमेश्वर का क्रोध उजाड़ने वाले पर पड़ा रहेगा॥

2 थिस्सलुनीकियों 2 : 1 – 17
1 हे भाइयों, अब हम अपने प्रभु यीशु मसीह के आने, और उसके पास अपने इकट्ठे होने के विषय में तुम से बिनती करते हैं।
2 कि किसी आत्मा, या वचन, या पत्री के द्वारा जो कि मानों हमारी ओर से हो, यह समझ कर कि प्रभु का दिन आ पहुंचा है, तुम्हारा मन अचानक अस्थिर न हो जाए; और न तुम घबराओ।
3 किसी रीति से किसी के धोखे में न आना क्योंकि वह दिन न आएगा, जब तक धर्म का त्याग न हो ले, और वह पाप का पुरूष अर्थात विनाश का पुत्र प्रगट न हो।
4 जो विरोध करता है, और हर एक से जो परमेश्वर, या पूज्य कहलाता है, अपने आप को बड़ा ठहराता है, यहां तक कि वह परमेश्वर के मन्दिर में बैठकर अपने आप को परमेश्वर प्रगट करता है।
5 क्या तुम्हें स्मरण नहीं, कि जब मैं तुम्हारे यहां था, तो तुम से ये बातें कहा करता था?
6 और अब तुम उस वस्तु को जानते हो, जो उसे रोक रही है, कि वह अपने ही समय में प्रगट हो।
7 क्योंकि अधर्म का भेद अब भी कार्य करता जाता है, पर अभी एक रोकने वाला है, और जब तक वह दूर न हो जाए, वह रोके रहेगा।
8 तब वह अधर्मी प्रगट होगा, जिसे प्रभु यीशु अपने मुंह की फूंक से मार डालेगा, और अपने आगमन के तेज से भस्म करेगा।
9 उस अधर्मी का आना शैतान के कार्य के अनुसार सब प्रकार की झूठी सामर्थ, और चिन्ह, और अद्भुत काम के साथ।
10 और नाश होने वालों के लिये अधर्म के सब प्रकार के धोखे के साथ होगा; क्योंकि उन्होंने सत्य के प्रेम को ग्रहण नहीं किया जिस से उन का उद्धार होता।
11 और इसी कारण परमेश्वर उन में एक भटका देने वाली सामर्थ को भेजेगा ताकि वे झूठ की प्रतीति करें।
12 और जितने लोग सत्य की प्रतीति नहीं करते, वरन अधर्म से प्रसन्न होते हैं, सब दण्ड पाएं॥
13 पर हे भाइयो, और प्रभु के प्रिय लोगो चाहिये कि हम तुम्हारे विषय में सदा परमेश्वर का धन्यवाद करते रहें, कि परमेश्वर ने आदि से तुम्हें चुन लिया; कि आत्मा के द्वारा पवित्र बन कर, और सत्य की प्रतीति करके उद्धार पाओ।
14 जिस के लिये उस ने तुम्हें हमारे सुसमाचार के द्वारा बुलाया, कि तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह की महिमा को प्राप्त करो।
15 इसलिये, हे भाइयों, स्थिर रहो; और जो जो बातें तुम ने क्या वचन, क्या पत्री के द्वारा हम से सीखी है, उन्हें थामे रहो॥
16 हमारा प्रभु यीशु मसीह आप ही, और हमारा पिता परमेश्वर जिस ने हम से प्रेम रखा, और अनुग्रह से अनन्त शान्ति और उत्तम आशा दी है।
17 तुम्हारे मनों में शान्ति दे, और तुम्हें हर एक अच्छे काम, और वचन में दृढ़ करे॥

मत्ती 24 : 15
15 सो जब तुम उस उजाड़ने वाली घृणित वस्तु को जिस की चर्चा दानिय्येल भविष्यद्वक्ता के द्वारा हुई थी, पवित्र स्थान में खड़ी हुई देखो, (जो पढ़े, वह समझे )।

दानिय्येल 9 : 24 – 27
24 तेरे लोगों और तेरे पवित्र नगर के लिये सत्तर सप्ताह ठहराए गए हैं कि उनके अन्त तक अपराध का होना बन्द हो, और पापों को अन्त और अधर्म का प्रायश्चित्त किया जाए, और युगयुग की धामिर्कता प्रगट होए; और दर्शन की बात पर और भविष्यवाणी पर छाप दी जाए, और परमपवित्र का अभिषेक किया जाए।
25 सो यह जान और समझ ले, कि यरूशलेम के फिर बसाने की आज्ञा के निकलने से ले कर अभिषिक्त प्रधान के समय तक सात सप्ताह बीतेंगे। फिर बासठ सप्ताहों के बीतने पर चौक और खाई समेत वह नगर कष्ट के समय में फिर बसाया जाएगा।
26 और उन बासठ सप्ताहों के बीतने पर अभिषिक्त पुरूष काटा जाएगा: और उसके हाथ कुछ न लगेगा; और आने वाले प्रधान की प्रजा नगर और पवित्रस्थान को नाश तो करेगी। परन्तु उस प्रधान का अन्त ऐसा होगा जैसा बाढ़ से होता है; तौभी उसके अन्त तक लड़ाई होती रहेगी; क्योंकि उसका उजड़ जाना निश्चय ठाना गया है।
27 और वह प्रधान एक सप्ताह के लिये बहुतों के संग दृढ़ वाचा बान्धेगा, परन्तु आधे सप्ताह के बीतने पर वह मेलबलि और अन्नबलि को बन्द करेगा; और कंगूरे पर उजाड़ने वाली घृणित वस्तुएं दिखाई देंगी और निश्चय से ठनी हुई बात के समाप्त होने तक परमेश्वर का क्रोध उजाड़ने वाले पर पड़ा रहेगा॥

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