जैसे हो वैसे ही आओ

ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं जैसे हो वैसे ही आओ

यूहन्ना 6 : 37
37 जो कुछ पिता मुझे देता है वह सब मेरे पास आएगा, उसे मैं कभी न निकालूंगा।

याकूब 2 : 1 – 26
1 हे मेरे भाइयों, हमारे महिमायुक्त प्रभु यीशु मसीह का विश्वास तुम में पक्षपात के साथ न हो।
2 क्योंकि यदि एक पुरूष सोने के छल्ले और सुन्दर वस्त्र पहिने हुए तुम्हारी सभा में आए और एक कंगाल भी मैले कुचैले कपड़े पहिने हुए आए।
3 और तुम उस सुन्दर वस्त्र वाले का मुंह देख कर कहो कि तू वहां अच्छी जगह बैठ; और उस कंगाल से कहो, कि तू यहां खड़ा रह, या मेरे पांव की पीढ़ी के पास बैठ।
4 तो क्या तुम ने आपस में भेद भाव न किया और कुविचार से न्याय करने वाले न ठहरे?
5 हे मेरे प्रिय भाइयों सुनो; क्या परमेश्वर ने इस जगत के कंगालों को नहीं चुना कि विश्वास में धनी, और उस राज्य के अधिकारी हों, जिस की प्रतिज्ञा उस ने उन से की है जो उस से प्रेम रखते हैं
6 पर तुम ने उस कंगाल का अपमान किया: क्या धनी लोग तुम पर अत्याचार नहीं करते? और क्या वे ही तुम्हें कचहिरयों में घसीट घसीट कर नहीं ले जाते?
7 क्या वे उस उत्तम नाम की निन्दा नहीं करते जिस के तुम कहलाए जाते हो?
8 तौभी यदि तुम पवित्र शास्त्र के इस वचन के अनुसार, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख, सचमुच उस राज व्यवस्था को पूरी करते हो, तो अच्छा ही करते हो।
9 पर यदि तुम पक्षपात करते हो, तो पाप करते हो; और व्यवस्था तुम्हें अपराधी ठहराती है।
10 क्योंकि जो कोई सारी व्यवस्था का पालन करता है परन्तु एक ही बात में चूक जाए तो वह सब बातों में दोषी ठहरा।
11 इसलिये कि जिस ने यह कहा, कि तू व्यभिचार न करना उसी ने यह भी कहा, कि तू हत्या न करना इसलिये यदि तू ने व्यभिचार तो नहीं किया, पर हत्या की तौभी तू व्यवस्था का उलंघन करने वाला ठहरा।
12 तुम उन लोगों की नाईं वचन बोलो, और काम भी करो, जिन का न्याय स्वतंत्रता की व्यवस्था के अनुसार होगा।
13 क्योंकि जिस ने दया नहीं की, उसका न्याय बिना दया के होगा: दया न्याय पर जयवन्त होती है॥
14 हे मेरे भाइयों, यदि कोई कहे कि मुझे विश्वास है पर वह कर्म न करता हो, तो उस से क्या लाभ? क्या ऐसा विश्वास कभी उसका उद्धार कर सकता है?
15 यदि कोई भाई या बहिन नगें उघाड़े हों, और उन्हें प्रति दिन भोजन की घटी हो।
16 और तुम में से कोई उन से कहे, कुशल से जाओ, तुम गरम रहो और तृप्त रहो; पर जो वस्तुएं देह के लिये आवश्यक हैं वह उन्हें न दे, तो क्या लाभ?
17 वैसे ही विश्वास भी, यदि कर्म सहित न हो तो अपने स्वभाव में मरा हुआ है।
18 वरन कोई कह सकता है कि तुझे विश्वास है, और मैं कर्म करता हूं: तू अपना विश्वास मुझे कर्म बिना तो दिखा; और मैं अपना विश्वास अपने कर्मों के द्वारा तुझे दिखाऊंगा।
19 तुझे विश्वास है कि एक ही परमेश्वर है: तू अच्छा करता है: दुष्टात्मा भी विश्वास रखते, और थरथराते हैं।
20 पर हे निकम्मे मनुष्य क्या तू यह भी नहीं जानता, कि कर्म बिना विश्वास व्यर्थ है?
21 जब हमारे पिता इब्राहीम ने अपने पुत्र इसहाक को वेदी पर चढ़ाया, तो क्या वह कर्मों से धामिर्क न ठहरा था?
22 सो तू ने देख लिया कि विश्वास ने उस के कामों के साथ मिल कर प्रभाव डाला है और कर्मों से विश्वास सिद्ध हुआ।
23 और पवित्र शास्त्र का यह वचन पूरा हुआ, कि इब्राहीम ने परमेश्वर की प्रतीति की, और यह उसके लिये धर्म गिना गया, और वह परमेश्वर का मित्र कहलाया।
24 सो तुम ने देख लिया कि मनुष्य केवल विश्वास से ही नहीं, वरन कर्मों से भी धर्मी ठहरता है।
25 वैसे ही राहाब वेश्या भी जब उस ने दूतों को अपने घर में उतारा, और दूसरे मार्ग से विदा किया, तो क्या कर्मों से धामिर्क न ठहरी?
26 निदान, जैसे देह आत्मा बिना मरी हुई है वैसा ही विश्वास भी कर्म बिना मरा हुआ है॥

प्रकाशित वाक्य 22 : 17
17 और आत्मा, और दुल्हिन दोनों कहती हैं, आ; और सुनने वाला भी कहे, कि आ; और जो प्यासा हो, वह आए और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले॥

लूका 19 : 10
10 क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है॥

रोमियो 6 : 1 – 23
1 सो हम क्या कहें? क्या हम पाप करते रहें, कि अनुग्रह बहुत हो?
2 कदापि नहीं, हम जब पाप के लिये मर गए तो फिर आगे को उस में क्योंकर जीवन बिताएं?
3 क्या तुम नहीं जानते, कि हम जितनों ने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया तो उस की मृत्यु का बपतिस्मा लिया
4 सो उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें।
5 क्योंकि यदि हम उस की मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्चय उसके जी उठने की समानता में भी जुट जाएंगे।
6 क्योंकि हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया, ताकि पाप का शरीर व्यर्थ हो जाए, ताकि हम आगे को पाप के दासत्व में न रहें।
7 क्योंकि जो मर गया, वह पाप से छूटकर धर्मी ठहरा।
8 सो यदि हम मसीह के साथ मर गए, तो हमारा विश्वास यह है, कि उसके साथ जीएंगे भी।
9 क्योंकि यह जानते हैं, कि मसीह मरे हुओं में से जी उठकर फिर मरने का नहीं, उस पर फिर मृत्यु की प्रभुता नहीं होने की।
10 क्योंकि वह जो मर गया तो पाप के लिये एक ही बार मर गया; परन्तु जो जीवित है, तो परमेश्वर के लिये जीवित है।
11 ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो।
12 इसलिये पाप तुम्हारे मरनहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के आधीन रहो।
13 और न अपने अंगो को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्वर को सौंपो, और अपने अंगो को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो।
14 और तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्योंकि तुम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हो॥
15 तो क्या हुआ क्या हम इसलिये पाप करें, कि हम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हैं? कदापि नहीं।
16 क्या तुम नहीं जानते, कि जिस की आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों की नाईं सौंप देते हो, उसी के दास हो: और जिस की मानते हो, चाहे पाप के, जिस का अन्त मृत्यु है, चाहे आज्ञा मानने के, जिस का अन्त धामिर्कता है
17 परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, कि तुम जो पाप के दास थे तौभी मन से उस उपदेश के मानने वाले हो गए, जिस के सांचे में ढाले गए थे।
18 और पाप से छुड़ाए जाकर धर्म के दास हो गए।
19 मैं तुम्हारी शारीरिक दुर्बलता के कारण मनुष्यों की रीति पर कहता हूं, जैसे तुम ने अपने अंगो को कुकर्म के लिये अशुद्धता और कुकर्म के दास करके सौंपा था, वैसे ही अब अपने अंगों को पवित्रता के लिये धर्म के दास करके सौंप दो।
20 जब तुम पाप के दास थे, तो धर्म की ओर से स्वतंत्र थे।
21 सो जिन बातों से अब तुम लज्ज़ित होते हो, उन से उस समय तुम क्या फल पाते थे?
22 क्योंकि उन का अन्त तो मृत्यु है परन्तु अब पाप से स्वतंत्र होकर और परमेश्वर के दास बनकर तुम को फल मिला जिस से पवित्रता प्राप्त होती है, और उसका अन्त अनन्त जीवन है।
23 क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है॥

यूहन्ना 14 : 6
6 यीशु ने उस से कहा, मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता।

रोमियो 3 : 23
23 इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं।

यूहन्ना 6 : 40
40 क्योंकि मेरे पिता की इच्छा यह है, कि जो कोई पुत्र को देखे, और उस पर विश्वास करे, वह अनन्त जीवन पाए; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा।

यूहन्ना 6 : 44
44 .कोई मेरे पास नहीं आ सकता, जब तक पिता, जिस ने मुझे भेजा है, उसे खींच न ले; और मैं उस को अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा।

लूका 5 : 32
32 मैं धमिर्यों को नहीं, परन्तु पापियों को मन फिराने के लिये बुलाने आया हूं।

2 कुरिन्थियों 5 : 1 – 21
1 क्योंकि हम जानते हैं, कि जब हमारा पृथ्वी पर का डेरा सरीखा घर गिराया जाएगा तो हमें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग पर एक ऐसा भवन मिलेगा, जो हाथों से बना हुआ घर नहीं परन्तु चिरस्थाई है।
2 इस में तो हम कराहते, और बड़ी लालसा रखते हैं; कि अपने स्वर्गीय घर को पहिन लें।
3 कि इस के पहिनने से हम नंगे न पाए जाएं।
4 और हम इस डेरे में रहते हुए बोझ से दबे कराहते रहते हैं; क्योंकि हम उतारना नहीं, वरन और पहिनना चाहते हैं, ताकि वह जो मरनहार है जीवन में डूब जाए।
5 और जिस ने हमें इसी बात के लिये तैयार किया है वह परमेश्वर है, जिस ने हमें बयाने में आत्मा भी दिया है।
6 सो हम सदा ढाढ़स बान्धे रहते हैं और यह जानते हैं; कि जब तक हम देह में रहते हैं, तब तक प्रभु से अलग हैं।
7 क्योंकि हम रूप को देखकर नहीं, पर विश्वास से चलते हैं।
8 इसलिये हम ढाढ़स बान्धे रहते हैं, और देह से अलग होकर प्रभु के साथ रहना और भी उत्तम समझते हैं।
9 इस कारण हमारे मन की उमंग यह है, कि चाहे साथ रहें, चाहे अलग रहें पर हम उसे भाते रहें।
10 क्योंकि अवश्य है, कि हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के साम्हने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने अपने भले बुरे कामों का बदला जो उस ने देह के द्वारा किए हों पाए॥
11 सो प्रभु का भय मानकर हम लोगों को समझाते हैं और परमेश्वर पर हमारा हाल प्रगट है; और मेरी आशा यह है, कि तुम्हारे विवेक पर भी प्रगट हुआ होगा।
12 हम फिर भी अपनी बड़ाई तुम्हारे साम्हने नहीं करते वरन हम अपने विषय में तुम्हें घमण्ड करने का अवसर देते हैं, कि तुम उन्हें उत्तर दे सको, जो मन पर नहीं, वरन दिखवटी बातों पर घमण्ड करते हैं।
13 यदि हम बेसुध हैं, तो परमेश्वर के लिये; और यदि चैतन्य हैं, तो तुम्हारे लिये हैं।
14 क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है; इसलिये कि हम यह समझते हैं, कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गए।
15 और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा।
16 सो अब से हम किसी को शरीर के अनुसार न समझेंगे, और यदि हम ने मसीह को भी शरीर के अनुसार जाना था, तौभी अब से उस को ऐसा नहीं जानेंगे।
17 सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं।
18 और सब बातें परमेश्वर की ओर से हैं, जिस ने मसीह के द्वारा अपने साथ हमारा मेल-मिलाप कर लिया, और मेल-मिलाप की सेवा हमें सौंप दी है।
19 अर्थात परमेश्वर ने मसीह में होकर अपने साथ संसार का मेल मिलाप कर लिया, और उन के अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया और उस ने मेल मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है॥
20 सो हम मसीह के राजदूत हैं; मानो परमेश्वर हमारे द्वारा समझाता है: हम मसीह की ओर से निवेदन करते हैं, कि परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर लो।
21 जो पाप से अज्ञात था, उसी को उस ने हमारे लिये पाप ठहराया, कि हम उस में होकर परमेश्वर की धामिर्कता बन जाएं॥

यशायाह 64 : 6
6 हम तो सब के सब अशुद्ध मनुष्य के से हैं, और हमारे धर्म के काम सब के सब मैले चिथड़ों के समान हैं। हम सब के सब पत्ते की नाईं मुर्झा जाते हैं, और हमारे अधर्म के कामों ने हमें वायु की नाईं उड़ा दिया है।

1 यूहन्ना 1 : 8 – 9
8 यदि हम कहें, कि हम में कुछ भी पाप नहीं, तो अपने आप को धोखा देते हैं: और हम में सत्य नहीं।
9 यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है।

मत्ती 11 : 28
28 हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा।

इफिसियों 2 : 1 – 22
1 और उस ने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे।
2 जिन में तुम पहिले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा न मानने वालों में कार्य करता है।
3 इन में हम भी सब के सब पहिले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर, और मन की मनसाएं पूरी करते थे, और और लोगों के समान स्वभाव ही से क्रोध की सन्तान थे।
4 परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है; अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उस ने हम से प्रेम किया।
5 जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है।)
6 और मसीह यीशु में उसके साथ उठाया, और स्वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाया।
7 कि वह अपनी उस कृपा से जो मसीह यीशु में हम पर है, आने वाले समयों में अपने अनुग्रह का असीम धन दिखाए।
8 क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है।
9 और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्ड करे।
10 क्योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया॥
11 इस कारण स्मरण करो, कि तुम जो शारीरिक रीति से अन्यजाति हो, (और जो लोग शरीर में हाथ के किए हुए खतने से खतना वाले कहलाते हैं, वे तुम को खतना रहित कहते हैं)।
12 तुम लोग उस समय मसीह से अलग और इस्त्राएल की प्रजा के पद से अलग किए हुए, और प्रतिज्ञा की वाचाओं के भागी न थे, और आशाहीन और जगत में ईश्वर रहित थे।
13 पर अब तो मसीह यीशु में तुम जो पहिले दूर थे, मसीह के लोहू के द्वारा निकट हो गए हो।
14 क्योंकि वही हमारा मेल है, जिस ने दोनों को एक कर लिया: और अलग करने वाली दीवार को जो बीच में थी, ढा दिया।
15 और अपने शरीर में बैर अर्थात वह व्यवस्था जिस की आज्ञाएं विधियों की रीति पर थीं, मिटा दिया, कि दोनों से अपने में एक नया मनुष्य उत्पन्न करके मेल करा दे।
16 और क्रूस पर बैर को नाश करके इस के द्वारा दानों को एक देह बनाकर परमेश्वर से मिलाए।
17 और उस ने आकर तुम्हें जो दूर थे, और उन्हें जो निकट थे, दानों को मेल-मिलाप का सुसमाचार सुनाया।
18 क्योंकि उस ही के द्वारा हम दोनों की एक आत्मा में पिता के पास पंहुच होती है।
19 इसलिये तुम अब विदेशी और मुसाफिर नहीं रहे, परन्तु पवित्र लोगों के संगी स्वदेशी और परमेश्वर के घराने के हो गए।
20 और प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं की नेव पर जिसके कोने का पत्थर मसीह यीशु आप ही है, बनाए गए हो।
21 जिस में सारी रचना एक साथ मिलकर प्रभु में एक पवित्र मन्दिर बनती जाती है।
22 जिस में तुम भी आत्मा के द्वारा परमेश्वर का निवास स्थान होने के लिये एक साथ बनाए जाते हो॥

प्रेरितों के काम 2 : 38
38 पतरस ने उन से कहा, मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे।

मत्ती 18 : 4
4 जो कोई अपने आप को इस बालक के समान छोटा करेगा, वह स्वर्ग के राज्य में बड़ा होगा।

यूहन्ना 15 : 1 – 27
1 सच्ची दाखलता मैं हूं; और मेरा पिता किसान है।
2 जो डाली मुझ में है, और नहीं फलती, उसे वह काट डालता है, और जो फलती है, उसे वह छांटता है ताकि और फले।
3 तुम तो उस वचन के कारण जो मैं ने तुम से कहा है, शुद्ध हो।
4 तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में: जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे, तो अपने आप से नहीं फल सकती, वैसे ही तुम भी यदि मुझ में बने न रहो तो नहीं फल सकते।
5 मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते।
6 यदि कोई मुझ में बना न रहे, तो वह डाली की नाईं फेंक दिया जाता, और सूख जाता है; और लोग उन्हें बटोरकर आग में झोंक देते हैं, और वे जल जाती हैं।
7 यदि तुम मुझ में बने रहो, और मेरी बातें तुम में बनी रहें तो जो चाहो मांगो और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा।
8 मेरे पिता की महिमा इसी से होती है, कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे।
9 जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही मैं ने तुम से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो।
10 यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं।
11 मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।
12 मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो।
13 इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे।
14 जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो।
15 अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं।
16 तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जाकर फल लाओ; और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे।
17 इन बातें की आज्ञा मैं तुम्हें इसलिये देता हूं, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो।
18 यदि संसार तुम से बैर रखता है, तो तुम जानते हो, कि उस ने तुम से पहिले मुझ से भी बैर रखा।
19 यदि तुम संसार के होते, तो संसार अपनों से प्रीति रखता, परन्तु इस कारण कि तुम संसार के नहीं, वरन मैं ने तुम्हें संसार में से चुन लिया है इसी लिये संसार तुम से बैर रखता है।
20 जो बात मैं ने तुम से कही थी, कि दास अपने स्वामी से बड़ा नहीं होता, उस को याद रखो: यदि उन्होंने मुझे सताया, तो तुम्हें भी सताएंगे; यदि उन्होंने मेरी बात मानी, तो तुम्हारी भी मानेंगे।
21 परन्तु यह सब कुछ वे मेरे नाम के कारण तुम्हारे साथ करेंगे क्योंकि वे मेरे भेजने वाले को नहीं जानते।
22 यदि मैं न आता और उन से बातें न करता, तो वे पापी न ठहरते परन्तु अब उन्हें उन के पाप के लिये कोई बहाना नहीं।
23 जो मुझ से बैर रखता है, वह मेरे पिता से भी बैर रखता है।
24 यदि मैं उन में वे काम न करता, जो और किसी ने नहीं किए तो वे पापी नहीं ठहरते, परन्तु अब तो उन्होंने मुझे और मेरे पिता दोनों को देखा, और दोनों से बैर किया।
25 और यह इसलिये हुआ, कि वह वचन पूरा हो, जो उन की व्यवस्था में लिखा है, कि उन्होंने मुझ से व्यर्थ बैर किया।
26 परन्तु जब वह सहायक आएगा, जिसे मैं तुम्हारे पास पिता की ओर से भेजूंगा, अर्थात सत्य का आत्मा जो पिता की ओर से निकलता है, तो वह मेरी गवाही देगा।
27 और तुम भी गवाह हो क्योंकि तुम आरम्भ से मेरे साथ रहे हो॥

इब्रानियों 10 : 39
39 पर हम हटने वाले नहीं, कि नाश हो जाएं पर विश्वास करने वाले हैं, कि प्राणों को बचाएं॥

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *