ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं घोड़ों
अय्यूब 39 : 19 – 25
19 क्या तू ने घोड़े को उसका बल दिया है? क्या तू ने उसकी गर्दन में फहराती हुई अयाल जमाई है?
20 क्या उसको टिड्डी की सी उछलने की शक्ति तू देता है? उसके फुंक्कारने का शब्द डरावना होता है।
21 वह तराई में टाप मारता है और अपने बल से हषिर्त रहता है, वह हथियारबन्दों का साम्हना करने को निकल पड़ता है।
22 वह डर की बात पर हंसता, और नहीं घबराता; और तलवार से पीछे नहीं हटता।
23 तर्कश और चमकता हुआ सांग ओर भाला उस पर खड़खड़ाता है।
24 वह रिस और क्रोध के मारे भूमि को निगलता है; जब नरसिंगे का शब्द सुनाई देता है तब वह रुकता नहीं।
25 जब जब नरसिंगा बजता तब तब वह हिन हिन करता है, और लड़ाई और अफसरों की ललकार और जय-जयकार को दूर से सूंघ लेता है।
नीतिवचन 21 : 31
31 युद्ध के दिन के लिये घोड़ा तैयार तो होता है, परन्तु जय यहोवा ही से मिलती है॥
हबक्कूक 1 : 8
8 उनके घोड़े चीतों से भी अधिक वेग चलने वाले हैं, और सांझ को आहेर करने वाले हुंडारों से भी अधिक क्रूर हैं; उनके सवार दूर दूर कूदते-फांदते आते हैं। हां, वे दूर से चले आते हैं; और आहेर पर झपटने वाले उकाब की नाईं झपट्टा मारते हैं।
याकूब 3 : 3
3 जब हम अपने वश में करने के लिये घोड़ों के मुंह में लगाम लगाते हैं, तो हम उन की सारी देह को भी फेर सकते हैं।
भजन संहिता 20 : 6 – 7
6 अब मैं जान गया कि यहोवा अपने अभिषिक्त का उद्धार करता है; वह अपने दाहिने हाथ के उद्धार करने वाले पराक्रम से अपने पवित्र स्वर्ग पर से सुनकर उसे उत्तर देगा।
7 किसी को रथों को, और किसी को घोड़ों का भरोसा है, परन्तु हम तो अपने परमेश्वर यहोवा ही का नाम लेंगे।
जकर्याह 6 : 1 – 7
1 मैं ने फिर आंखें उठाईं, और क्या देखा कि दो पहाड़ों के बीच से चार रथ चले आते हैं; और वे पहाड़ पीतल के हैं।
2 पहिले रथ में लाल घोड़े और दूरे रथ में काले,
3 तीसरे रथ में श्वेत और चौथे रथ में चितकबरे और बादामी घोड़े हैं।
4 तब मैं ने उस दूत से जो मुझ से बातें करता था, पूछा, हे मेरे प्रभु, ये क्या हैं?
5 दूत ने मुझ से कहा, ये आकाश के चारों वायु हैं जो सारी पृथ्वी के प्रभु के पास उपस्थित रहते हैं, परन्तु अब निकल आए हैं।
6 जिस रथ में काले घोड़े हैं, वह उत्तर देश की ओर जाता है, और श्वेत घोडे उनके पीछे पीछे चले जाते हैं, और चितकबरे घोड़े दक्खिन देश की ओर जाते हैं।
7 और बादामी घोड़ों ने निकल कर चाहा कि जा कर पृथ्वी पर फेरा करें। सो दूत ने कहा, जा कर पृथ्वी पर फेरा करो। तब वे पृथ्वी पर फेरा करने लगे।
प्रकाशित वाक्य 19 : 11 – 21
11 फिर मैं ने स्वर्ग को खुला हुआ देखा; और देखता हूं कि एक श्वेत घोड़ा है; और उस पर एक सवार है, जो विश्वास योग्य, और सत्य कहलाता है; और वह धर्म के साथ न्याय और लड़ाई करता है।
12 उस की आंखे आग की ज्वाला हैं: और उसके सिर पर बहुत से राजमुकुट हैं; और उसका एक नाम लिखा है, जिस उस को छोड़ और कोई नहीं जानता।
13 और वह लोहू से छिड़का हुआ वस्त्र पहिने है: और उसका नाम परमेश्वर का वचन है।
14 और स्वर्ग की सेना श्वेत घोड़ों पर सवार और श्वेत और शुद्ध मलमल पहिने हुए उसके पीछे पीछे है।
15 और जाति जाति को मारने के लिये उसके मुंह से एक चोखी तलवार निकलती है, और वह लोहे का राजदण्ड लिए हुए उन पर राज्य करेगा, और वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के भयानक प्रकोप की जलजलाहट की मदिरा के कुंड में दाख रौंदेगा।
16 और उसके वस्त्र और जांघ पर यह नाम लिखा है, राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु॥
17 फिर मैं ने एक स्वर्गदूत को सूर्य पर खड़े हुए देखा, और उस ने बड़े शब्द से पुकार कर आकाश के बीच में से उड़ने वाले सब पक्षियों से कहा, आओ परमेश्वर की बड़ी बियारी के लिये इकट्ठे हो जाओ।
18 जिस से तुम राजाओं का मांस, ओर सरदारों का मांस, और शक्तिमान पुरूषों का मांस, और घोड़ों का, और उन के सवारों का मांस, और क्या स्वतंत्र, क्या दास, क्या छोटे, क्या बड़े, सब लोगों का मांस खाओ॥
19 फिर मैं ने उस पशु और पृथ्वी के राजाओं और उन की सेनाओं को उस घोड़े के सवार, और उस की सेना से लड़ने के लिये इकट्ठे देखा।
20 और वह पशु और उसके साथ वह झूठा भविष्यद्वक्ता पकड़ा गया, जिस ने उसके साम्हने ऐसे चिन्ह दिखाए थे, जिन के द्वारा उस ने उन को भरमाया, जिन्हों ने उस पशु की छाप ली थी, और जो उस की मूरत की पूजा करते थे, ये दोनों जीते जी उस आग की झील में जो गन्धक से जलती है, डाले गए।
21 और शेष लोग उस घोड़े के सवार की तलवार से जो उसके मुंह से निकलती थी, मार डाले गए; और सब पड़ी उन के मांस से तृप्त हो गए॥
नीतिवचन 26 : 3
3 घोड़े के लिये कोड़ा, गदहे के लिये बाग, और मूर्खों की पीठ के लिये छड़ी है।
अय्यूब 39 : 19 – 24
19 क्या तू ने घोड़े को उसका बल दिया है? क्या तू ने उसकी गर्दन में फहराती हुई अयाल जमाई है?
20 क्या उसको टिड्डी की सी उछलने की शक्ति तू देता है? उसके फुंक्कारने का शब्द डरावना होता है।
21 वह तराई में टाप मारता है और अपने बल से हषिर्त रहता है, वह हथियारबन्दों का साम्हना करने को निकल पड़ता है।
22 वह डर की बात पर हंसता, और नहीं घबराता; और तलवार से पीछे नहीं हटता।
23 तर्कश और चमकता हुआ सांग ओर भाला उस पर खड़खड़ाता है।
24 वह रिस और क्रोध के मारे भूमि को निगलता है; जब नरसिंगे का शब्द सुनाई देता है तब वह रुकता नहीं।
यिर्मयाह 46 : 4
4 घोड़ों को जुतवाओ; और हे सवारो, घोड़ों पर चढ़ कर टोप पहिने हुए खड़े हो जाओ; भालों को पैना करो, झिलमों को पहिन लो!
यशायाह 63 : 13
13 जो उन को गहिरे समुद्र में से ले चला; जैसा घोड़े को जंगल में वैसे ही उन को भी ठोकर न लगी, वह कहां है?
अय्यूब 39 : 21 – 24
21 वह तराई में टाप मारता है और अपने बल से हषिर्त रहता है, वह हथियारबन्दों का साम्हना करने को निकल पड़ता है।
22 वह डर की बात पर हंसता, और नहीं घबराता; और तलवार से पीछे नहीं हटता।
23 तर्कश और चमकता हुआ सांग ओर भाला उस पर खड़खड़ाता है।
24 वह रिस और क्रोध के मारे भूमि को निगलता है; जब नरसिंगे का शब्द सुनाई देता है तब वह रुकता नहीं।
भजन संहिता 20 : 7
7 किसी को रथों को, और किसी को घोड़ों का भरोसा है, परन्तु हम तो अपने परमेश्वर यहोवा ही का नाम लेंगे।
न्यायियों 5 : 22
22 उस समय घोड़े के खुरों से टाप का शब्द होने लगा, उनके बलिष्ट घोड़ों के कूदने से यह हूआ॥
यशायाह 5 : 28
28 उनके तीर चोखे और धनुष चढ़ाए हुए हैं, उनके घोड़ों के खुर वज्र के से और रथों के पहिये बवण्डर सरीखे हैं।
2 राजा 2 : 11
11 वे चलते चलते बातें कर रहे थे, कि अचानक एक अग्नि मय रथ और अग्निमय घोड़ों ने उन को अलग अलग किया, और एलिय्याह बवंडर में हो कर स्वर्ग पर चढ़ गया।
श्रेष्ठगीत 1 : 9
9 हे मेरी प्रिय मैं ने तेरी तुलना फिरौन के रथों में जुती हुई घोड़ी से की है।
1 राजा 4 : 26
26 फिर उसके रथ के घोड़ों के लिये सुलैमान के चालीस हज़ार थान थे, और उसके बारह हज़ार सवार थे।
प्रकाशित वाक्य 19 : 11 – 16
11 फिर मैं ने स्वर्ग को खुला हुआ देखा; और देखता हूं कि एक श्वेत घोड़ा है; और उस पर एक सवार है, जो विश्वास योग्य, और सत्य कहलाता है; और वह धर्म के साथ न्याय और लड़ाई करता है।
12 उस की आंखे आग की ज्वाला हैं: और उसके सिर पर बहुत से राजमुकुट हैं; और उसका एक नाम लिखा है, जिस उस को छोड़ और कोई नहीं जानता।
13 और वह लोहू से छिड़का हुआ वस्त्र पहिने है: और उसका नाम परमेश्वर का वचन है।
14 और स्वर्ग की सेना श्वेत घोड़ों पर सवार और श्वेत और शुद्ध मलमल पहिने हुए उसके पीछे पीछे है।
15 और जाति जाति को मारने के लिये उसके मुंह से एक चोखी तलवार निकलती है, और वह लोहे का राजदण्ड लिए हुए उन पर राज्य करेगा, और वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के भयानक प्रकोप की जलजलाहट की मदिरा के कुंड में दाख रौंदेगा।
16 और उसके वस्त्र और जांघ पर यह नाम लिखा है, राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु॥
व्यवस्थाविवरण 20 : 1 – 232
1 जब तू अपने शत्रुओं से युद्ध करने को जाए, और घोड़े, रथ, और अपने से अधिक सेना को देखे, तब उन से न डरना; तेरा परमेश्वर यहोवा जो तुझ को मिस्र देश से निकाल ले आया है वह तेरे संग है।
2 और जब तुम युद्ध करने को शत्रुओं के निकट जाओ, तब याजक सेना के पास आकर कहे,
3 हे इस्राएलियों सुनो, आज तुम अपने शत्रुओं से युद्ध करने को निकट आए हो; तुम्हारा मन कच्चा न हो; तुम मत डरो, और न थरथराओ, और न उनके साम्हने भय खाओ;
4 क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे शत्रुओं से युद्ध करने और तुम्हें बचाने के लिये तुम्हारे संग चलता है।
5 फिर सरदार सिपाहियों से यह कहें, कि तुम में से कौन है जिसने नया घर बनाया हो और उसका समर्पण न किया हो? तो वह अपने घर को लौट जाए, कहीं ऐसा ना हो कि वह युद्ध में मर जाए और दूसरा मनुष्य उसका समर्पण करे।
6 और कौन है जिसने दाख की बारी लगाई हो, परन्तु उसके फल न खाए हों? वह भी अपने घर को लौट जाए, ऐसा न हो कि वह संग्राम में मारा जाए, और दूसरा मनुष्य उसके फल खाए।
7 फिर कौन है जिसने किसी स्त्री से ब्याह की बात लगाई हो, परन्तु उसको ब्याह न लाया हो? वह भी अपने घर को लौट जाए, ऐसा न हो कि वह युद्ध में मारा जाए, और दूसरा मनुष्य उस से ब्याह कर ले।
8 इसके अलावा सरदार सिपाहियों से यह भी कहें, कि कौन कौन मनुष्य है जो डरपोक और कच्चे मन का है, वह भी अपने घर को लौट जाए, ऐसा न हो कि उसकी देखा देखी उसके भाइयोंका भी हियाव टूट जाए।
9 और जब प्रधान सिपाहियों से यह कह चुकें, तब उन पर प्रधानता करने के लिये सेनापतियों को नियुक्त करें॥
10 जब तू किसी नगर से युद्ध करने को उनके निकट जाए, तब पहिले उस से सन्धि करने का समाचार दे।
11 और यदि वह सन्धि करना अंगीकार करे और तेरे लिये अपने फाटक खोल दे, तब जितने उस में होंवे सब तेरे आधीन हो कर तेरे लिये बेगार करने वाले ठहरें।
12 परन्तु यदि वे तुझ से सन्धि न करें, परन्तु तुझ से लड़ना चाहें, तो तू उस नगर को घेर लेना;
13 और जब तेरा परमेश्वर यहोवा उसे तेरे हाथ में सौंप दे तब उस में के सब पुरूषों को तलवार से मार डालना।
14 परन्तु स्त्रियां और बालबच्चे, और पशु आदि जितनी लूट उस नगर में हो उसे अपने लिये रख लेना; और तेरे शत्रुओं की लूट जो तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे दे उसे काम में लाना।
15 इस प्रकार उन नगरों से करना जो तुझ से बहुत दूर हैं, और इन जातियों के नगर नहीं हैं।
16 परन्तु जो नगर इन लोगों के हैं, जिनका अधिकारी तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को ठहराने पर है, उन में से किसी प्राणी को जीवित न रख छोड़ना,
17 परन्तु उन को अवश्य सत्यानाश करना, अर्थात हित्तियों, एमोरियों, कनानियों, परिज्जियों, हिव्वियों, और यबूसियों, जैसे कि तेरे परमेश्वर यहोवा ने तुझे आज्ञा दी है;
18 ऐसा न हो कि जितने घिनौने काम वे अपने देवताओं की सेवा में करते आए हैं वैसा ही करना तुम्हें भी सिखाएं, और तुम अपने परमेश्वर यहोवा के विरुद्ध पाप करने लगो॥
19 जब तू युद्ध करते हुए किसी नगर को जीतने के लिये उसे बहुत दिनों तक घेरे रहे, तब उसके वृक्षों पर कुल्हाड़ी चला कर उन्हें नाश न करना, क्योंकि उनके फल तेरे खाने के काम आएंगे, इसलिये उन्हें न काटना। क्या मैदान के वृक्ष भी मनुष्य हैं कि तू उन को भी घेर रखे?
20 परन्तु जिन वृक्षों के विषय में तू यह जान ले कि इनके फल खाने के नहीं हैं, तो उन को काटकर नाश करना, और उस नगर के विरुद्ध उस समय तक कोट बान्धे रहना जब तक वह तेरे वश में न आ जाए॥
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