ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं आगे की योजना बनाना
नीतिवचन 11 : 14
14 जहां बुद्धि की युक्ति नहीं, वहां प्रजा विपत्ति में पड़ती है; परन्तु सम्मति देने वालों की बहुतायत के कारण बचाव होता है।
लूका 14 : 28 – 33
28 तुम में से कौन है कि गढ़ बनाना चाहता हो, और पहिले बैठकर खर्च न जोड़े, कि पूरा करने की बिसात मेरे पास है कि नहीं?
29 कहीं ऐसा न हो, कि जब नेव डालकर तैयार न कर सके, तो सब देखने वाले यह कहकर उसे ठट्ठों में उड़ाने लगें।
30 कि यह मनुष्य बनाने तो लगा, पर तैयार न कर सका?
31 या कौन ऐसा राजा है, कि दूसरे राजा से युद्ध करने जाता हो, और पहिले बैठकर विचार न कर ले कि जो बीस हजार लेकर उसका साम्हना कर सकता हूं, कि नहीं?
32 नहीं तो उसके दूर रहते ही, वह दूतों को भेजकर मिलाप करना चाहेगा।
33 इसी रीति से तुम में से जो कोई अपना सब कुछ त्याग न दे, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता।
1 तीमुथियुस 5 : 8
8 पर यदि कोई अपनों की और निज करके अपने घराने की चिन्ता न करे, तो वह विश्वास से मुकर गया है, और अविश्वासी से भी बुरा बन गया है।
मत्ती 7 : 24 – 27
24 इसलिये जो कोई मेरी ये बातें सुनकर उन्हें मानता है वह उस बुद्धिमान मनुष्य की नाईं ठहरेगा जिस ने अपना घर चट्टान पर बनाया।
25 और मेंह बरसा और बाढ़ें आईं, और आन्धियां चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं, परन्तु वह नहीं गिरा, क्योंकि उस की नेव चट्टान पर डाली गई थी।
26 परन्तु जो कोई मेरी ये बातें सुनता है और उन पर नहीं चलता वह उस निर्बुद्धि मनुष्य की नाईं ठहरेगा जिस ने अपना घर बालू पर बनाया।
27 और मेंह बरसा, और बाढ़ें आईं, और आन्धियां चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं और वह गिरकर सत्यानाश हो गया॥
नीतिवचन 18 : 9
9 जो काम में आलस करता है, वह बिगाड़ने वाले का भाई ठहरता है।
नीतिवचन 22 : 29
29 यदि तू ऐसा पुरूष देखे जो कामकाज में निपुण हो, तो वह राजाओं के सम्मुख खड़ा होगा; छोटे लोगों के सम्मुख नहीं॥
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