*रोमियों 5:5(KJV);* और आशा लज्जित नहीं करती, क्योंकि परमेश्वर का प्रेम पवित्र आत्मा के द्वारा जो हमें दिया गया है, हमारे हृदय में डाला गया है। *परमेश्वर का प्रेमी* परमेश्वर के प्रति हमारा प्रेम उस पर हमारे विश्वास से परिभाषित होता है, न कि उन चीज़ों से जो हम उस प्रेम को प्रदर्शित करने के लिए अपनी शक्ति से करते हैं। जितना अधिक कोई व्यक्ति परमेश्वर पर विश्वास करता है, उतना ही अधिक वह उससे प्रेम करता है क्योंकि विश्वास के द्वारा, हम परमेश्वर की आत्मा के अधीन हो जाते हैं जो हमें उससे प्रेम करने के लिए प्रेरित करती है। जितना अधिक आप विश्वास में परमेश्वर के अधीन होते हैं, उतना ही अधिक वह आपके हृदय से व्यवहार करता है, उसका खतना करता है, ताकि आप उसकी अगुवाई, उसकी इच्छा और उसके उद्देश्यों के प्रति अधिक उत्तरदायी हों। इब्रानियों 11:6 में, वह कहता है, “परन्तु विश्वास के बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है; क्योंकि परमेश्वर के पास आनेवाले को विश्वास करना चाहिए कि वह है, और अपने खोजनेवालों को प्रतिफल देता है।” हम परमेश्वर से प्रेम करते हैं क्योंकि उसने पहले हमसे प्रेम किया लेकिन उसके प्रति हमारा प्रेम विश्वास के द्वारा प्रदर्शित होता है क्योंकि जो कोई उसके पास आता है उसे विश्वास करना चाहिए कि वह है। परमेश्वर चाहता है कि आप अपने आपको उन कामों से अलग रखें जो यह साबित करने के लिए किए जाते हैं कि आप उससे प्यार करते हैं और परमेश्वर से प्यार करने के पहले कदम के रूप में विश्वास को अपनाएँ। आप जो कुछ भी करते हैं या नहीं करते हैं, वह आपके लिए परमेश्वर के प्यार को कभी कम नहीं कर सकता। उसी तरह, आप जो कुछ भी करते हैं या नहीं करते हैं, वह परमेश्वर को यह साबित नहीं कर सकता कि आप उससे प्यार करते हैं, केवल आपका विश्वास ही यह साबित कर सकता है और विश्वास जितना गहरा होगा, प्रेम की गहराई उतनी ही अधिक होगी।
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