सेना में शामिल होना

ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं सेना में शामिल होना

भजन संहिता 108 : 12 – 13
12 द्रोहियों के विरुद्ध हमारी सहायता कर, क्योंकि मनुष्य का किया हुआ छुटकारा व्यर्थ है!
13 परमेश्वर की सहायता से हम वीरता दिखाएंगे, हमारे द्रोहियों को वही रौंदेगा॥

रोमियो 13 : 1 – 14
1 हर एक व्यक्ति प्रधान अधिकारियों के आधीन रहे; क्योंकि कोई अधिकार ऐसा नहीं, जो परमेश्वर की ओर स न हो; और जो अधिकार हैं, वे परमेश्वर के ठहराए हुए हैं।
2 इस से जो कोई अधिकार का विरोध करता है, वह परमेश्वर की विधि का साम्हना करता है, और साम्हना करने वाले दण्ड पाएंगे।
3 क्योंकि हाकिम अच्छे काम के नहीं, परन्तु बुरे काम के लिये डर का कारण हैं; सो यदि तू हाकिम से निडर रहना चाहता है, तो अच्छा काम कर और उस की ओर से तेरी सराहना होगी;
4 क्योंकि वह तेरी भलाई के लिये परमेश्वर का सेवक है। परन्तु यदि तू बुराई करे, तो डर; क्योंकि वह तलवार व्यर्थ लिये हुए नहीं और परमेश्वर का सेवक है; कि उसके क्रोध के अनुसार बुरे काम करने वाले को दण्ड दे।
5 इसलिये आधीन रहना न केवल उस क्रोध से परन्तु डर से अवश्य है, वरन विवेक भी यही गवाही देता है।
6 इसलिये कर भी दो, क्योंकि शासन करने वाले परमेश्वर के सेवक हैं, और सदा इसी काम में लगे रहते हैं।
7 इसलिये हर एक का हक चुकाया करो, जिस कर चाहिए, उसे कर दो; जिसे महसूल चाहिए, उसे महसूल दो; जिस से डरना चाहिए, उस से डरो; जिस का आदर करना चाहिए उसका आदर करो॥
8 आपस के प्रेम से छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदार न हो; क्योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है, उसी ने व्यवस्था पूरी की है।
9 क्योंकि यह कि व्यभिचार न करना, हत्या न करना; चोरी न करना; लालच न करना; और इन को छोड़ और कोई भी आज्ञा हो तो सब का सारांश इस बात में पाया जाता है, कि अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।
10 प्रेम पड़ोसी की कुछ बुराई नहीं करता, इसलिये प्रेम रखना व्यवस्था को पूरा करना है॥
11 और समय को पहिचान कर ऐसा ही करो, इसलिये कि अब तुम्हारे लिये नींद से जाग उठने की घड़ी आ पहुंची है, क्योंकि जिस समय हम ने विश्वास किया था, उस समय के विचार से अब हमारा उद्धार निकट है।
12 रात बहुत बीत गई है, और दिन निकलने पर है; इसलिये हम अन्धकार के कामों को तज कर ज्योति के हथियार बान्ध लें।
13 जैसा दिन को सोहता है, वैसा ही हम सीधी चाल चलें; न कि लीला क्रीड़ा, और पियक्कड़पन, न व्यभिचार, और लुचपन में, और न झगड़े और डाह में।
14 वरन प्रभु यीशु मसीह को पहिन लो, और शरीर की अभिलाशाओं को पूरा करने का उपाय न करो।

जकर्याह 14 : 1 – 21
1 सुनो, यहोवा का एक ऐसा दिन आने वाला है जिस में तेरा धन लूट कर तेरे बीच में बांट लिया जाएगा।
2 क्योंकि मैं सब जातियों को यरूशलेम से लड़ने के लिये इकट्ठा करूंगा, और वह नगर ले लिया नगर। और घर लूटे जाएंगे और स्त्रियां भ्रष्ट की जाएंगी; नगर के आधे लोग बंधुवाई में जाएंगे, परन्तु प्रजा के शेष लोग नगर ही में रहने पाएंगे।
3 तब यहोवा निकल कर उन जातियों से ऐसा लड़ेगा जैसा वह संग्राम के दिन में लड़ा था।
4 और उस समय वह जलपाई के पर्वत पर पांव धरेगा, जो पूरब ओर यरूशलेम के साम्हने है; तब जलपाई का पर्वत पूरब से ले कर पच्छिम तक बीचों-बीच से फटकर बहुत बड़ा खड्ड हो जाएगा; तब आधा पर्वत उत्तर की ओर और आधा दक्खिन की ओर हट जाएगा।
5 तब तुम मेरे बनाए हुए उस खड्ड से होकर भाग जाओगे, क्योंकि वह खड्ड आसेल तक पहुंचेगा, वरन तुम ऐसे भागोगे जैसे उस भुईंडोल के डर से भागे थे जो यहूदा के राजा उज्जियाह के दिनों में हुआ था। तब मेरा परमेश्वर यहोवा आएगा, और सब पवित्र लोग उसके साथ होंगे॥
6 उस समय कुछ उजियाला न रहेगा, क्योंकि ज्योतिगण सिमट जाएंगे।
7 और लगातार एक ही दिन होगा जिसे यहोवा ही जानता है, न तो दिन होगा, और न रात होगी, परन्तु सांझ के समय उजियाला होगा॥
8 उस समय यरूशलेम से बहता हुआ जल फूट निकलेगा उसकी एक शाखा पूरब के ताल और दूसरी पच्छिम के समुद्र की ओर बहेगी, और धूप के दिनों में और जाड़े के दिनों में भी बराबर बहती रहेंगी॥
9 तब यहोवा सारी पृथ्वी का राजा होगा; और उस समय एक ही यहोवा और उसका नाम भी एक ही माना जाएगा॥
10 गेबा से ले कर यरूशलेम की दक्खिन ओर के रिम्मोन तक सब भूमि अराबा के समान हो जाएगी। परन्तु वह ऊंची हो कर बिन्यामीन के फाटक से ले कर पहिले फाटक के स्थान तक, और कोने वाले फाटक तक, और हननेल के गुम्मट से ले कर राजा के दाखरस कुण्ड़ों तक अपने स्थान में बसेगी।
11 और लोग उस में बसेंगे क्योंकि फिर सत्यानाश का शाप न होगा; और यरूशलेम बेखटके बसी रहेगी।
12 और जितनी जातियों ने यरूशलेम से युद्ध किया है उन सभों को यहोवा ऐसी मार से मारेगा, कि खड़े खड़े उनका मांस सड़ जाएगा, और उनकी आंखें अपने गोलकों में सड़ जाएंगीं, और उनकी जीभ उनके मुंह में सड़ जाएगी।
13 और उस समय यहोवा की ओर से उन में बड़ी घबराहट पैठेगी, और वे एक दूसरे के हाथ को पकड़ेंगे, और एक दूसरे पर अपने अपने हाथ उठाएंगे।
14 यहूदा भी यरूशलेम में लड़ेगा, और सोना, चान्दी, वस्त्र आदि चारों ओर की सब जातियों की धन सम्पत्ति उस में बटोरी जाएगी।
15 और घोड़े, खच्चर, ऊंट और गदहे वरन जितने पशु उनकी छावनियों में होंगे वे भी ऐसी ही बीमारी से मारे जाएंगे॥
16 तब जितने लोग यरूशलेम पर चढ़ने वाली सब जातियों में से बचे रहेंगे, वे प्रति वर्ष राजा को अर्थात सेनाओं के यहोवा को दण्डवत करने, और झोंपडिय़ों का पर्व मानने के लिये यरूशलेम को जाया करेंगे।
17 और पृथ्वी के कुलों में से जो लोग यरूशलेम में राजा, अर्थात सेनाओं के यहोवा को दण्डवत करने के लिये न जाएंगे, उनके यहां वर्षा न होगी।
18 और यदि मिस्र का कुल वहां न आए, तो क्या उन पर वह मरी न पड़ेगी जिस से यहोवा उन जातियों को मारेगा जो झोंपडिय़ों का पर्व मानने के लिये न जाएंगे?
19 यह मिस्र का और उन सब जातियों का पाप ठहरेगा, जो झोंपडिय़ों का पर्व मानने के लिये न जाएंगे।
20 उस समय घोड़ों की घंटियों पर भी यह लिखा रहेगा, यहोवा के लिये पवित्र। और यहोवा के भवन कि हंडिय़ां उन कटोरों के तुल्य पवित्र ठहरेंगी, जो वेदी के साम्हने रहते हैं।
21 वरन यरूशलेम में और यहूदा देश में सब हंडिय़ां सेनाओं के यहोवा के लिये पवित्र ठहरेंगी, और सब मेलबलि करने वाले आ आकर उन हंडियों में मांस सिझाया करेंगे। और सब सेनाओं के यहोवा के भवन में फिर कोई व्योपारी न पाया जाएगा॥

याकूब 4 : 1 – 17
1 तुम में लड़ाइयां और झगड़े कहां से आ गए? क्या उन सुख-विलासों से नहीं जो तुम्हारे अंगों में लड़ते-भिड़ते हैं?
2 तुम लालसा रखते हो, और तुम्हें मिलता नहीं; तुम हत्या और डाह करते हो, ओर कुछ प्राप्त नहीं कर सकते; तुम झगड़ते और लड़ते हो; तुम्हें इसलिये नहीं मिलता, कि मांगते नहीं।
3 तुम मांगते हो और पाते नहीं, इसलिये कि बुरी इच्छा से मांगते हो, ताकि अपने भोग विलास में उड़ा दो।
4 हे व्यभिचारिणयों, क्या तुम नहीं जानतीं, कि संसार से मित्रता करनी परमेश्वर से बैर करना है सो जो कोई संसार का मित्र होना चाहता है, वह अपने आप को परमेश्वर का बैरी बनाता है।
5 क्या तुम यह समझते हो, कि पवित्र शास्त्र व्यर्थ कहता है जिस आत्मा को उस ने हमारे भीतर बसाया है, क्या वह ऐसी लालसा करता है, जिस का प्रतिफल डाह हो?
6 वह तो और भी अनुग्रह देता है; इस कारण यह लिखा है, कि परमेश्वर अभिमानियों से विरोध करता है, पर दीनों पर अनुग्रह करता है।
7 इसलिये परमेश्वर के आधीन हो जाओ; और शैतान का साम्हना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा।
8 परमेश्वर के निकट आओ, तो वह भी तुम्हारे निकट आएगा: हे पापियों, अपने हाथ शुद्ध करो; और हे दुचित्ते लोगों अपने हृदय को पवित्र करो।
9 दुखी होओ, और शोक करा, और रोओ: तुम्हारी हंसी शोक में और तुम्हारा आनन्द उदासी में बदल जाए।
10 प्रभु के साम्हने दीन बनो, तो वह तुम्हें शिरोमणि बनाएगा।
11 हे भाइयों, एक दूसरे की बदनामी न करो, जो अपने भाई की बदनामी करता है, या भाई पर दोष लगाता है, वह व्यवस्था की बदनामी करता है, और व्यवस्था पर दोष लगाता है; और यदि तू व्यवस्था पर दोष लगाता है, तो तू व्यवस्था पर चलने वाला नहीं, पर उस पर हाकिम ठहरा।
12 व्यवस्था देने वाला और हाकिम तो एक ही है, जिसे बचाने और नाश करने की सामर्थ है; तू कौन है, जो अपने पड़ोसी पर दोष लगाता है?
13 तुम जो यह कहते हो, कि आज या कल हम किसी और नगर में जाकर वहां एक वर्ष बिताएंगे, और व्यापार करके लाभ उठाएंगे।
14 और यह नहीं जानते कि कल क्या होगा: सुन तो लो, तुम्हारा जीवन है ही क्या? तुम तो मानो भाप समान हो, जो थोड़ी देर दिखाई देती है, फिर लोप हो जाती है।
15 इस के विपरीत तुम्हें यह कहना चाहिए, कि यदि प्रभु चाहे तो हम जीवित रहेंगे, और यह या वह काम भी करेंगे।
16 पर अब तुम अपनी ड़ींग पर घमण्ड करते हो; ऐसा सब घमण्ड बुरा होता है।
17 इसलिये जो कोई भलाई करना जानता है और नहीं करता, उसके लिये यह पाप है॥

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