ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं साम्राज्य
1 कुरिन्थियों 4 : 20
20 क्योंकि परमेश्वर का राज्य बातों में नहीं, परन्तु सामर्थ में है।
रोमियो 14 : 17 – 18
17 क्योंकि परमेश्वर का राज्य खाना पीना नहीं; परन्तु धर्म और मिलाप और वह आनन्द है;
18 जो पवित्र आत्मा से होता है और जो कोई इस रीति से मसीह की सेवा करता है, वह परमेश्वर को भाता है और मनुष्यों में ग्रहण योग्य ठहरता है।
मत्ती 10 : 7 – 8
7 और चलते चलते प्रचार कर कहो कि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।
8 बीमारों को चंगा करो: मरे हुओं को जिलाओ: कोढिय़ों को शुद्ध करो: दुष्टात्माओं को निकालो: तुम ने सेंतमेंत पाया है, सेंतमेंत दो।
1 कुरिन्थियों 6 : 9 – 10
9 क्या तुम नहीं जानते, कि अन्यायी लोग परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे? धोखा न खाओ, न वेश्यागामी, न मूर्तिपूजक, न परस्त्रीगामी, न लुच्चे, न पुरूषगामी।
10 न चोर, न लोभी, न पियक्कड़, न गाली देने वाले, न अन्धेर करने वाले परमेश्वर के राज्य के वारिस होंगे।
लूका 1 : 33
33 और वह याकूब के घराने पर सदा राज्य करेगा; और उसके राज्य का अन्त न होगा।
मत्ती 18 : 1
1 उसी घड़ी चेले यीशु के पास आकर पूछने लगे, कि स्वर्ग के राज्य में बड़ा कौन है?
मत्ती 6 : 33
33 इसलिये पहिले तुम उसे राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी।
2 कुरिन्थियों 5 : 17
17 सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं।
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