ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं शहद
यशायाह 7 : 15
15 और जब तक वह बुरे को त्यागना और भले को ग्रहण करना न जाने तब तक वह मक्खन और मधु खाएगा।
निर्गमन 3 : 8
8 इसलिथे अब मैं उतर आया हूं कि उन्हें मिस्रियोंके वश से छुड़ाऊं, और उस देश से निकालकर एक अच्छे और बड़े देश में जिस में दूध और मधु की धारा बहती है, अर्यात् कनानी, हित्ती, एमोरी, परिज्जी, हिव्वी, और यबूसी लोगोंके स्यान में पहुंचाऊं।
मत्ती 3 : 4
4 यह यूहन्ना ऊंट के रोम का वस्त्र पहिने था, और अपनी कमर में चमड़े का पटुका बान्धे हुए था, और उसका भोजन टिड्डियां और बनमधु था।
नीतिवचन 25 : 27
27 बहुत मधु खाना अच्छा नहीं, परन्तु कठिन बातों की पूछताछ महिमा का कारण होता है।
2 शमूएल 17 : 29
29 मधु, मक्खन, भेड़-बकरियां, और गाय के दही का पक्कीर, दाऊद और उसके संगियों के खाने को यह सोचकर ले आए, कि जंगल में वे लोग भूखे प्यासे और थके मांदे होंगे।
नीतिवचन 24 : 13
13 हे मेरे पुत्र तू मधु खा, क्योंकि वह अच्छा है, और मधु का छत्ता भी, क्योंकि वह तेरे मुंह में मीठा लगेगा।
भजन संहिता 81 : 16
16 और उनको उत्तम से उत्तम गेहूं खिलाता, और मैं चट्टान में के मधु से उन को तृप्त करूं॥
श्रेष्ठगीत 4 : 11
11 हे मेरी दुल्हिन, तेरे होठों से मधु टपकता है; तेरी जीभ के नीचे मधु ओर दूध रहता है; तेरी जीभ के नीचे मधु और दूध रहता है; तेरे वस्त्रों का सुगन्ध लबानोन का सा है।
भजन संहिता 19 : 7 – 11
7 यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है; यहोवा के नियम विश्वासयोग्य हैं, साधारण लोगों को बुद्धिमान बना देते हैं;
8 यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं; यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आंखों में ज्योति ले आती है;
9 यहोवा का भय पवित्र है, वह अनन्तकाल तक स्थिर रहता है; यहोवा के नियम सत्य और पूरी रीति से धर्ममय हैं।
10 वे तो सोने से और बहुत कुन्दन से भी बढ़कर मनोहर हैं; वे मधु से और टपकने वाले छत्ते से भी बढ़कर मधुर हैं।
11 और उन्हीं से तेरा दास चिताया जाता है; उनके पालन करने से बड़ा ही प्रतिफल मिलता है।
1 शमूएल 14 : 25
25 और सब लोग किसी वन में पहुंचे, जहां भूमि पर मधु पड़ा हुआ था।
निर्गमन 16 : 31
31 और इस्राएल के घराने वालों ने उस वस्तु का नाम मन्ना रखा; और वह धनिया के समान श्वेत था, और उसका स्वाद मधु के बने हुए पुए का सा था।
यहेजकेल 27 : 17
17 यहूदा और इस्राएल भी तेरे व्योपारी थे; उन्होंने मिन्नीत का गेहूं, पन्नग, और मधु, तेल, और बलसान देकर तेरा माल लिया।
2 राजा 18 : 32
32 तब मैं आकर तुम को ऐसे देश में ले जाऊंगा, जो तुम्हारे देश के समान अनाज और नये दाखमधु का देश, रोटी और दाख्बारियों का देश, जलपाइयों और मधु का देश है, वहां तुम मरोगे नहीं, जीवित रहोगे; तो जब हिजकिय्याह यह कह कर तुम को बहकाए, कि यहोवा हम को बचाएगा, तब उसकी न सुनना।
लैव्यवस्था 20 : 24
24 और मैं तुम लोगों से कहता हूं, कि तुम तो उनकी भूमि के अधिकारी होगे, और मैं इस देश को जिस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं तुम्हारे अधिकार में कर दूंगा; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं जिसने तुम को देशों के लोगों से अलग किया है।
लैव्यवस्था 2 : 11
11 कोई अन्नबलि जिसे तुम यहोवा के लिये चढ़ाओ खमीर मिलाकर बनाया न जाए; तुम कभी हवन में यहोवा के लिये खमीर और मधु न जलाना।
व्यवस्थाविवरण 6 : 2 – 3
2 और तू और तेरा बेटा और तेरा पोता यहोवा का भय मानते हुए उसकी उन सब विधियों और आज्ञाओं पर, जो मैं तुझे सुनाता हूं, अपने जीवन भर चलते रहें, जिस से तू बहुत दिन तक बना रहे।
3 हे इस्राएल, सुन, और ऐसा ही करने की चौकसी कर; इसलिये कि तेरा भला हो, और तेरे पितरों के परमेश्वर यहोवा के वचन के अनुसार उस देश में जहां दूध और मधु की धाराएं बहती हैं तुम बहुत हो जाओ।
यहेजकेल 3 : 1 – 3
1 तब उसने मुझ से कहा हे मनुष्य के सन्तान, जो तुझे मिला है उसे खा ले; अर्थात इस पुस्तक को खा, तब जा कर इस्राएल के घराने से बातें कर।
2 सो मैं ने मुंह खोला और उसने वह पुस्तक मुझे खिला दी।
3 तब उसने मुझ से कहा, हे मनुष्य के सन्तान, यह पुस्तक जो मैं तुझे देता हूँ उसे पचा ले, और अपनी अन्तडिय़ां इस से भर ले। सो मैं ने उसे खा लिया; और मेरे मुंह में वह मधु के तुल्य मीठी लगी।
नीतिवचन 25 : 16
16 क्या तू ने मधु पाया? तो जितना तेरे लिये ठीक हो उतना ही खाना, ऐसा न हो कि अधिक खा कर उसे उगल दे।
2 इतिहास 31 : 5
5 यह आज्ञा सुनते ही इस्राएली अन्न, नया दाखमधु, टटका तेल, मधु आादि खेती की सब भांति की पहिली उपज बहुतायत से देने, और सब वस्तुओं का दशमांश अधिक मात्रा में लाने लगे।
यहेजकेल 20 : 6
6 उसी दिन मैं ने उन से यह भी शपथ खाई, कि मैं तुम को मिस्र देश से निकाल कर एक देश में पहुंचाऊंगा, जिसे मैं ने तुम्हारे लिये चुन लिया है; वह सब देशों का शिरोमणि है, और उस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं।
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