ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं वृद्ध महिला की भूमिका
तीतुस 2 : 3 – 5
3 इसी प्रकार बूढ़ी स्त्रियों का चाल चलन पवित्र लोगों सा हो, दोष लगाने वाली और पियक्कड़ नहीं; पर अच्छी बातें सिखाने वाली हों।
4 ताकि वे जवान स्त्रियों को चितौनी देती रहें, कि अपने पतियों और बच्चों से प्रीति रखें।
5 और संयमी, पतिव्रता, घर का कारबार करने वाली, भली और अपने अपने पति के आधीन रहने वाली हों, ताकि परमेश्वर के वचन की निन्दा न होने पाए।
1 कुरिन्थियों 14 : 34 – 36
34 स्त्रियां कलीसिया की सभा में चुप रहें, क्योंकि उन्हें बातें करने की आज्ञा नहीं, परन्तु आधीन रहने की आज्ञा है: जैसा व्यवस्था में लिखा भी है।
35 और यदि वे कुछ सीखना चाहें, तो घर में अपने अपने पति से पूछें, क्योंकि स्त्री का कलीसिया में बातें करना लज्ज़ा की बात है।
36 क्या परमेश्वर का वचन तुम में से निकला? या केवल तुम ही तक पहुंचा है?
1 तीमुथियुस 3 : 11
11 इसी प्रकार से स्त्रियों को भी गम्भीर होना चाहिए; दोष लगाने वाली न हों, पर सचेत और सब बातों में विश्वास योग्य हों।
1 तीमुथियुस 5 : 1
1 किसी बूढ़े को न डांट; पर उसे पिता जान कर समझा दे, और जवानों को भाई जान कर; बूढ़ी स्त्रियों को माता जान कर।
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