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मत्ती 7 : 13 – 14
13 सकेत फाटक से प्रवेश करो, क्योंकि चौड़ा है वह फाटक और चाकल है वह मार्ग जो विनाश को पहुंचाता है; और बहुतेरे हैं जो उस से प्रवेश करते हैं।
14 क्योंकि सकेत है वह फाटक और सकरा है वह मार्ग जो जीवन को पहुंचाता है, और थोड़े हैं जो उसे पाते हैं॥
नीतिवचन 14 : 12
12 ऐसा मार्ग है, जो मनुष्य को ठीक देख पड़ता है, परन्तु उसके अन्त में मृत्यु ही मिलती है।
नीतिवचन 19 : 21
21 मनुष्य के मन में बहुत सी कल्पनाएं होती हैं, परन्तु जो युक्ति यहोवा करता है, वही स्थिर रहती है।
नीतिवचन 16 : 9
9 मनुष्य मन में अपने मार्ग पर विचार करता है, परन्तु यहोवा ही उसके पैरों को स्थिर करता है।
फिलिप्पियों 4 : 8
8 निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्हीं पर ध्यान लगाया करो।
गलातियों 6 : 7 – 8
7 धोखा न खाओ, परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा।
8 क्योंकि जो अपने शरीर के लिये बोता है, वह शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा; और जो आत्मा के लिये बोता है, वह आत्मा के द्वारा अनन्त जीवन की कटनी काटेगा।
यशायाह 30 : 21
21 और जब कभी तुम दाहिनी वा बाईं ओर मुड़ने लगो, तब तुम्हारे पीछे से यह वचन तुम्हारे कानों में पड़ेगा, मार्ग यही है, इसी पर चलो।
नीतिवचन 3 : 1 – 35
1 हे मेरे पुत्र, मेरी शिक्षा को न भूलना; अपने हृदय में मेरी आज्ञाओं को रखे रहना;
2 क्योंकि ऐसा करने से तेरी आयु बढ़ेगी, और तू अधिक कुशल से रहेगा।
3 कृपा और सच्चाई तुझ से अलग न होने पाएं; वरन उन को अपने गले का हार बनाना, और अपनी हृदय रूपी पटिया पर लिखना।
4 और तू परमेश्वर और मनुष्य दोनों का अनुग्रह पाएगा, तू अति बुद्धिमान होगा॥
5 तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना।
6 उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा।
7 अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न होना; यहोवा का भय मानना, और बुराई से अलग रहना।
8 ऐसा करने से तेरा शरीर भला चंगा, और तेरी हड्डियां पुष्ट रहेंगी।
9 अपनी संपत्ति के द्वारा और अपनी भूमि की पहिली उपज दे देकर यहोवा की प्रतिष्ठा करना;
10 इस प्रकार तेरे खत्ते भरे और पूरे रहेंगे, और तेरे रसकुण्डोंसे नया दाखमधु उमण्डता रहेगा॥
11 हे मेरे पुत्र, यहोवा की शिक्षा से मुंह न मोड़ना, और जब वह तुझे डांटे, तब तू बुरा न मानना,
12 क्योंकि यहोवा जिस से प्रेम रखता है उस को डांटता है, जैसे कि बाप उस बेटे को जिसे वह अधिक चाहता है॥
13 क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो बुद्धि पाए, और वह मनुष्य जो समझ प्राप्त करे,
14 क्योंकि बुद्धि की प्राप्ति चान्दी की प्राप्ति से बड़ी, और उसका लाभ चोखे सोने के लाभ से भी उत्तम है।
15 वह मूंगे से अधिक अनमोल है, और जितनी वस्तुओं की तू लालसा करता है, उन में से कोई भी उसके तुल्य न ठहरेगी।
16 उसके दहिने हाथ में दीर्घायु, और उसके बाएं हाथ में धन और महिमा है।
17 उसके मार्ग मनभाऊ हैं, और उसके सब मार्ग कुशल के हैं।
18 जो बुद्धि को ग्रहण कर लेते हैं, उनके लिये वह जीवन का वृक्ष बनती है; और जो उस को पकड़े रहते हैं, वह धन्य हैं॥
19 यहोवा ने पृथ्वी की नेव बुद्धि ही से डाली; और स्वर्ग को समझ ही के द्वारा स्थिर किया।
20 उसी के ज्ञान के द्वारा गहिरे सागर फूट निकले, और आकाशमण्डल से ओस टपकती है॥
21 हे मेरे पुत्र, ये बातें तेरी दृष्टि की ओट न हाने पाएं; खरी बुद्धि और विवेक की रक्षा कर,
22 तब इन से तुझे जीवन मिलेगा, और ये तेरे गले का हार बनेंगे।
23 और तू अपने मार्ग पर निडर चलेगा, और तेरे पांव में ठेस न लगेगी।
24 जब तू लेटेगा, तब भय न खाएगा, जब तू लेटेगा, तब सुख की नींद आएगी।
25 अचानक आने वाले भय से न डरना, और जब दुष्टों पर विपत्ति आ पड़े, तब न घबराना;
26 क्योंकि यहोवा तुझे सहारा दिया करेगा, और तेरे पांव को फन्दे में फंसने न देगा।
27 जिनका भला करना चाहिये, यदि तुझ में शक्ति रहे, तो उनका भला करने से न रुकना॥
28 यदि तेरे पास देने को कुछ हो, तो अपने पड़ोसी से न कहना कि जा कल फिर आना, कल मैं तुझे दूंगा।
29 जब तेरा पड़ोसी तेरे पास बेखटके रहता है, तब उसके विरूद्ध बुरी युक्ति न बान्धना।
30 जिस मनुष्य ने तुझ से बुरा व्यवहार न किया हो, उस से अकारण मुकद्दमा खड़ा न करना।
31 उपद्रवी पुरूष के विषय में डाह न करना, न उसकी सी चाल चलना;
32 क्योंकि यहोवा कुटिल से घृणा करता है, परन्तु वह अपना भेद सीधे लोगों पर खोलता है॥
33 दुष्ट के घर पर यहोवा का शाप और धर्मियों के वासस्थान पर उसकी आशीष होती है।
34 ठट्ठा करने वालों से वह निश्चय ठट्ठा करता है और दीनों पर अनुग्रह करता है।
35 बुद्धिमान महिमा को पाएंगे, और मूर्खों की बढ़ती अपमान ही की होगी॥
व्यवस्थाविवरण 30 : 9 – 10
9 और यहोवा तेरी भलाई के लिये तेरे सब कामों में, और तेरी सन्तान, और पशुओं के बच्चों, और भूमि की उपज में तेरी बढ़ती करेगा; क्योंकि यहोवा फिर तेरे ऊपर भलाई के लिये वैसा ही आनन्द करेगा, जैसा उसने तेरे पूर्वजों के ऊपर किया था;
10 क्योंकि तू अपने परमेश्वर यहोवा की सुनकर उसकी आज्ञाओं और विधियों को जो इस व्यवस्था की पुस्तक में लिखी हैं माना करेगा, और अपने परमेश्वर यहोवा की ओर अपने सारे मन और सारे प्राण से मन फिराएगा॥
मत्ती 6 : 1
1 सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे।
मत्ती 7 : 13
13 सकेत फाटक से प्रवेश करो, क्योंकि चौड़ा है वह फाटक और चाकल है वह मार्ग जो विनाश को पहुंचाता है; और बहुतेरे हैं जो उस से प्रवेश करते हैं।
यूहन्ना 16 : 23 – 24
23 उस दिन तुम मुझ से कुछ न पूछोगे: मैं तुम से सच सच कहता हूं, यदि पिता से कुछ मांगोगे, तो वह मेरे नाम से तुम्हें देगा।
24 अब तक तुम ने मेरे नाम से कुछ नहीं मांगा; मांगो तो पाओगे ताकि तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए॥
यहोशू 24 : 15
15 और यदि यहोवा की सेवा करनी तुम्हें बुरी लगे, तो आज चुन लो कि तुम किस की सेवा करोगे, चाहे उन देवताओं की जिनकी सेवा तुम्हारे पुरखा महानद के उस पार करते थे, और चाहे एमोरियों के देवताओं की सेवा करो जिनके देश में तुम रहते हो; परन्तु मैं तो अपने घराने समेत यहोवा की सेवा नित करूंगा।
1 यूहन्ना 1 : 9
9 यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है।
व्यवस्थाविवरण 30 : 19
19 मैं आज आकाश और पृथ्वी दोनों को तुम्हारे साम्हने इस बात की साक्षी बनाता हूं, कि मैं ने जीवन और मरण, आशीष और शाप को तुम्हारे आगे रखा है; इसलिये तू जीवन ही को अपना ले, कि तू और तेरा वंश दोनों जीवित रहें;
2 कुरिन्थियों 5 : 17
17 सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं।
रोमियो 10 : 10
10 क्योंकि धामिर्कता के लिये मन से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुंह से अंगीकार किया जाता है।
रोमियो 6 : 23
23 क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है॥
यशायाह 64 : 8
8 तौभी, हे यहोवा, तू हमार पिता है; देख, हम तो मिट्टी है, और तू हमारा कुम्हार है; हम सब के सब तेरे हाथ के काम हैं।
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