रोमन

ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं रोमन

रोमियो 15 : 25 – 27
25 परन्तु अभी तो पवित्र लोगों की सेवा करने के लिये यरूशलेम को जाता हूं।
26 क्योंकि मकिदुनिया और अखया के लोगों को यह अच्छा लगा, कि यरूशलेम के पवित्र लोगों के कंगालों के लिये कुछ चन्दा करें।
27 अच्छा तो लगा, परन्तु वे उन के कर्जदार भी हैं, क्योंकि यदि अन्यजाति उन की आत्मिक बातों में भागी हुए, तो उन्हें भी उचित है, कि शारीरिक बातों में उन की सेवा करें।

रोमियो 15 : 15 – 16
15 तौभी मैं ने कहीं कहीं याद दिलाने के लिये तुम्हें जो बहुत हियाव करके लिखा, यह उस अनुग्रह के कारण हुआ, जो परमेश्वर ने मुझे दिया है।
16 कि मैं अन्याजातियों के लिये मसीह यीशु का सेवक होकर परमेश्वर के सुसमाचार की सेवा याजक की नाईं करूं; जिस से अन्यजातियों का मानों चढ़ाया जाना, पवित्र आत्मा से पवित्र बनकर ग्रहण किया जाए।

रोमियो 13 : 14
14 वरन प्रभु यीशु मसीह को पहिन लो, और शरीर की अभिलाशाओं को पूरा करने का उपाय न करो।

रोमियो 16 : 1 – 6
1 मैं तुम से फीबे की, जो हमारी बहिन और किंख्रिया की कलीसिया की सेविका है, बिनती करता हूं।
2 कि तुम जैसा कि पवित्र लोगों को चाहिए, उसे प्रभु में ग्रहण करो; और जिस किसी बात में उस को तुम से प्रयोजन हो, उस की सहायता करो; क्योंकि वह भी बहुतों की वरन मेरी भी उपकारिणी हुई है॥
3 प्रिसका और अक्विला को जो मसीह यीशु में मेरे सहकर्मी हैं, नमस्कार।
4 उन्होंने मेरे प्राण के लिये अपना ही सिर दे रखा था और केवल मैं ही नहीं, वरन अन्यजातियों की सारी कलीसियाएं भी उन का धन्यवाद करती हैं।
5 और उस कलीसिया को भी नमस्कार जो उन के घर में है। मेरे प्रिय इपैनितुस को जो मसीह के लिये आसिया का पहिला फल है, नमस्कार।
6 मरियम को जिस ने तुम्हारे लिये बहुत परिश्रम किया, नमस्कार।

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