मूर्ख महिलाएं

ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं मूर्ख महिलाएं

2 तीमुथियुस 3 : 1 – 7
1 पर यह जान रख, कि अन्तिम दिनों में कठिन समय आएंगे।
2 क्योंकि मनुष्य अपस्वार्थी, लोभी, डींगमार, अभिमानी, निन्दक, माता-पिता की आज्ञा टालने वाले, कृतघ्न, अपवित्र।
3 दयारिहत, क्षमारिहत, दोष लगाने वाले, असंयमी, कठोर, भले के बैरी।
4 विश्वासघाती, ढीठ, घमण्डी, और परमेश्वर के नहीं वरन सुखविलास ही के चाहने वाले होंगे।
5 वे भक्ति का भेष तो धरेंगे, पर उस की शक्ति को न मानेंगे; ऐसों से परे रहना।
6 इन्हीं में से वे लोग हैं, जो घरों में दबे पांव घुस आते हैं और छिछौरी स्त्रियों को वश में कर लेते हैं, जो पापों से दबी और हर प्रकार की अभिलाषाओं के वश में हैं।
7 और सदा सीखती तो रहती हैं पर सत्य की पहिचान तक कभी नहीं पहुंचतीं।

2 तीमुथियुस 3 : 6 – 7
6 इन्हीं में से वे लोग हैं, जो घरों में दबे पांव घुस आते हैं और छिछौरी स्त्रियों को वश में कर लेते हैं, जो पापों से दबी और हर प्रकार की अभिलाषाओं के वश में हैं।
7 और सदा सीखती तो रहती हैं पर सत्य की पहिचान तक कभी नहीं पहुंचतीं।

1 यूहन्ना 4 : 1 – 6
1 हे प्रियों, हर एक आत्मा की प्रतीति न करो: वरन आत्माओं को परखो, कि वे परमेश्वर की ओर से हैं कि नहीं; क्योंकि बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता जगत में निकल खड़े हुए हैं।
2 परमेश्वर का आत्मा तुम इसी रीति से पहचान सकते हो, कि जो कोई आत्मा मान लेती है, कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया है वह परमेश्वर की ओर से है।
3 और जो कोई आत्मा यीशु को नहीं मानती, वह परमेश्वर की ओर से नहीं; और वही तो मसीह के विरोधी की आत्मा है; जिस की चर्चा तुम सुन चुके हो, कि वह आने वाला है: और अब भी जगत में है।
4 हे बालको, तुम परमेश्वर के हो: और तुम ने उन पर जय पाई है; क्योंकि जो तुम में है, वह उस से जो संसार में है, बड़ा है।
5 वे संसार के हैं, इस कारण वे संसार की बातें बोलते हैं, और संसार उन की सुनता है।
6 हम परमेश्वर के हैं: जो परमेश्वर को जानता है, वह हमारी सुनता है; जो परमेश्वर को नहीं जानता वह हमारी नहीं सुनता; इसी प्रकार हम सत्य की आत्मा और भ्रम की आत्मा को पहचान लेते हैं।

1 थिस्सलुनीकियों 5 : 21
21 सब बातों को परखो: जो अच्छी है उसे पकड़े रहो।

भजन संहिता 5 : 1 – 12
1 े यहोवा, मेरे वचनों पर कान लगा; मेरे ध्यान करने की ओर मन लगा।
2 हे मेरे राजा, हे मेरे परमेश्वर, मेरी दोहाई पर ध्यान दे, क्योंकि मैं तुझी से प्रार्थना करता हूं।
3 हे यहोवा, भोर को मेरी वाणी तुझे सुनाई देगी, मैं भोर को प्रार्थना करके तेरी बाट जोहूंगा।
4 क्योंकि तू ऐसा ईश्वर नहीं जो दुष्टता से प्रसन्न हो; बुराई तेरे साथ नहीं रह सकती।
5 घमंडी तेरे सम्मुख खड़े होने न पांएगे; तुझे सब अनर्थकारियों से घृणा है।
6 तू उन को जो झूठ बोलते हैं नाश करेगा; यहोवा तो हत्यारे और छली मनुष्य से घृणा करता है।
7 परन्तु मैं तो तेरी अपार करूणा के कारण तेरे भवन में आऊंगा, मैं तेरा भय मानकर तेरे पवित्र मन्दिर की ओर दण्डवत् करूंगा।
8 हे यहोवा, मेरे शत्रुओं के कारण अपने धर्म के मार्ग में मेरी अगुवाई कर; मेरे आगे आगे अपने सीधे मार्ग को दिखा।
9 क्योंकि उनके मुंह में कोई सच्चाई नहीं; उनके मन में निरी दुष्टता है। उनका गला खुली हुई कब्र है, वे अपनी जीभ से चिकनी चुपड़ी बातें करते हैं।
10 हे परमेश्वर तू उन को दोषी ठहरा; वे अपनी ही युक्तियों से आप ही गिर जाएं; उन को उनके अपराधों की अधिकाई के कारण निकाल बाहर कर, क्योंकि उन्होंने तुझ से बलवा किया है॥
11 परन्तु जितने तुझ पर भरोसा रखते हैं वे सब आनन्द करें, वे सर्वदा ऊंचे स्वर से गाते रहें; क्योंकि तू उनकी रक्षा करता है, और जो तेरे नाम के प्रेमी हैं तुझ में प्रफुल्लित हों।
12 क्योंकि तू धर्मी को आशिष देगा; हे यहोवा, तू उसको अपने अनुग्रहरूपी ढाल से घेरे रहेगा॥

लैव्यवस्था 19 : 28
28 मुर्दों के कारण अपने शरीर को बिलकुल न चीरना, और न उस में छाप लगाना; मैं यहोवा हूं।

गलातियों 5 : 19 – 25
19 शरीर के काम तो प्रगट हैं, अर्थात व्यभिचार, गन्दे काम, लुचपन।
20 मूर्ति पूजा, टोना, बैर, झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, विरोध, फूट, विधर्म।
21 डाह, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा, और इन के जैसे और और काम हैं, इन के विषय में मैं तुम को पहिले से कह देता हूं जैसा पहिले कह भी चुका हूं, कि ऐसे ऐसे काम करने वाले परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे।
22 पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज,
23 और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं।
24 और जो मसीह यीशु के हैं, उन्होंने शरीर को उस की लालसाओं और अभिलाषाओं समेत क्रूस पर चढ़ा दिया है॥
25 यदि हम आत्मा के द्वारा जीवित हैं, तो आत्मा के अनुसार चलें भी।

1 कुरिन्थियों 10 : 8
8 और न हम व्यभिचार करें; जैसा उन में से कितनों ने किया: एक दिन में तेईस हजार मर गये ।

2 तीमुथियुस 3 : 1 – 17
1 पर यह जान रख, कि अन्तिम दिनों में कठिन समय आएंगे।
2 क्योंकि मनुष्य अपस्वार्थी, लोभी, डींगमार, अभिमानी, निन्दक, माता-पिता की आज्ञा टालने वाले, कृतघ्न, अपवित्र।
3 दयारिहत, क्षमारिहत, दोष लगाने वाले, असंयमी, कठोर, भले के बैरी।
4 विश्वासघाती, ढीठ, घमण्डी, और परमेश्वर के नहीं वरन सुखविलास ही के चाहने वाले होंगे।
5 वे भक्ति का भेष तो धरेंगे, पर उस की शक्ति को न मानेंगे; ऐसों से परे रहना।
6 इन्हीं में से वे लोग हैं, जो घरों में दबे पांव घुस आते हैं और छिछौरी स्त्रियों को वश में कर लेते हैं, जो पापों से दबी और हर प्रकार की अभिलाषाओं के वश में हैं।
7 और सदा सीखती तो रहती हैं पर सत्य की पहिचान तक कभी नहीं पहुंचतीं।
8 और जैसे यन्नेस और यम्ब्रेस ने मूसा का विरोध किया था वैसे ही ये भी सत्य का विरोध करते हैं: ये तो ऐसे मनुष्य हैं, जिन की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है और वे विश्वास के विषय में निकम्मे हैं।
9 पर वे इस से आगे नहीं बढ़ सकते, क्योंकि जैसे उन की अज्ञानता सब मनुष्यों पर प्रगट हो गई थी, वैसे ही इन की भी हो जाएगी।
10 पर तू ने उपदेश, चाल चलन, मनसा, विश्वास, सहनशीलता, प्रेम, धीरज, और सताए जाने, और दुख उठाने में मेरा साथ दिया।
11 और ऐसे दुखों में भी जो अन्ताकिया और इकुनियुम और लुस्त्रा में मुझ पर पड़े थे और और दुखों में भी, जो मैं ने उठाए हैं; परन्तु प्रभु ने मुझे उन सब से छुड़ा लिया।
12 पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे।
13 और दुष्ट, और बहकाने वाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे।
14 पर तू इन बातों पर जो तू ने सीखीं हैं और प्रतीति की थी, यह जानकर दृढ़ बना रह; कि तू ने उन्हें किन लोगों से सीखा था
15 और बालकपन से पवित्र शास्त्र तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्त करने के लिये बुद्धिमान बना सकता है।
16 हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है।
17 ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाए॥

2 तीमुथियुस 3 : 13 – 17
13 और दुष्ट, और बहकाने वाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे।
14 पर तू इन बातों पर जो तू ने सीखीं हैं और प्रतीति की थी, यह जानकर दृढ़ बना रह; कि तू ने उन्हें किन लोगों से सीखा था
15 और बालकपन से पवित्र शास्त्र तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्त करने के लिये बुद्धिमान बना सकता है।
16 हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है।
17 ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाए॥

1 कुरिन्थियों 6 : 19 – 20
19 क्या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्रात्मा का मन्दिर है; जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो?
20 क्योंकि दाम देकर मोल लिये गए हो, इसलिये अपनी देह के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो॥

1 पतरस 1 : 13
13 इस कारण अपनी अपनी बुद्धि की कमर बान्धकर, और सचेत रहकर उस अनुग्रह की पूरी आशा रखो, जो यीशु मसीह के प्रगट होने के समय तुम्हें मिलने वाला है।

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