ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं बेवफ़ाई
उत्पत्ति 3 : 1
1 यहोवा परमेश्वर ने जितने बनैले पशु बनाए थे, उन सब में सर्प धूर्त था, और उसने स्त्री से कहा, क्या सच है, कि परमेश्वर ने कहा, कि तुम इस बाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना?
उत्पत्ति 3 : 4
4 तब सर्प ने स्त्री से कहा, तुम निश्चय न मरोगे,
निर्गमन 5 : 2
2 फिरौन ने कहा, यहोवा कौन है, कि मैं उसका वचन मानकर इस्राएलियों को जाने दूं? मैं यहोवा को नहीं जानता, और मैं इस्राएलियों को नहीं जाने दूंगा।
निर्गमन 14 : 12
12 क्या हम तुझ से मिस्र में यही बात न कहते रहे, कि हमें रहने दे कि हम मिस्रियों की सेवा करें? हमारे लिये जंगल में मरने से मिस्रियों की सेवा करनी अच्छी थी।
निर्गमन 16 : 3
3 और इस्राएली उन से कहने लगे, कि जब हम मिस्र देश में मांस की हांडियों के पास बैठकर मनमाना भोजन खाते थे, तब यदि हम यहोवा के हाथ से मार डाले भी जाते तो उत्तम वही था; पर तुम हम को इस जंगल में इसलिये निकाल ले आए हो कि इस सारे समाज को भूखों मार डालो।
निर्गमन 16 : 7
7 और भोर को तुम्हें यहोवा का तेज देख पडेगा, क्योंकि तुम जो यहोवा पर बुड़बुड़ाते हो उसे वह सुनता है। और हम क्या हैं, कि तुम हम पर बुड़बुड़ाते हो?
गिनती 14 : 34
34 जितने दिन तुम उस देश का भेद लेते रहे, अर्थात चालीस दिन उनकी गिनती के अनुसार, दिन पीछे उस वर्ष, अर्थात चालीस वर्ष तक तुम अपने अधर्म का दण्ड उठाए रहोगे, तब तुम जान लोगे कि मेरा विरोध क्या है।
गिनती 16 : 41
41 दूसरे दिन इस्त्राएलियों की सारी मण्डली यह कहकर मूसा और हारून पर बुड़बुड़ाने लगी, कि यहोवा की प्रजा को तुम ने मार डाला है।
गिनती 21 : 5
5 सो वे परमेश्वर के विरुद्ध बात करने लगे, और मूसा से कहा, तुम लोग हम को मिस्र से जंगल में मरने के लिये क्यों ले आए हो? यहां न तो रोटी है, और न पानी, और हमारे प्राण इस निकम्मी रोटी से दुखित हैं।
निर्गमन 17 : 7
7 और मूसा ने उस स्थान का नाम मस्सा और मरीबा रखा, क्योंकि इस्राएलियों ने वहां वादविवाद किया था, और यहोवा की परीक्षा यह कहकर की, कि क्या यहोवा हमारे बीच है वा नहीं?
गिनती 15 : 31
31 वह जो यहोवा का वचन तुच्छ जानता है, और उसकी आज्ञा का टालनेवाला है, इसलिये वह प्राणी निश्चय नाश किया जाए; उसका अधर्म उसी के सिर पड़ेगा॥
व्यवस्थाविवरण 29 : 21
21 और व्यवस्था की इस पुस्तक में जिस वाचा की चर्चा है उसके सब शापों के अनुसार यहोवा उसको इस्राएल के सब गोत्रों में से हानि के लिये अलग करेगा।
व्यवस्थाविवरण 32 : 15
15 परन्तु यशूरून मोटा हो कर लात मारने लगा; तू मोटा और हृष्ट-पुष्ट हो गया, और चर्बी से छा गया है; तब उसने अपने सृजनहार ईश्वर को तज दिया, और अपने उद्धारमूल चट्टान को तुच्छ जाना॥
1 राजा 20 : 28
28 तब परमेश्वर के उसी जन ने इस्राएल के राजा के पास जा कर कहा, यहोवा यों कहता है, अरामियों ने यह कहा है, कि यहोवा पहाड़ी देवता है, परन्तु नीची भूमि का नहीं है; इस कारण मैं उस बड़ी भीड़ को तेरे हाथ में कर दूंगा, तब तुम्हें बोध हो जाएगा कि मैं यहोवा हूँ।
1 राजा 22 : 24
24 तब कनाना के पुत्र सिदकिय्याह ने मीकायाह के निकट जा, उसके गाल पर थपेड़ा मार कर पूछा, यहोवा का आत्मा मुझे छोड़कर तूझ से बातें करने को किधर गया?
2 राजा 2 : 24
24 तब उसने पीछे की ओर फिर कर उन पर दृष्टि की और यहोवा के नाम से उन को शाप दिया, तब जंगल में से दो रीछिनियों ने निकल कर उन में से बयालीस लड़के फाड़ डाले।
2 इतिहास 30 : 6
6 क्योंकि उन्होंने इतनी बड़ी संख्या में उसको इस प्रकार न मनाया था जैसा कि लिखा है। इसलिये हरकारे राजा और उसके हाकिमों से चिट्ठियां ले कर, राजा की आज्ञा के अनुसार सारे इस्राएल और यहूदा में घूमे, और यह कहते गए, कि हे इस्राएलियो! इब्राहीम, इसहाक और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की ओर फिरो, कि वह अश्शूर के राजाओं के हाथ से बचे हुए तुम लोगों की ओर फिरे।
2 इतिहास 30 : 10
10 इस प्रकार हरकारे एप्रैम और मनश्शे के देशें में नगर नगर होते हुए जबूलून तक गए; परन्तु उन्होंने उनकी हंसी की, और उन्हें ठट्ठों में उड़ाया।
2 इतिहास 32 : 19
19 और उन्होंने यरूशलेम के परमेश्वर की ऐसी चर्चा की, कि मानो पृथ्वी के देश देश के लोगों के देवताओं के बराबर हो, जो मनुष्यों के बनाए हुए हैं।
2 इतिहास 36 : 16
16 परन्तु वे परमेश्वर के दूतों को ठट्ठों में उड़ाते, उस के वचनों को तुच्छ जानते, और उसके नबियों की हंसी करते थे। निदान यहोवा अपनी प्रजा पर ऐसा झुंझला उठा, कि बचने का कोई उपाय न रहा।
अय्यूब 15 : 26
26 और सिर उठा कर और अपनी मोटी मोटी ढालें दिखाता हुआ घमण्ड से उस पर धावा करता है;
अय्यूब 21 : 15
15 सर्वशक्तिमान क्या है, कि हम उसकी सेवा करें? और जो हम उस से बिनती भी करें तो हमें क्या लाभ होगा?
अय्यूब 22 : 14
14 काली घटाओं से वह ऐसा छिपा रहता है कि वह कुछ नहीं देख सकता, वह तो आकाशमण्डल ही के ऊपर चलता फिरता है।
अय्यूब 22 : 17
17 उन्होंने ईश्वर से कहा था, हम से दूर हो जा; और यह कि सर्वशक्तिमान हमारा क्या कर सकता है?
अय्यूब 34 : 7
7 अय्यूब के तुल्य कौन शूरवीर है, जो ईश्वर की निन्दा पानी की नाईं पीता है,
अय्यूब 34 : 9
9 उसने तो कहा है, कि मनुष्य को इस से कुछ लाभ नहीं कि वह आनन्द से परमेश्वर की संगति रखे।
अय्यूब 34 : 19
19 ईश्वर तो हाकिमों का पक्ष नहीं करता और धनी और कंगाल दोनों को अपने बनाए हुए जान कर उन में कुछ भेद नहीं करता।
अय्यूब 34 : 33
33 क्या वह तेरे ही मन के अनुसार बदला पाए क्योंकि तू उस से अप्रसन्न है? क्योंकि तुझे निर्णय करना है, न कि मुझे; इस कारण जो कुछ तुझे समझ पड़ता है, वह कह दे।
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