ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं बुरी आत्माएं
इफिसियों 6 : 10 – 12
10 निदान, प्रभु में और उस की शक्ति के प्रभाव में बलवन्त बनो।
11 परमेश्वर के सारे हथियार बान्ध लो; कि तुम शैतान की युक्तियों के साम्हने खड़े रह सको।
12 क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध, लोहू और मांस से नहीं, परन्तु प्रधानों से और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से, और उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं।
1 यूहन्ना 4 : 1
1 हे प्रियों, हर एक आत्मा की प्रतीति न करो: वरन आत्माओं को परखो, कि वे परमेश्वर की ओर से हैं कि नहीं; क्योंकि बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता जगत में निकल खड़े हुए हैं।
रोमियो 12 : 21
21 बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई का जीत लो॥
लूका 10 : 19
19 देखो, मैने तुम्हे सांपों और बिच्छुओं को रौंदने का, और शत्रु की सारी सामर्थ पर अधिकार दिया है; और किसी वस्तु से तुम्हें कुछ हानि न होगी।
2 कुरिन्थियों 11 : 14
14 और यह कुछ अचम्भे की बात नहीं क्योंकि शैतान आप भी ज्योतिमर्य स्वर्गदूत का रूप धारण करता है।
1 यूहन्ना 4 : 1 – 3
1 हे प्रियों, हर एक आत्मा की प्रतीति न करो: वरन आत्माओं को परखो, कि वे परमेश्वर की ओर से हैं कि नहीं; क्योंकि बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता जगत में निकल खड़े हुए हैं।
2 परमेश्वर का आत्मा तुम इसी रीति से पहचान सकते हो, कि जो कोई आत्मा मान लेती है, कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया है वह परमेश्वर की ओर से है।
3 और जो कोई आत्मा यीशु को नहीं मानती, वह परमेश्वर की ओर से नहीं; और वही तो मसीह के विरोधी की आत्मा है; जिस की चर्चा तुम सुन चुके हो, कि वह आने वाला है: और अब भी जगत में है।
1 यूहन्ना 3 : 8
8 जो कोई पाप करता है, वह शैतान की ओर से है, क्योंकि शैतान आरम्भ ही से पाप करता आया है: परमेश्वर का पुत्र इसलिये प्रगट हुआ, कि शैतान के कामों को नाश करे।
लैव्यवस्था 19 : 28
28 मुर्दों के कारण अपने शरीर को बिलकुल न चीरना, और न उस में छाप लगाना; मैं यहोवा हूं।
1 कुरिन्थियों 6 : 19
19 क्या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्रात्मा का मन्दिर है; जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो?
नीतिवचन 19 : 23
23 यहोवा का भय मानने से जीवन बढ़ता है; और उसका भय मानने वाला ठिकाना पा कर सुखी रहता है; उस पर विपत्ती नहीं पड़ने की।
लूका 10 : 17
17 वे सत्तर आनन्द से फिर आकर कहने लगे, हे प्रभु, तेरे नाम से दुष्टात्मा भी हमारे वश में हैं।
इब्रानियों 2 : 14
14 इसलिये जब कि लड़के मांस और लोहू के भागी हैं, तो वह आप भी उन के समान उन का सहभागी हो गया; ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात शैतान को निकम्मा कर दे।
भजन संहिता 91 : 1 – 16
1 जो परमप्रधान के छाए हुए स्थान में बैठा रहे, वह सर्वशक्तिमान की छाया में ठिकाना पाएगा।
2 मैं यहोवा के विषय कहूंगा, कि वह मेरा शरणस्थान और गढ़ है; वह मेरा परमेश्वर है, मैं उस पर भरोसा रखूंगा।
3 वह तो तुझे बहेलिये के जाल से, और महामारी से बचाएगा;
4 वह तुझे अपने पंखों की आड़ में ले लेगा, और तू उसके पैरों के नीचे शरण पाएगा; उसकी सच्चाई तेरे लिये ढाल और झिलम ठहरेगी।
5 तू न रात के भय से डरेगा, और न उस तीर से जो दिन को उड़ता है,
6 न उस मरी से जो अन्धेरे में फैलती है, और न उस महारोग से जो दिन दुपहरी में उजाड़ता है॥
7 तेरे निकट हजार, और तेरी दाहिनी ओर दस हजार गिरेंगे; परन्तु वह तेरे पास न आएगा।
8 परन्तु तू अपनी आंखों की दृष्टि करेगा और दुष्टों के अन्त को देखेगा॥
9 हे यहोवा, तू मेरा शरण स्थान ठहरा है। तू ने जो परमप्रधान को अपना धाम मान लिया है,
10 इसलिये कोई विपत्ति तुझ पर न पड़ेगी, न कोई दु:ख तेरे डेरे के निकट आएगा॥
11 क्योंकि वह अपने दूतों को तेरे निमित्त आज्ञा देगा, कि जहां कहीं तू जाए वे तेरी रक्षा करें।
12 वे तुझ को हाथों हाथ उठा लेंगे, ऐसा न हो कि तेरे पांवों में पत्थर से ठेस लगे।
13 तू सिंह और नाग को कुचलेगा, तू जवान सिंह और अजगर को लताड़ेगा।
14 उसने जो मुझ से स्नेह किया है, इसलिये मैं उसको छुड़ाऊंगा; मैं उसको ऊंचे स्थान पर रखूंगा, क्योंकि उसने मेरे नाम को जान लिया है।
15 जब वह मुझ को पुकारे, तब मैं उसकी सुनूंगा; संकट में मैं उसके संग रहूंगा, मैं उसको बचा कर उसकी महिमा बढ़ाऊंगा।
16 मैं उसको दीर्घायु से तृप्त करूंगा, और अपने किए हुए उद्धार का दर्शन दिखाऊंगा॥
मरकुस 1 : 21 – 28
21 और वे कफरनहूम में आए, और वह तुरन्त सब्त के दिन सभा के घर में जाकर उपदेश करने लगा।
22 और लोग उसके उपदेश से चकित हुए; क्योंकि वह उन्हें शास्त्रियों की नाईं नहीं, परन्तु अधिकारी की नाई उपदेश देता था।
23 और उसी समय, उन की सभा के घर में एक मनुष्य था, जिस में एक अशुद्ध आत्मा थी।
24 उस ने चिल्लाकर कहा, हे यीशु नासरी, हमें तुझ से क्या काम?क्या तू हमें नाश करने आया है? मैं तुझे जानता हूं, तू कौन है? परमेश्वर का पवित्र जन!
25 यीशु ने उसे डांटकर कहा, चुप रह; और उस में से निकल जा।
26 तब अशुद्ध आत्मा उस को मरोड़कर, और बड़े शब्द से चिल्लाकर उस में से निकल गई।
27 इस पर सब लोग आश्चर्य करते हुए आपस में वाद-विवाद करने लगे कि यह क्या बात है? यह तो कोई नया उपदेश है! वह अधिकार के साथ अशुद्ध आत्माओं को भी आज्ञा देता है, और वे उस की आज्ञा मानती हैं।
28 सो उसका नाम तुरन्त गलील के आस पास के सारे देश में हर जगह फैल गया॥
यूहन्ना 10 : 10
10 चोर किसी और काम के लिये नहीं परन्तु केवल चोरी करने और घात करने और नष्ट करने को आता है। मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं।
प्रकाशित वाक्य 12 : 9
9 और वह बड़ा अजगर अर्थात वही पुराना सांप, जो इब्लीस और शैतान कहलाता है, और सारे संसार का भरमाने वाला है, पृथ्वी पर गिरा दिया गया; और उसके दूत उसके साथ गिरा दिए गए।
1 शमूएल 16 : 14
14 और यहोवा का आत्मा शाऊल पर से उठ गया, और यहोवा की ओर से एक दुष्ट आत्मा उसे घबराने लगा।
यहूदा 1 : 6
6 फिर जो र्स्वगदूतों ने अपने पद को स्थिर न रखा वरन अपने निज निवास को छोड़ दिया, उस ने उन को भी उस भीषण दिन के न्याय के लिये अन्धकार में जो सदा काल के लिये है बन्धनों में रखा है।
1 राजा 18 : 24 – 29
24 तब तुम तो अपने दवता से प्रार्थना करना, और मैं यहोवा से प्रार्थना करूंगा, और जो आग गिराकर उत्तर दे वही परमेश्वर ठहरे। तब सब लोग बोल उठे, अच्छी बात।
25 और एलिय्याह ने बाल के नबियों से कहा, पहिले तुम एक बछड़ा चुनकर तैयार कर लो, क्योंकि तुम तो बहुत हो; तब अपने देवता से प्रार्थना करना, परन्तु आग न लगाना।
26 तब उन्होंने उस बछड़े को जो उन्हें दिया गया था ले कर तैयार किया, और भोर से ले कर दोपहर तक वह यह कह कर बाल से प्रार्थना करते रहे, कि हे बाल हमारी सुन, हे बाल हमारी सुन! परन्तु न कोई शब्द और न कोई उत्तर देने वाला हुआ। तब वे अपनी बनाई हुई वेदी पर उछलने कूदने लगे।
27 दोपहर को एलिय्याह ने यह कहकर उनका ठट्ठा किया, कि ऊंचे शब्द से पुकारो, वह तो देवता है; वह तो ध्यान लगाए होगा, वा कहीं गया होगा वा यात्रा में होगा, वा हो सकता है कि सोता हो और उसे जगाना चाहिए।
28 और उन्होंने बड़े शब्द से पुकार पुकार के अपनी रीति के अनुसार छुरियों और बछिर्यों से अपने अपने को यहां तक घायल किया कि लोहू लुहान हो गए।
29 वे दोपहर भर ही क्या, वरन भेंट चढ़ाने के समय तक नबूवत करते रहे, परन्तु कोई शब्द सुन न पड़ा; और न तो किसी ने उत्तर दिया और न कान लगाया।
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