ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं निष्क्रिय इच्छामृत्यु
रोमियो 12 : 14 – 21
14 अपने सताने वालों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो।
15 आनन्द करने वालों के साथ आनन्द करो; और रोने वालों के साथ रोओ।
16 आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो; परन्तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न हो।
17 बुराई के बदले किसी से बुराई न करो; जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उन की चिन्ता किया करो।
18 जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो।
19 हे प्रियो अपना पलटा न लेना; परन्तु क्रोध को अवसर दो, क्योंकि लिखा है, पलटा लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूंगा।
20 परन्तु यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसे खाना खिला; यदि प्यासा हो, तो उसे पानी पिला; क्योंकि ऐसा करने से तू उसके सिर पर आग के अंगारों का ढेर लगाएगा।
21 बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई का जीत लो॥
सभोपदेशक 3 : 2
2 जन्म का समय, और मरन का भी समय; बोने का समय; और बोए हुए को उखाड़ने का भी समय है;
रोमियो 5 : 3 – 4
3 केवल यही नहीं, वरन हम क्लेशों में भी घमण्ड करें, यही जानकर कि क्लेश से धीरज।
4 ओर धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्पन्न होती है।
याकूब 4 : 17
17 इसलिये जो कोई भलाई करना जानता है और नहीं करता, उसके लिये यह पाप है॥
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