इसके बारे में बाइबल क्या कहता है चर्च की प्रथम महिला – बाइबल की सभी आयतें चर्च की प्रथम महिला

ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं चर्च की प्रथम महिला

नीतिवचन 31 : 31
31 उसके हाथों के परिश्रम का फल उसे दो, और उसके कार्यों से सभा में उसकी प्रशंसा होगी॥

1 कुरिन्थियों 11 : 3
3 सो मैं चाहता हूं, कि तुम यह जान लो, कि हर एक पुरूष का सिर मसीह है: और स्त्री का सिर पुरूष है: और मसीह का सिर परमेश्वर है।

नीतिवचन 31 : 10
10 भली पत्नी कौन पा सकता है? क्योंकि उसका मूल्य मूंगों से भी बहुत अधिक है। उस के पति के मन में उस के प्रति विश्वास है।

1 तीमुथियुस 3 : 1 – 16
1 यह बात सत्य है, कि जो अध्यक्ष होना चाहता है, तो वह भले काम की इच्छा करता है।
2 सो चाहिए, कि अध्यक्ष निर्दोष, और एक ही पत्नी का पति, संयमी, सुशील, सभ्य, पहुनाई करने वाला, और सिखाने में निपुण हो।
3 पियक्कड़ या मार पीट करने वाला न हो; वरन कोमल हो, और न झगड़ालू, और न लोभी हो।
4 अपने घर का अच्छा प्रबन्ध करता हो, और लड़के-बालों को सारी गम्भीरता से आधीन रखता हो।
5 जब कोई अपने घर ही का प्रबन्ध करना न जानता हो, तो परमेश्वर की कलीसिया की रखवाली क्योंकर करेगा?
6 फिर यह कि नया चेला न हो, ऐसा न हो, कि अभिमान करके शैतान का सा दण्ड पाए।
7 और बाहर वालों में भी उसका सुनाम हो ऐसा न हो कि निन्दित होकर शैतान के फंदे में फंस जाए।
8 वैसे ही सेवकों को भी गम्भीर होना चाहिए, दो रंगी, पियक्कड़, और नीच कमाई के लोभी न हों।
9 पर विश्वास के भेद को शुद्ध विवेक से सुरक्षित रखें।
10 और ये भी पहिले परखे जाएं, तब यदि निर्दोष निकलें, तो सेवक का काम करें।
11 इसी प्रकार से स्त्रियों को भी गम्भीर होना चाहिए; दोष लगाने वाली न हों, पर सचेत और सब बातों में विश्वास योग्य हों।
12 सेवक एक ही पत्नी के पति हों और लड़के बालों और अपने घरों का अच्छा प्रबन्ध करना जानते हों।
13 क्योंकि जो सेवक का काम अच्छी तरह से कर सकते हैं, वे अपने लिये अच्छा पद और उस विश्वास में, जो मसीह यीशु पर है, बड़ा हियाव प्राप्त करते हैं॥
14 मैं तेरे पास जल्द आने की आशा रखने पर भी ये बातें तुझे इसलिये लिखता हूं।
15 कि यदि मेरे आने में देर हो तो तू जान ले, कि परमेश्वर का घर, जो जीवते परमेश्वर की कलीसिया है, और जो सत्य का खंभा, और नेव है; उस में कैसा बर्ताव करना चाहिए।
16 और इस में सन्देह नहीं, कि भक्ति का भेद गम्भीर है; अर्थात वह जो शरीर में प्रगट हुआ, आत्मा में धर्मी ठहरा, स्वर्गदूतों को दिखाई दिया, अन्यजातियों में उसका प्रचार हुआ, जगत में उस पर विश्वास किया गया, और महिमा में ऊपर उठाया गया॥

नीतिवचन 31 : 25
25 वह बल और प्रताप का पहिरावा पहिने रहती है, और आने वाले काल के विषय पर हंसती है।

1 यूहन्ना 1 : 1
1 उस जीवन के वचन के विषय में जो आदि से था, जिसे हम ने सुना, और जिसे अपनी आंखों से देखा, वरन जिसे हम ने ध्यान से देखा; और हाथों से छूआ।

तीतुस 2 : 2 – 4
2 अर्थात बूढ़े पुरूष, सचेत और गम्भीर और संयमी हों, और उन का विश्वास और प्रेम और धीरज पक्का हो।
3 इसी प्रकार बूढ़ी स्त्रियों का चाल चलन पवित्र लोगों सा हो, दोष लगाने वाली और पियक्कड़ नहीं; पर अच्छी बातें सिखाने वाली हों।
4 ताकि वे जवान स्त्रियों को चितौनी देती रहें, कि अपने पतियों और बच्चों से प्रीति रखें।

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