ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं ख़राब नेतृत्व
यिर्मयाह 23 : 1 – 4
1 उन चरवाहों पर हाय जो मेरी चराई की भेड़-बकरियों को तितर-बितर करते ओर नाश करते हैं, यहोवा यह कहता है।
2 इसलिये इस्राएल का परमेश्वर यहोवा अपनी प्रजा के चरवाहों से यों कहता है, तुम ने मेरी भेड़-बकरियों की सुधि नहीं ली, वरन उन को तितर-बितर किया और बरबस निकाल दिया है, इस कारण यहोवा की यह वाणी है कि मैं तुम्हारे बुरे कामों का दण्ड दूंगा।
3 तब मेरी भेड़-बकरियां जो बची हैं, उन को मैं उन सब देशों में से जिन में मैं ने उन्हें बरबस भेज दिया है, स्वयं ही उन्हें लौटा लाकर उन्हीं की भेड़शाला में इकट्ठा करूंगा, और वे फिर फूलें-फलेंगी।
4 मैं उनके लिये ऐसे चरवाहे नियुक्त करूंगा जो उन्हें चराएंगे; और तब वे न तो फिर डरेंगी, न विस्मित होंगी और न उन में से कोई खो जाएंगी, यहोवा की यह वाणी है।
कुलुस्सियों 3 : 23 – 25
23 और जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझ कर कि मनुष्यों के लिये नहीं परन्तु प्रभु के लिये करते हो।
24 क्योंकि तुम जानते हो कि तुम्हें इस के बदले प्रभु से मीरास मिलेगी: तुम प्रभु मसीह की सेवा करते हो।
25 क्योंकि जो बुरा करता है, वह अपनी बुराई का फल पाएगा; वहां किसी का पक्षपात नहीं।
इब्रानियों 13 : 17
17 अपने अगुवों की मानो; और उनके आधीन रहो, क्योंकि वे उन की नाईं तुम्हारे प्राणों के लिये जागते रहते, जिन्हें लेखा देना पड़ेगा, कि वे यह काम आनन्द से करें, न कि ठंडी सांस ले लेकर, क्योंकि इस दशा में तुम्हें कुछ लाभ नहीं।
2 तीमुथियुस 2 : 24
24 और प्रभु के दास को झगड़ालू होना न चाहिए, पर सब के साथ कोमल और शिक्षा में निपुण, और सहनशील हो।
1 तीमुथियुस 3 : 1 – 5
1 यह बात सत्य है, कि जो अध्यक्ष होना चाहता है, तो वह भले काम की इच्छा करता है।
2 सो चाहिए, कि अध्यक्ष निर्दोष, और एक ही पत्नी का पति, संयमी, सुशील, सभ्य, पहुनाई करने वाला, और सिखाने में निपुण हो।
3 पियक्कड़ या मार पीट करने वाला न हो; वरन कोमल हो, और न झगड़ालू, और न लोभी हो।
4 अपने घर का अच्छा प्रबन्ध करता हो, और लड़के-बालों को सारी गम्भीरता से आधीन रखता हो।
5 जब कोई अपने घर ही का प्रबन्ध करना न जानता हो, तो परमेश्वर की कलीसिया की रखवाली क्योंकर करेगा?
नीतिवचन 16 : 12
12 दुष्टता करना राजाओं के लिये घृणित काम है, क्योंकि उनकी गद्दी धर्म ही से स्थिर रहती है।
यहेजकेल 34 : 1 – 8
1 यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,
2 हे मनुष्य के सन्तान, इस्राएल के चरवाहों के विरुद्ध भविष्यद्वाणी कर के उन चरवाहों से कह, परमेश्वर यहोवा यों कहता हे, हाय इस्राएल के चरवाहों पर जो अपने अपने पेट भरते हैं! क्या चरवाहों को भेड़- बकरियों का पेट न भरना चाहिए?
3 तुम लोग चर्बी खाते, ऊन पहिनते और मोटे मोटे पशुओं को काटते हो; परन्तु भेड़-बकरियों को तुम नहीं चराते।
4 तुम ने बीमारों को बलवान न किया, न रोगियों को चंगा किया, न घायलों के घावों को बान्धा, न निकाली हुई को फेर लाए, न खोई हुई को खोजा, परन्तु तुम ने बल और जबरदस्ती से अधिकार चलाया है।
5 वे चरवाहे के न होने के कारण तितर-बितर हुई; और सब वनपशुओं का आहार हो गईं।
6 मेरी भेड़-बकरियां तितर-बितर हुई हैं; वे सारे पहाड़ों और ऊंचे ऊंचे टीलों पर भटकती थीं; मेरी भेड़-बकरियां सारी पृथ्वी के ऊपर तितर-बितर हुईं; और न तो कोई उनकी सुधि लेता था, न कोई उन को ढूंढ़ता था।
7 इस कारण, हे चरवाहो, यहोवा का वचन सुनो।
8 परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, मेरी भेड़-बकरियां जो लुट गई, और मेरी भेड़-बकरियां जो चरवाहे के न होने के कारण सब वनपशुओं का आहार हो गई; और इसलिये कि मेरे चरवाहों ने मेरी भेड़-बकरियोंकी सुधि नहीं ली, और मेरी भेड़- बकरियों का पेट नहीं, अपना ही अपना पेट भरा;
नीतिवचन 16 : 18
18 विनाश से पहिले गर्व, और ठोकर खाने से पहिले घमण्ड होता है।
प्रेरितों के काम 20 : 28
28 इसलिये अपनी और पूरे झुंड की चौकसी करो; जिस से पवित्र आत्मा ने तुम्हें अध्यक्ष ठहराया है; कि तुम परमेश्वर की कलीसिया की रखवाली करो, जिसे उस ने अपने लोहू से मोल लिया है।
यहेजकेल 3 : 16 – 17
16 सात दिन के व्यतीत होने पर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,
17 हे मनुष्य के सन्तान मैं ने तुझे इस्राएल के घराने के लिये पहरुआ नियुक्त किया है; तू मेरे मुंह की बात सुन कर, उन्हें मेरी ओर से चिताना।
मरकुस 10 : 42 – 45
42 और यीशु ने उन को पास बुला कर उन से कहा, तुम जानते हो, कि जो अन्यजातियों के हाकिम समझे जाते हैं, वे उन पर प्रभुता करते हैं; और उन में जो बड़ें हैं, उन पर अधिकार जताते हैं।
43 पर तुम में ऐसा नहीं है, वरन जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा सेवक बने।
44 और जो कोई तुम में प्रधान होना चाहे, वह सब का दास बने।
45 क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिये नहीं आया, कि उस की सेवा टहल की जाए, पर इसलिये आया, कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के लिये अपना प्राण दे॥
1 तीमुथियुस 4 : 12
12 कोई तेरी जवानी को तुच्छ न समझने पाए; पर वचन, और चाल चलन, और प्रेम, और विश्वास, और पवित्रता में विश्वासियों के लिये आदर्श बन जा।
भजन संहिता 101 : 5
5 जो छिप कर अपने पड़ोसी की चुगली खाए, उसको मैं सत्यानाश करूंगा; जिसकी आंखें चढ़ी हों और जिसका मन घमण्डी है, उसकी मैं न सहूंगा॥
लूका 22 : 26
26 परन्तु तुम ऐसे न होना; वरन जो तुम में बड़ा है, वह छोटे की नाईं और जो प्रधान है, वह सेवक की नाईं बने।
1 शमूएल 15 : 23
23 देख बलवा करना और भावी कहने वालों से पूछना एक ही समान पाप है, और हठ करना मूरतों और गृहदेवताओं की पूजा के तुल्य है। तू ने जो यहोवा की बात को तुच्छ जाना, इसलिये उसने तुझे राजा होने के लिये तुच्छ जाना है।
अय्यूब 41 : 34
34 जो कुछ ऊंचा है, उसे वह ताकता ही रहता है, वह सब घमणिडयों के ऊपर राजा है।
गलातियों 6 : 6
6 जो वचन की शिक्षा पाता है, वह सब अच्छी वस्तुओं में सिखाने वाले को भागी करे।
यूहन्ना 10 : 11
11 अच्छा चरवाहा मैं हूं; अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिये अपना प्राण देता है।
मत्ती 23 : 1 – 39
1 तब यीशु ने भीड़ से और अपने चेलों से कहा।
2 शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं।
3 इसलिये वे तुम से जो कुछ कहें वह करना, और मानना; परन्तु उन के से काम मत करना; क्योंकि वे कहते तो हैं पर करते नहीं।
4 वे एक ऐसे भारी बोझ को जिन को उठाना कठिन है, बान्धकर उन्हें मनुष्यों के कन्धों पर रखते हैं; परन्तु आप उन्हें अपनी उंगली से भी सरकाना नहीं चाहते।
5 वे अपने सब काम लोगों को दिखाने के लिये करते हैं: वे अपने तावीजों को चौड़े करते, और अपने वस्त्रों की को रें बढ़ाते हैं।
6 जेवनारों में मुख्य मुख्य जगहें, और सभा में मुख्य मुख्य आसन।
7 और बाजारों में नमस्कार और मनुष्य में रब्बी कहलाना उन्हें भाता है।
8 परन्तु, तुम रब्बी न कहलाना; क्योंकि तुम्हारा एक ही गुरू है: और तुम सब भाई हो।
9 और पृथ्वी पर किसी को अपना पिता न कहना, क्योंकि तुम्हारा एक ही पिता है, जो स्वर्ग में है।
10 और स्वामी भी न कहलाना, क्योंकि तुम्हारा एक ही स्वामी है, अर्थात मसीह।
11 जो तुम में बड़ा हो, वह तुम्हारा सेवक बने।
12 जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा: और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा॥
13 हे कपटी शास्त्रियों और फरीसियों तुम पर हाय!
14 तुम मनुष्यों के विरोध में स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो आप ही उस में प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करने वालों को प्रवेश करने देते हो॥
15 हे कपटी शास्त्रियों और फरीसियों तुम पर हाय! तुम एक जन को अपने मत में लाने के लिये सारे जल और थल में फिरते हो, और जब वह मत में आ जाता है, तो उसे अपने से दूना नारकीय बना देते हो॥
16 हे अन्धे अगुवों, तुम पर हाय, जो कहते हो कि यदि कोई मन्दिर की शपथ खाए तो कुछ नहीं, परन्तु यदि कोई मन्दिर के सोने की सौगन्ध खाए तो उस से बन्ध जाएगा।
17 हे मूर्खों, और अन्धों, कौन बड़ा है, सोना या वह मन्दिर जिस से सोना पवित्र होता है?
18 फिर कहते हो कि यदि कोई वेदी की शपथ खाए तो कुछ नहीं, परन्तु जो भेंट उस पर है, यदि कोई उस की शपथ खाए तो बन्ध जाएगा।
19 हे अन्धों, कौन बड़ा है, भेंट या वेदी: जिस से भेंट पवित्र होता है?
20 इसलिये जो वेदी की शपथ खाता है, वह उस की, और जो कुछ उस पर है, उस की भी शपथ खाता है।
21 और जो मन्दिर की शपथ खाता है, वह उस की और उस में रहने वालों की भी शपथ खाता है।
22 और जो स्वर्ग की शपथ खाता है, वह परमेश्वर के सिहांसन की और उस पर बैठने वाले की भी शपथ खाता है॥
23 हे कपटी शास्त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय; तुम पोदीने और सौंफ और जीरे का दसवां अंश देते हो, परन्तु तुम ने व्यवस्था की गम्भीर बातों को अर्थात न्याय, और दया, और विश्वास को छोड़ दिया है; चाहिये था कि इन्हें भी करते रहते, और उन्हें भी न छोड़ते।
24 हे अन्धे अगुवों, तुम मच्छर को तो छान डालते हो, परन्तु ऊंट को निगल जाते हो।
25 हे कपटी शास्त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय, तुम कटोरे और थाली को ऊपर ऊपर से तो मांजते हो परन्तु वे भीतर अन्धेर असंयम से भरे हुए हैं।
26 हे अन्धे फरीसी, पहिले कटोरे और थाली को भीतर से मांज कि वे बाहर से भी स्वच्छ हों॥
27 हे कपटी शास्त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय; तुम चूना फिरी हुई कब्रों के समान हो जो ऊपर से तो सुन्दर दिखाई देती हैं, परन्तु भीतर मुर्दों की हिड्डयों और सब प्रकार की मलिनता से भरी हैं।
28 इसी रीति से तुम भी ऊपर से मनुष्यों को धर्मी दिखाई देते हो, परन्तु भीतर कपट और अधर्म से भरे हुए हो॥
29 हे कपटी शास्त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय; तुम भविष्यद्वक्ताओं की कब्रें संवारते और धमिर्यों की कब्रें बनाते हो।
30 और कहते हो, कि यदि हम अपने बाप-दादों के दिनों में होते तो भविष्यद्वक्ताओं की हत्या में उन के साझी न होते।
31 इस से तो तुम अपने पर आप ही गवाही देते हो, कि तुम भविष्यद्वक्ताओं के घातकों की सन्तान हो।
32 सो तुम अपने बाप-दादों के पाप का घड़ा भर दो।
33 हे सांपो, हे करैतों के बच्चों, तुम नरक के दण्ड से क्योंकर बचोगे?
34 इसलिये देखो, मैं तुम्हारे पास भविष्यद्वक्ताओं और बुद्धिमानों और शास्त्रियों को भेजता हूं; और तुम उन में से कितनों को मार डालोगे, और क्रूस पर चढ़ाओगे; और कितनों को अपनी सभाओं में कोड़े मारोगे, और एक नगर से दूसरे नगर में खदेड़ते फिरोगे।
35 जिस से धर्मी हाबिल से लेकर बिरिक्याह के पुत्र जकरयाह तक, जिसे तुम ने मन्दिर और वेदी के बीच में मार डाला था, जितने धमिर्यों का लोहू पृथ्वी पर बहाया गया है, वह सब तुम्हारे सिर पर पड़ेगा।
36 मैं तुम से सच कहता हूं, ये सब बातें इस समय के लोगों पर आ पड़ेंगी॥
37 हे यरूशलेम, हे यरूशलेम; तू जो भविष्यद्वक्ताओं को मार डालता है, और जो तेरे पास भेजे गए, उन्हें पत्थरवाह करता है, कितनी ही बार मैं ने चाहा कि जैसे मुर्गी अपने बच्चों को अपने पंखों के नीचे इकट्ठे करती है, वैसे ही मैं भी तेरे बालकों को इकट्ठे कर लूं, परन्तु तुम ने न चाहा।
38 देखो, तुम्हारा घर तुम्हारे लिये उजाड़ छोड़ा जाता है।
39 क्योंकि मैं तुम से कहता हूं, कि अब से जब तक तुम न कहोगे, कि धन्य है वह, जो प्रभु के नाम से आता है, तब तक तुम मुझे फिर कभी न देखोगे॥
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