ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं ऋण
नीतिवचन 22 : 7
7 धनी, निर्धन लोगों पर प्रभुता करता है, और उधार लेने वाला उधार देने वाले का दास होता है।
भजन संहिता 37 : 21
21 दुष्ट ऋण लेता है, और भरता नहीं परन्तु धर्मीं अनुग्रह करके दान देता है;
रोमियो 13 : 8
8 आपस के प्रेम से छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदार न हो; क्योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है, उसी ने व्यवस्था पूरी की है।
नीतिवचन 22 : 26 – 27
26 जो लोग हाथ पर हाथ मारते, और ऋणियों के उत्तरदायी होते हैं, उन में तू न होना।
27 यदि भर देने के लिये तेरे पास कुछ न हो, तो वह क्यों तेरे नीचे से खाट खींच ले जाए?
1 तीमुथियुस 5 : 8
8 पर यदि कोई अपनों की और निज करके अपने घराने की चिन्ता न करे, तो वह विश्वास से मुकर गया है, और अविश्वासी से भी बुरा बन गया है।
नीतिवचन 6 : 1 – 5
1 हे मेरे पुत्र, यदि तू अपने पड़ोसी का उत्तरदायी हुआ हो, अथवा परदेशी के लिये हाथ पर हाथ मार कर उत्तरदायी हुआ हो,
2 तो तू अपने ही मूंह के वचनों से फंसा, और अपने ही मुंह की बातों से पकड़ा गया।
3 इसलिये हे मेरे पुत्र, एक काम कर, अर्थात तू जो अपने पड़ोसी के हाथ में पड़ चुका है, तो जा, उस को साष्टांग प्रणाम कर के मना ले।
4 तू न तो अपनी आखों में नींद, और न अपनी पलकों में झपकी आने दे;
5 और अपने आप को हरिणी के समान शिकारी के हाथ से, और चिडिय़ा के समान चिडिमार के हाथ से छुड़ा॥
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