इसके बारे में बाइबल क्या कहता है अंक ज्योतिष – बाइबल की सभी आयतें अंक ज्योतिष

ये बाइबल की वे आयतें हैं जो इस बारे में बात करती हैं अंक ज्योतिष

प्रेरितों के काम 19 : 17 – 19
17 और यह बात इफिसुस के रहने वाले यहूदी और यूनानी भी सब जान गए, और उन सब पर भय छा गया; और प्रभु यीशु के नाम की बड़ाई हुई।
18 और जिन्हों ने विश्वास किया था, उन में से बहुतेरों ने आकर अपने अपने कामों को मान लिया और प्रगट किया।
19 और जादू करने वालों में से बहुतों ने अपनी अपनी पोथियां इकट्ठी करके सब के साम्हने जला दीं; और जब उन का दाम जोड़ा गया, जो पचास हजार रूपये की निकलीं।

व्यवस्थाविवरण 18 : 10 – 12
10 तुझ में कोई ऐसा न हो जो अपने बेटे वा बेटी को आग में होम करके चढ़ाने वाला, वा भावी कहने वाला, वा शुभ अशुभ मुहूर्तों का मानने वाला, वा टोन्हा, वा तान्त्रिक,
11 वा बाजीगर, वा ओझों से पूछने वाला, वा भूत साधने वाला, वा भूतों का जगाने वाला हो।
12 क्योंकि जितने ऐसे ऐसे काम करते हैं वे सब यहोवा के सम्मुख घृणित हैं; और इन्हीं घृणित कामों के कारण तेरा परमेश्वर यहोवा उन को तेरे साम्हने से निकालने पर है।

यशायाह 8 : 19
19 जब लोग तुम से कहें कि ओझाओं और टोन्हों के पास जा कर पूछो जो गुनगुनाते और फुसफुसाते हैं, तब तुम यह कहना कि क्या प्रजा को अपने परमेश्वर ही के पास जा कर न पूछना चाहिये? क्या जीवतों के लिये मुर्दों से पूछना चाहिये?

इफिसियों 6 : 12
12 क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध, लोहू और मांस से नहीं, परन्तु प्रधानों से और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से, और उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं।

2 थिस्सलुनीकियों 2 : 9
9 उस अधर्मी का आना शैतान के कार्य के अनुसार सब प्रकार की झूठी सामर्थ, और चिन्ह, और अद्भुत काम के साथ।

रोमियो 10 : 17
17 सो विश्वास सुनने से, और सुनना मसीह के वचन से होता है।

प्रेरितों के काम 17 : 30
30 इसलिये परमेश्वर आज्ञानता के समयों में अनाकानी करके, अब हर जगह सब मनुष्यों को मन फिराने की आज्ञा देता है।

व्यवस्थाविवरण 4 : 19
19 वा जब तुम आकाश की ओर आंखे उठा कर, सूर्य, चंद्रमा, और तारों को, अर्थात आकाश का सारा तारागण देखो, तब बहककर उन्हें दण्डवत करके उनकी सेवा करने लगो जिन को तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने धरती पर के सब देश वालों के लिये रखा है।

व्यवस्थाविवरण 18 : 9 – 12
9 जब तू उस देश में पहुंचे जो तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है, तब वहां की जातियों के अनुसार घिनौना काम करने को न सीखना।
10 तुझ में कोई ऐसा न हो जो अपने बेटे वा बेटी को आग में होम करके चढ़ाने वाला, वा भावी कहने वाला, वा शुभ अशुभ मुहूर्तों का मानने वाला, वा टोन्हा, वा तान्त्रिक,
11 वा बाजीगर, वा ओझों से पूछने वाला, वा भूत साधने वाला, वा भूतों का जगाने वाला हो।
12 क्योंकि जितने ऐसे ऐसे काम करते हैं वे सब यहोवा के सम्मुख घृणित हैं; और इन्हीं घृणित कामों के कारण तेरा परमेश्वर यहोवा उन को तेरे साम्हने से निकालने पर है।

मत्ती 7 : 14
14 क्योंकि सकेत है वह फाटक और सकरा है वह मार्ग जो जीवन को पहुंचाता है, और थोड़े हैं जो उसे पाते हैं॥

प्रकाशित वाक्य 22 : 18 – 19
18 मैं हर एक को जो इस पुस्तक की भविष्यद्वाणी की बातें सुनता है, गवाही देता हूं, कि यदि कोई मनुष्य इन बातों में कुछ बढ़ाए, तो परमेश्वर उन विपत्तियों को जो इस पुस्तक में लिखीं हैं, उस पर बढ़ाएगा।
19 और यदि कोई इस भविष्यद्वाणी की पुस्तक की बातों में से कुछ निकाल डाले, तो परमेश्वर उस जीवन के पेड़ और पवित्र नगर में से जिस की चर्चा इस पुस्तक में है, उसका भाग निकाल देगा॥

यूहन्ना 1 : 14
14 और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा।

1 यूहन्ना 1 : 9
9 यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है।

आमोस 5 : 8
8 जो कचपचिया और मृगशिरा का बनाने वाला है, जो घोर अन्धकार को भोर का प्रकाश बनाता है, जो दिन को अन्धकार कर के रात बना देता है, और समुद्र का जल स्थल के ऊपर बहा देता है, उसका नाम यहोवा है।

गिनती 5 : 1 – 31
1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
2 इस्त्राएलियों को आज्ञा दे, कि वे सब कोढिय़ों को, और जितनों के प्रमेह हो, और जितने लोथ के कारण अशुद्ध हों, उन सभों को छावनी से निकाल दें;
3 ऐसों को चाहे पुरूष हों चाहे स्त्री छावनी से निकाल कर बाहर कर दें; कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारी छावनी, जिसके बीच मैं निवास करता हूं, उनके कारण अशुद्ध हो जाए।
4 और इस्त्राएलियों ने वैसा ही किया, अर्थात ऐसे लोगों को छावनी से निकाल कर बाहर कर दिया; जैसा यहोवा ने मूसा से कहा था इस्त्राएलियों ने वैसा ही किया॥
5 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
6 इस्त्राएलियों से कह, कि जब कोई पुरूष वा स्त्री ऐसा कोई पाप करके जो लोग किया करते हैं यहोवा को विश्वासघात करे, और वह प्राणी दोषी हो,
7 तब वह अपना किया हुआ पाप मान ले; और पूरे मूल में पांचवां अंश बढ़ाकर अपने दोष के बदले में उसी को दे, जिसके विषय दोषी हुआ हो।
8 परन्तु यदि उस मनुष्य का कोई कुटुम्बी न हो जिसे दोष का बदला भर दिया जाए, तो उस दोष का जो बदला यहोवा को भर दिया जाए वह याजक का हो, और वह उस प्रायश्चित्त वाले मेढ़े से अधिक हो जिस से उसके लिये प्रायश्चित्त किया जाए।
9 और जितनी पवित्र की हुई वस्तुएं इस्त्राएली उठाई हुई भेंट करके याजक के पास लाएं, वे उसी की हों;
10 सब मनुष्यों की पवित्र की हुई वस्तुएं उसी की ठहरें; कोई जो कुछ याजक को दे वह उसका ठहरे॥
11 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
12 इस्त्राएलियों से कह, कि यदि किसी मनुष्य की स्त्री कुचाल चलकर उसका विश्वासघात करे,
13 और कोई पुरूष उसके साथ कुकर्म करे, परन्तु यह बात उसके पति से छिपी हो और खुली न हो, और वह अशुद्ध हो गई, परन्तु न तो उसके विरुद्ध कोई साक्षी हो, और न कुकर्म करते पकड़ी गई हो;
14 और उसके पति के मन में जलन उत्पन्न हो, अर्थात वह अपने स्त्री पर जलने लगे और वह अशुद्ध हुई हो; वा उसके मन में जलन उत्पन्न हो, अर्थात वह अपनी स्त्री पर जलने लगे परन्तु वह अशुद्ध न हुई हो;
15 तो वह पुरूष अपनी स्त्री को याजक के पास ले जाए, और उसके लिये एपा का दसवां अंश जव का मैदा चढ़ावा करके ले आए; परन्तु उस पर तेल न डाले, न लोबान रखे, क्योंकि वह जलन वाला और स्मरण दिलाने वाला, अर्थात अधर्म का स्मरण कराने वाला अन्नबलि होगा।
16 तब याजक उस स्त्री को समीप ले जा कर यहोवा के साम्हने खड़ी करे;
17 और याजक मिट्टी के पात्र में पवित्र जल ले, और निवासस्थान की भूमि पर की धूलि में से कुछ ले कर उस जल में डाल दे।
18 तब याजक उस स्त्री को यहोवा के साम्हने खड़ी करके उसके सिर के बाल बिखराए, और स्मरण दिलाने वाले अन्नबलि को जो जलन वाला है उसके हाथों पर धर दे। और अपने हाथ में याजक कडुवा जल लिये रहे जो शाप लगाने का कारण होगा।
19 तब याजक स्त्री को शपथ धरवाकर कहे, कि यदि किसी पुरूष ने तुझ से कुकर्म न किया हो, और तू पति को छोड़ दूसरे की ओर फिर के अशुद्ध न हो गई हो, तो तू इस कडुवे जल के गुण से जो शाप का कारण होता है बची रहे।
20 पर यदि तू अपने पति को छोड़ दूसरे की ओर फिर के अशुद्ध हुई हो, और तेरे पति को छोड़ किसी दूसरे पुरूष ने तुझ से प्रसंग किया हो,
21 (और याजक उसे शाप देने वाली शपथ धराकर कहे,) यहोवा तेरी जांघ सड़ाए और तेरा पेट फुलाए, और लोग तेरा नाम ले कर शाप और धिक्कार दिया करें;
22 अर्थात वह जल जो शाप का कारण होता है तेरी अंतडिय़ों में जा कर तेरे पेट को फुलाए, और तेरी जांघ को सड़ा दे। तब वह स्त्री कहे, आमीन, आमीन।
23 तब याजक शाप के ये शब्द पुस्तक में लिखकर उस कडुवे जल से मिटाके,
24 उस स्त्री को वह कडुवा जल पिलाए जो शाप का कारण होता है, और वह जल जो शाप का कारण होगा उस स्त्री के पेट में जा कर कडुवा हो जाएगा।
25 और याजक स्त्री के हाथ में से जलन वाले अन्नबलि को ले कर यहोवा के आगे हिलाकर वेदी के समीप पहुंचाए;
26 और याजक उस अन्नबलि में से उसका स्मरण दिलाने वाला भाग, अर्थात मुट्ठी भर ले कर वेदी पर जलाए, और उसके बाद स्त्री को वह जल पिलाए।
27 और जब वह उसे वह जल पिला चुके, तब यदि वह अशुद्ध हुई हो और अपने पति का विश्वासघात किया हो, तो वह जल जो शाप का कारण होता है उस स्त्री के पेट में जा कर कडुवा हो जाएगा, और उसका पेट फूलेगा, और उसकी जांघ सड़ जाएगी, और उस स्त्री का नाम उसके लोगों के बीच स्रापित होगा।
28 पर यदि वह स्त्री अशुद्ध न हुई हो और शुद्ध ही हो, तो वह निर्दोष ठहरेगी और गभिर्णी हो सकेगी।
29 जलन की व्यवस्था यही है, चाहे कोई स्त्री अपने पति को छोड़ दूसरे की ओर फिर के अशुद्ध हो,
30 चाहे पुरूष के मन में जलन उत्पन्न हो और वह अपनी स्त्री पर जलने लगे; तो वह उसको यहोवा के सम्मुख खड़ी कर दे, और याजक उस पर यह सारी व्यवस्था पूरी करे।
31 तब पुरूष अधर्म से बचा रहेगा, और स्त्री अपने अधर्म का बोझ आप उठाएगी॥

प्रेरितों के काम 8 : 9 – 13
9 इस से पहिले उस नगर में शमौन नाम एक मनुष्य था, जो टोना करके सामरिया के लोगों को चकित करता और अपने आप को कोई बड़ा पुरूष बनाता यां
10 और सब छोटे से बड़े तक उसे मान कर कहते थे, कि यह मनुष्य परमेश्वर की वह शक्ति है, जो महान कहलाती है।
11 उस ने बहुत दिनों से उन्हें अपने टोने के कामों से चकित कर रखा था, इसी लिये वे उस को बहुत मानते थे।
12 परन्तु जब उन्होंने फिलेप्पुस की प्रतीति की जो परमेश्वर के राज्य और यीशु के नाम का सुसमाचार सुनाता था तो लोग, क्या पुरूष, क्या स्त्री बपतिस्मा लेने लगे।
13 तब शमौन ने आप भी प्रतीति की और बपतिस्मा लेकर फिलेप्पुस के साथ रहने लगा और चिन्ह और बड़े बड़े सामर्थ के काम होते देखकर चकित होता था।

यूहन्ना 3 : 16
16 क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।

गिनती 7 : 1 – 89
1 फिर जब मूसा ने निवास को खड़ा किया, और सारे सामान समेत उसका अभिषेक करके उसको पवित्र किया, और सारे सामान समेत वेदी का भी अभिषेक करके उसे पवित्र किया,
2 तब इस्त्राएल के प्रधान जो अपने अपने पितरों के घरानों के मुख्य पुरूष, और गोत्रों के भी प्रधान हो कर गिनती लेने के काम पर नियुक्त थे,
3 वे यहोवा के साम्हने भेंट ले आए, और उनकी भेंट छ: छाई हुई गाडिय़ां और बारह बैल थे, अर्थात दो दो प्रधान की ओर से एक एक गाड़ी, और एक एक प्रधान की ओर से एक एक बैल; इन्हें वे निवास के साम्हने यहोवा के समीप ले गए।
4 तब यहोवा ने मूसा से कहा,
5 उन वस्तुओं को तू उन से ले ले, कि मिलापवाले तम्बू के बरतन में काम आएं, सो तू उन्हें लेवियों के एक एक कुल की विशेष सेवकाई के अनुसार उन को बांट दे।
6 सो मूसा ने वे सब गाडिय़ां और बैल ले कर लेवियों को दे दिये।
7 गेर्शोनियों को उनकी सेवकाई के अनुसार उसने दो गाडिय़ां और चार बैल दिए;
8 और मरारियों को उनकी सेवकाई के अनुसार उसने चार गाडिय़ां और आठ बैल दिए; ये सब हारून याजक के पुत्र ईतामार के अधिकार में किए गए।
9 और कहातियों को उसने कुछ न दिया, क्योंकि उनके लिये पवित्र वस्तुओं की यह सेवकाई थी कि वह उसे अपने कन्धों पर उठा लिया करें॥
10 फिर जब वेदी का अभिषेक हुआ तब प्रधान उसके संस्कार की भेंट वेदी के आगे समीप ले जाने लगे।
11 तब यहोवा ने मूसा से कहा, वेदी के संस्कार के लिये प्रधान लोग अपनी अपनी भेंट अपने अपने नियत दिन पर चढ़ाएं॥
12 सो जो पुरूष पहिले दिन अपनी भेंट ले गया वह यहूदा गोत्र वाले अम्मीनादाब का पुत्र महशोन था;
13 उसकी भेंट यह थी, अर्थात पवित्रस्थान वाले शेकेल के हिसाब से एक सौ तीस शेकेल चांदी का एक परात, और सत्तर शेकेल चांदी का एक कटोरा, ये दोनों अन्नबलि के लिये तेल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे;
14 फिर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का एक धूपदान;
15 होमबलि के लिये एक बछड़ा, एक मेढ़ा, और एक वर्ष का एक भेड़ी का बच्चा;
16 पापबलि के लिये एक बकरा;
17 और मेलबलि के लिये दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे, और एक एक वर्ष के पांच बकरे, और एक एक वर्ष के पांच भेड़ी के बच्चे। अम्मीनादाब के पुत्र महशोन की यही भेंट थी॥
18 और दूसरे दिन इस्साकार का प्रधान सूआर का पुत्र नतनेल भेंट ले आया;
19 वह यह थी, अर्थात पवित्रस्थान वाले शेकेल के हिसाब से एक सौ तीस शेकेल चांदी का एक परात, और सत्तर शेकेल चांदी का एक कटोरा, ये दोनों अन्नबलि के लिये तेल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे;
20 फिर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का एक धूपदान;
21 होमबलि के लिये एक बछड़ा, एक मेढ़ा, और एक वर्ष का एक भेड़ी का बच्चा;
22 पापबलि के लिये एक बकरा;
23 और मेलबलि के लिये दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे, और एक एक वर्ष के पांच भेड़ी के बच्चे। सूआर के पुत्र नतनेल की यही भेंट थी॥
24 और तीसरे दिन जबूलूनियों का प्रधान हेलोन का पुत्र एलीआब यह भेंट ले आया,
25 अर्थात पवित्रस्थान वाले शेकेल के हिसाब से एक सौ तीस शेकेल चांदी का एक परात, और सत्तर शेकेल चांदी का एक कटोरा, ये दोनों अन्नबलि के लिये तेल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे;
26 फिर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का एक धूपदान;
27 होमबलि के लिये एक बछड़ा, एक मेढ़ा, और एक वर्ष का एक भेड़ी का बच्चा;
28 पापबलि के लिये एक बकरा;
29 और मेलबलि के लिये दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे, और एक एक वर्ष के पांच भेड़ी के बच्चे। हेलोन के पुत्र एलीआब की यहीं भेंट थी॥
30 और चौथे दिन रूबेनियों का प्रधान शदेऊर का पुत्र एलीसूर यह भेंट ले आया,
31 अर्थात पवित्रस्थान वाले शेकेल के हिसाब से एक सौ तीस शेकेल चांदी का एक परात, और सत्तर शेकेल चांदी का एक कटोरा, ये दोनों अन्नबलि के लिये तेल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे;
32 फिर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का एक धूपदान;
33 होमबलि के लिये एक बछड़ा, और एक मेढ़ा, और एक वर्ष का एक भेड़ी का बच्चा;
34 पापबलि के लिये एक बकरा;
35 और मेलबलि के लिये दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे, और एक एक वर्ष के पांच भेड़ी के बच्चे। शदेऊर के पुत्र एलीसूर की यही भेंट थी॥
36 और पांचवें दिन शिमोनियों का प्रधान सूरीशद्दै का पुत्र शलूमीएल यह भेंट ले आया,
37 अर्थात पवित्रस्थान वाले शेकेल के हिसाब से एक सौ तीस शेकेल चांदी का एक परात, और सत्तर शेकेल चांदी का एक कटोरा, ये दोनों अन्नबलि के लिये तेल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे;
38 फिर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का एक धूपदान;
39 होमबलि के लिये एक बछड़ा, और एक मेढ़ा, और एक वर्ष का एक भेड़ी का बच्चा;
40 पापबलि के लिये एक बकरा;
41 और मेलबलि के लिये दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे, और एक एक वर्ष के पांच भेड़ी के बच्चे। सूरीशद्दै के पुत्र शलूमीएल की यही भेंट थी॥
42 और छठवें दिन गादियों का प्रधान दूएल का पुत्र एल्यासाप यह भेंट ले आया,
43 अर्थात पवित्रस्थान वाले शेकेल के हिसाब से एक सौ तीस शेकेल चांदी का एक परात, और सत्तर शेकेल चांदी का एक कटोरा ये दोनों अन्नबलि के लिये तेल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे;
44 फिर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का एक धूपदान;
45 होमबलि के लिये एक बछड़ा, और एक मेढ़ा, और एक वर्ष का एक भेड़ी का बच्चा;
46 पापबलि के लिये एक बकरा;
47 और मेलबलि के लिये दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे, और एक एक वर्ष के पांच भेड़ी के बच्चे। दूएल के पुत्र एल्यासाप की यहीं भेंट थी॥
48 और सातवें दिन एप्रैमियों का प्रधान अम्मीहूद का पुत्र एलीशामा यह भेंट ले आया,
49 अर्थात पवित्रस्थान वाले शेकेल के हिसाब से एक सौ तीस शेकेल चांदी का एक कटोरा, ये दोनों अन्नबलि के लिये तेल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे;
50 फिर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का एक धूपदान;
51 होमबलि के लिये एक बछड़ा, एक मेढ़ा, और एक वर्ष का एक भेड़ी का बच्चा;
52 पापबलि के लिये एक बकरा;
53 और मेलबलि के लिये दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे, और एक एक वर्ष के पांच भेड़ी के बच्चे। अम्मीहूद के पुत्र एलीशामा की यही भेंट थी॥
54 और आठवें दिन मनश्शेइयों का प्रधान पदासूर का पुत्र गम्लीएल यह भेंट ले आया,
55 अर्थात पवित्रस्थान के शेकेल के हिसाब से एक सो तीस शेकेल चांदी का एक परात, और सत्तर शेकेल चांदी का एक कटोरा, ये दोनों अन्नबलि के लिये तेल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे;
56 फिर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का एक धूपदान;
57 होमबलि के लिये एक बछड़ा, और एक मेढ़ा, और एक वर्ष का एक भेड़ी का बच्चा;
58 पापबलि के लिये एक बकरा;
59 और मेलबलि के लिये दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे, और एक एक वर्ष के पांच भेडी के बच्चे। पदासूर के पुत्र गम्लीएल की यही भेंट थी॥
60 और नवें दिन बिन्यामीनियों का प्रधान गिदोनी का पुत्र अबीदान यह भेंट ले आया,
61 अर्थात पवित्रस्थान के शेकेल के हिसाब से एक सौ तीस शेकेल चांदी का एक परात, और सत्तर शेकेल चांदी का एक कटोरा, ये दोनों अन्नबलि के लिये तेल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे;
62 फिर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का एक धूपदान;
63 होमबलि के लिये एक बछड़ा, और एक मेढ़ा, और एक वर्ष का एक भेड़ी का बच्चा;
64 पापबलि के लिये एक बकरा;
65 और मेलबलि के लिये दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे, और एक एक वर्ष के पांच भेड़ी के बच्चे। गिदोनी के पुत्र अबीदान की यही भेंट थी॥
66 और दसवें दिन दानियों का प्रधान अम्मीशद्दै का पुत्र अहीएजेर यह भेंट ले आया,
67 अर्थात पवित्रस्थान के शेकेल के हिसाब से एक सौ तीस शेकेल चांदी का एक परात, और सत्तर शेकेल चांदी का एक कटोरा, ये दोनों अन्नबलि के लिये तेल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे;
68 फिर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का एक धूपदान;
69 होमबलि के लिये बछड़ा, और एक मेढ़ा, और एक वर्ष का एक भेड़ी का बच्चा;
70 पापबलि के लिये एक बकरा;
71 और मेलबलि के लिये दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे, और एक एक वर्ष के पांच भेड़ी के बच्चे। अम्मीशद्दै के पुत्र अहीएजेर की यही भेंट थी॥
72 और ग्यारहवें दिन आशेरियों का प्रधान ओक्रान का पुत्र पक्कीएल यह भेंट ले आया।
73 अर्थात पवित्रस्थान के शेकेल के हिसाब से एक सौ तीस शेकेल चांदी का एक परात, और सत्तर शेकेल चांदी का एक कटोरा, ये दोनों अन्नबलि के लिये तेल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे;
74 फिर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का धूपदान;
75 होमबलि के लिये एक बछड़ा, और एक मेढ़ा, और एक वर्ष का एक भेड़ी का बच्चा;
76 पापबलि के लिये एक बकरा;
77 और मेलबलि के लिये दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे, और एक एक वर्ष के पांच भेड़ी के बच्चे। ओक्रान के पुत्र पक्कीएल की यही भेंट थी॥
78 और बारहवें दिन नप्तालियों का प्रधान एनान का पुत्र अहीरा यह भेंट ले आया,
79 अर्थात पवित्रस्थान के शेकेल के हिसाब से एक सौ तीस शेकेल चांदी का एक परात, और सत्तर शेकेल चांदी का एक कटोरा, ये दोनों अन्नबलि के लिये तेल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे;
80 फिर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का एक धूपदान;
81 होमबलि के लिये एक बछड़ा, और एक मेढ़ा, और एक वर्ष का एक भेड़ी का बच्चा;
82 पापबलि के लिये एक बकरा;
83 और मेलबलि के लिये दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे, और एक एक वर्ष के पांच भेड़ी के बच्चे। एनान के पुत्र अहीरा की यही भेंट थी॥
84 वेदी के अभिषेक के समय इस्त्राएल के प्रधानों की ओर से उसके संस्कार की भेंट यही हुई, अर्थात चांदी के बारह परात, चांदी के बारह कटोरे, और सोने के बारह धूपदान।
85 एक एक चांदी का परात एक सौ तीस शेकेल का, और एक एक चांदी का कटोरा सत्तर शेकेल का था; और पवित्रस्थान के शेकेल के हिसाब से ये सब चांदी के पात्र दो हजार चार सौ शेकेल के थे।
86 फिर धूप से भरे हुए सोने के बारह धूपदान जो पवित्रस्थान के शेकेल के हिसाब से दस दस शेकेल के थे, वे सब धूपदान एक सौ बीस शेकेल सोने के थे।
87 फिर होमबलि के लिये सब मिलाकर बारह बछड़े, बारह मेढ़े, और एक एक वर्ष के बारह भेड़ी के बच्चे, अपने अपने अन्नबलि सहित थे; फिर पापबलि के सब बकरे बारह थे;
88 और मेलबलि के लिये सब मिला कर चौबीस बैल, और साठ मेढ़े, और साठ बकरे, और एक एक वर्ष के साठ भेड़ी के बच्चे थे। वेदी के अभिषेक होने के बाद उसके संस्कार की भेंट यही हुई।
89 और जब मूसा यहोवा से बातें करने को मिलापवाले तम्बू में गया, तब उसने प्रायश्चित्त के ढकने पर से, जो साक्षीपत्र के सन्दूक के ऊपर था, दोनों करूबों के मध्य में से उसकी आवाज सुनी जो उससे बातें कर रहा था; और उसने ( यहोवा ) उससे बातें की॥

इब्रानियों 1 : 14
14 क्या वे सब सेवा टहल करने वाली आत्माएं नहीं; जो उद्धार पाने वालों के लिये सेवा करने को भेजी जाती हैं?

भजन संहिता 103 : 1 – 232

1 हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह; और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे!
2 हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना।
3 वही तो तेरे सब अधर्म को क्षमा करता, और तेरे सब रोगों को चंगा करता है,
4 वही तो तेरे प्राण को नाश होने से बचा लेता है, और तेरे सिर पर करूणा और दया का मुकुट बान्धता है,
5 वही तो तेरी लालसा को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है, जिस से तेरी जवानी उकाब की नाईं नई हो जाती है॥
6 यहोवा सब पिसे हुओं के लिये धर्म और न्याय के काम करता है।
7 उसने मूसा को अपनी गति, और इस्राएलियों पर अपने काम प्रगट किए।
8 यहोवा दयालु और अनुग्रहकरी, विलम्ब से कोप करने वाला और अति करूणामय है।
9 वह सर्वदा वादविवाद करता न रहेगा, न उसका क्रोध सदा के लिये भड़का रहेगा।
10 उसने हमारे पापों के अनुसार हम से व्यवहार नहीं किया, और न हमारे अधर्म के कामों के अनुसार हम को बदला दिया है।
11 जैसे आकाश पृथ्वी के ऊपर ऊंचा है, वैसे ही उसकी करूणा उसके डरवैयों के ऊपर प्रबल है।
12 उदयाचल अस्ताचल से जितनी दूर है, उसने हमारे अपराधों को हम से उतनी ही दूर कर दिया है।
13 जैसे पिता अपने बालकों पर दया करता है, वैसे ही यहोवा अपने डरवैयों पर दया करता है।
14 क्योंकि वह हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही है॥
15 मनुष्य की आयु घास के समान होती है, वह मैदान के फूल की नाईं फूलता है,
16 जो पवन लगते ही ठहर नहीं सकता, और न वह अपने स्थान में फिर मिलता है।
17 परन्तु यहोवा की करूणा उसके डरवैयों पर युग युग, और उसका धर्म उनके नाती- पोतों पर भी प्रगट होता रहता है,
18 अर्थात उन पर जो उसकी वाचा का पालन करते और उसके उपदेशों को स्मरण करके उन पर चलते हैं॥
19 यहोवा ने तो अपना सिंहासन स्वर्ग में स्थिर किया है, और उसका राज्य पूरी सृष्टि पर है।
20 हे यहोवा के दूतों, तुम जो बड़े वीर हो, और उसके वचन के मानने से उसको पूरा करते हो उसको धन्य कहो!
21 हे यहोवा की सारी सेनाओं, हे उसके टहलुओं, तुम जो उसकी इच्छा पूरी करते हो, उसको धन्य कहो!
22 हे यहोवा की सारी सृष्टि, उसके राज्य के सब स्थानों में उसको धन्य कहो। हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह!

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